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ग़रीबों को मुफ़्त चावल-गेहूँ-टीवी का वादा | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
एम. करूणानिधि ने जो तमिलनाडु में और प्रकाश सिंह बादल ने पंजाब में किया वही कांग्रेस अब गुजरात में करने का वादा कर रही है. रविवार को जारी चुनाव घोषणापत्र में राज्य कांग्रेस ने लोक लुभावन घोषणाओं का अंबार लगा दिया है. राज्य में ग़रीबी रेखा के नीचे रहने वाली 20 प्रतिशत आबादी को कांग्रेस ने लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोडी है. पार्टी ने वादा किया है की अगर उसकी सरकार बनी तो वह हर ग़रीबी रेखा के नीचे के परिवार को 25 किलो गेहूँ, 10 किलो चावल, चार किलो दाल, पाँच किलो शक्कर और 20 लीटर मिट्टी का तेल हर माह मुफ़्त देगी. इसके अलावा ऐसे हर परिवार को चार साडि़याँ और और दो धोतियाँ भी देने का वादा किया गया है. न केवल इतना बल्कि ग़रीबी रेखा के नीचे के हर परिवार की महिला को एक रंगीन टेलीविज़न भी मुफ़्त देने का वादा किया गया है. कांग्रेस ने चुनावी घोषणा पत्र में आठ से बारह साल की स्कूली छात्राओं को मुफ़्त साइकिल और किसानों को सात प्रतिशत की दर पर कर्ज़ देने का वादा किया गया है. अल्पसंख्यकों के लिए भाजपा के राज में बन्द कर गए वित्त निगम फ़िर से चालू किए जाने की घोषणा भी की गई है. आदिवासियों पर नज़र एक तरफ़ तो पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में राज्य की भाजपा सरकार को ख़राब आर्थिक प्रबंधन का दोषी ठहराया है. पार्टी का दावा है की राज्य के हर नागरिक के ऊपर 17,200 रुपयों का कर्ज चढ़ा है. दूसरी तरफ़ वह जनता को बहुत कुछ मुफ़्त में उपलब्ध करवाने का वादा कर रही है. अगर राज्य पर कर्ज़ है तो कांग्रेस इतनी सारी मुफ़्त चीज़ों के लिए पैसे कहाँ से लाएगी? इस सवाल पर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भारत सिंह सोलंकी कहते हैं, "मोदी सरकार की आर्थिक बदइंतज़ामी ठीक होते ही इन सब घोषणाओं को पूरा करने लायक पैसा जुट जाएगा." वे कहते हैं, "हमारी घोषणाएँ कांग्रेस की आम और ग़रीब आदमी के प्रति संवेदनाएँ दिखाती हैं." पर राज्य में कांग्रेस का मुक़ाबला नरेंद्र मोदी से है जो अपने भारी भरकम और आकर्षक विकास योजनाओं के लिए जाने जाते हैं. ऐसे में कांग्रेस किस पर निशाना साध रही है? जाने माने राजनैतिक और सामाजिक मामलों के जानकार अच्युत याज्ञिक कहते हैं कि कांग्रेस का निशाना आदिवासियों पर है. उनकी किताब 'दी शेपिंग ऑफ़ मोदीस गुजरात' काफ़ी चर्चित रही है. वे कहते हैं, "हमारे यहाँ 15 प्रतिशत आदिवासी आबादी है. मतलब राज्य का हर सातवाँ आदमी आदिवासी है और यह वर्ग काफी ग़रीब है." गुजरात विधानसभा की 187 सीटों में से 26 आदिवासियों के लिए आरक्षित है. इसके अलावा 10 अन्य सीटों पर आदिवासी मत निर्णायक भूमिका अदा करता है. अब तक 26 में से 13 सत्ताधारी भाजपा का और दो पर इसके सहयोगी दल जनता दल (यूनाइटेड) का कब्ज़ा था. शेष पर कांग्रेस थी. पर क्या मुफ्त धोती और अनाज ही आदिवासियों की सच्ची ज़रूरत है? याज्ञिक का मानना है, "आदिवासियों को जंगल की भूमि पर अधिकार देना चाहिए था पर फॉरेस्ट एक्ट बनने के बाद भी केन्द्र सरकार ने आदिवासियों को उनकी ज़मीन पर अधिकार नहीं दिया सो ध्यान बँटाने के लिए मुफ़्त धोती साड़ी की बात कर रहे हैं" कांग्रेस की यह कवायद कितनी सार्थक हुई यह तो दिसम्बर 11 और 16 दिसंबर को होने वाले मतदान के बाद पता चलेगा. | इससे जुड़ी ख़बरें 'मोदी विज्ञापन' के ख़िलाफ़ शिकायत 01 दिसंबर, 2007 | भारत और पड़ोस सिर्फ़ विकास से मोदी का भी काम न चला!30 नवंबर, 2007 | भारत और पड़ोस गुजरातः 20 विधायकों को मौका नहीं18 नवंबर, 2007 | भारत और पड़ोस सोनिया का मोदी सरकार पर तीखा प्रहार03 नवंबर, 2007 | भारत और पड़ोस 'आजतक' के ख़िलाफ़ वकील की रिपोर्ट27 अक्तूबर, 2007 | भारत और पड़ोस नानावती आयोग ने तहलका का टेप माँगा26 अक्तूबर, 2007 | भारत और पड़ोस गुजरात और हिमाचल में चुनाव घोषित10 अक्तूबर, 2007 | भारत और पड़ोस सुप्रीम कोर्ट का गुजरात सरकार को नोटिस31 अगस्त, 2007 | भारत और पड़ोस | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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