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सूनामी का दर्द, उस पर बाढ़ की मार | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पिछले साल जब सूनामी की लहरें तमिलनाडु के तटवर्ती इलाक़ों पर कहर ढाकर गुज़री, तो लोगों ने अपनी मेहनत और जीवट के बूते जीवन के बिखरे टुकड़ों को समेटना शुरू किया. लेकिन प्रकृति को शायद यह मंज़ूर नहीं था. नवंबर-दिसंबर में तमिलनाडु में लगातार हुई रिकॉर्ड बारिश ने लोगों को सूनामी का दर्द भूलने नहीं दिया. बाढ़ ने तमिलनाडु में बहुत भारी तबाही मचाई और सूनामी पीड़ित लोगों के पुनर्वास का काम भी काफ़ी प्रभावित हुआ है. कडलूर ज़िले में सूनामी राहत के काम में लगे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी एमएस शणमुगम ने बीबीसी को बताया, " बाढ़ से हुई तबाही सूनामी के मुक़ाबले कम नहीं है, असल में "नागपट्टनम को छोड़कर बाक़ी जगहों पर बाढ़ ने सूनामी से ज़्यादा बर्बादी की है." मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि पूर्वोत्तर से आने वाले मानसून में कभी भी इतनी बारिश नहीं हुई. अब तक के 160 सेंटीमीटर के रिकॉर्ड के मुक़ाबले इस वर्ष 230 सेंटीमीटर बारिश हुई है. तमिलनाडु में सूनामी राहत और पुनर्वास के काम में लगे प्रशासन को अचानक बाढ़ राहत की भी ज़िम्मेदारी उठानी पड़ी क्योंकि राज्य के कई हिस्सों में लाखों लोगों के कच्चे मकान बह गए हैं और वे शिविरों में रहने को विवश हैं. दोहरी मार
बाढ़ की वजह से विस्थापित हुए लोगों की संख्या हज़ारों में है. वहीं सूनामी की वजह से जिन लोगों का घर उजड़ा था उन्हें अभी दोबारा बसाया नहीं जा सका है. मिसाल के तौर पर, कडलूर में स्थानीय प्रशासन और ग़ैर सरकारी संगठनों की योजना कुल 4000 स्थायी मकान बनाने की थी लेकिन बाढ़ की वजह से सारा काम ठप पड़ गया. अब तक सिर्फ़ 300 परिवारों को अस्थायी शिविरों से निकालकर पक्के घरों में पहुँचाया जा सका है. वरिष्ठ अधिकारी शणमुगम मानते हैं, "बाढ़ की वजह से हमारा काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है, हम सूनामी की बरसी से पहले एक हज़ार मकान लोगों को दे देना चाहते थे लेकिन ऐसी बारिश में निर्माण कार्य संभव ही नहीं था." कडलूर में सूनामी से सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए गाँव देवानामपट्टनम में सामाजिक कार्य कर रहे हेनरी लॉरेंस बताते हैं,"सुनामी तो आकर कुछ घंटों में तबाही मचाकर चली गई लेकिन बाढ़ ने कई दिनों तक लोगों की हालत बुरी कर दी. लोग बहुत बुरी दशा में रहे." वे कहते हैं,"सुनामी से राज्य का जितना इलाक़ा प्रभावित हुआ उसके मुक़ाबले बाढ़ से दस गुना अधिक इलाक़ा बर्बाद हुआ है, सुनामी तो सिर्फ़ सागर के किनारे आया था यहाँ तो पूरे शहर डूब गए." नुकसान तमिलनाडु सरकार के आकलन के मुताबिक़ बाढ़ की वजह से दस हज़ार करोड़ रूपए तक का नुक़सान हुआ है. चेन्नई स्थित वरिष्ठ पत्रकार आर रामलिंगम का कहना है कि तमिलनाडु की बाढ़ की विभीषिका सुनामी से कम नहीं थी लेकिन स्थानीय प्रशासन और मीडिया के अलावा किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया क्योंकि "बाढ़ में सुनामी की तरह नाटकीय असर नहीं था." तमिलनाडु के राहत आयुक्त एम संथानम का कहना है कि बाढ़ से राज्य को दीर्घकालिक मार पड़ी है क्योंकि आधारभूत ढाँचा तबाह हो गया है.सड़कें टूट गई हैं,स्कूल,अस्पताल और कई बिजलीघर ख़राब हालत में हैं. तमिलनाडु के लोगों की चिंताएँ यहीं खत्म नहीं हुई हैं. वे हर रोज़ नए समुद्री तूफ़ान के आने की आशंका से जूझ रहे हैं कभी 'बाज़’ तो कभी 'फ़ानूस' तो कभी 'माला'. | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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