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दक्षिण एशिया में बाढ़ से हाहाकार | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
उत्तरी भारत, नेपाल और बांग्लादेश में मानसून की भारी बारिश के कारण आई बाढ़ में करोड़ों लोग बेघर हो गए हैं. अधिकारियों के मुताबिक़ भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश और असम में एक करोड़ 20 लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए हैं. भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में भी हालत ख़राब है. यहाँ के अधिकारियों की मानें तो 50 लाख लोग बाढ़ के कारण दर-दर भटक रहे हैं. यहाँ कम से कम 40 लोगों की मौत भी हो गई है. नेपाल में सरकार के अनुसार भारी बारिश के कारण कम के कम 86 लोगों की जान चली गई है. उत्तरी भारत में आई बाढ़ को पिछले 10 वर्षों में सबसे ज़्यादा प्रभावित करने वाली बताया जा रहा है. कई इलाक़ों में पानी भर गया है, घर पानी में डूब गए हैं और खेतीबाड़ी चौपट हो गई है. उत्तरी भारत में पिछले एक सप्ताह से जम कर बारिश हो रही है. कई नदियों का जलस्तर ख़तरे के निशान से काफ़ी ऊपर है. बांग्लादेश बांग्लादेश में भी यही हाल है. कई जगहों पर तो नदियों के बाँध टूट गए हैं. बिहार में राज्य आपदा प्रबंधन समिति के अध्यक्ष मनोज श्रीवास्तव ने बीबीसी को बताया कि स्थिति काफ़ी गंभीर है. उन्होंने बताया कि बिहार के बाढ़ प्रभावित इलाक़ों में 121 राहत शिविर और 34 जानवरों के रखने के शिविर बनाए गए हैं. हाल ही में पटना हाई कोर्ट ने राहत सामग्री के वितरण में नाकामी के लिए राज्य सरकार को फटकार लगाई थी. बुधवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने बाढ़ प्रभावित इलाक़ों का हवाई सर्वेक्षण किया था. उन्होंने राज्य सरकार पर स्थिति की अनदेखी करने का आरोप लगाया. गुरुवार को एक और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने भी बाढ़ प्रभावित इलाक़ों का हवाई सर्वेक्षण किया. गुरुवार को ही राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मॉरीशस दौरे से लौटे हैं. बाढ़ के समय विदेश की सैर के बारे में हुई आलोचना के बारे में उन्होंने कहा, "मैं अपने लिए मॉरीशस नहीं गया था. बिहार के गौरव के लिए वहाँ के प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर गया था. ये पहले से निर्धारित था. इसलिए मुझे जाना पड़ा." उन्होंने कहा कि मॉरीशस से भी वे अधिकारियों से संपर्क में थे और बाढ़ की स्थिति का जायज़ा लेते थे. नीतीश कुमार ने कहा कि प्राकृतिक आपदाएँ बता कर नहीं आती हैं. मौत बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग ने बाढ़ के कारण 41 लोगों के मारे जाने की बात कही है. लेकिन ग़ैर सरकारी सूत्रों के अनुसार ये संख्या 100 है. बिहार में दरभंगा, सीतामढ़ी, मधुबनी, शिवहर, चंपारण, समस्तीपुर ज़िले सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं.
राज्य के राज्यपाल आरएस गवई ने सभी पार्टियों से अपील की है कि वे अपने राजनीतिक मतभेद को भुला कर बाढ़ पीड़ितों के लिए काम करें. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और कुशीनगर में स्थिति सबसे ज़्यादा ख़राब है. कई नदियों का जलस्तर तेज़ी से बढ़ रहा है. बांग्लादेश में लाखों लोग बेघर हो गए हैं. बांग्लादेश की सरकार ने कहा है कि वो राहत कार्यों में लगी हुई है और जितना संभव है उतना कर रही है. राजधानी ढाका से 110 किलोमीटर दूर सिराजगंज में हालत बहुत ख़राब है. एक प्रभावित व्यक्ति ने बीबीसी को बताया, "हमारे लिए शिविर तो बनाए गए हैं लेकिन मुश्किल कम नहीं हुई है. बाढ़ के कारण हमारा सबकुछ बर्बाद हो गया." नेपाल में कई नदियों के तटबंध टूट गए हैं. नेपाल के आबादी वाले तराई इलाक़े सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं. काठमांडू से बीबीसी संवाददाता का कहना है कि नेपाल में कुछ लोग ख़राब स्थिति के लिए भारत पर आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि भारत ने नदियों पर बने बाँध को नहीं खोला. इस कारण नेपाल के इलाक़ों में पानी भरा. लेकिन उत्तर प्रदेश के अधिकारियों का कहना है कि नेपाल के पानी छोड़ने के कारण उसके कई इलाक़ों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है. |
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