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काबुल को निशाना बनाने की रणनीति | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान चरमपंथियों का कहना है कि वे अब अपनी रणनीति बदल रहे हैं और अब राजधानी काबुल को निशाना बनाया जाएगा. तालेबान के मुख्य प्रवक्ता ज़बीउल्ला मुजाहिद ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि नई रणनीति के तहत अब काबुल पर ज़्यादा हमले किए जाएँगे. बीबीसी के जॉन सिम्पसन को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "यह सही है कि हम काबुल पर दबाव बढ़ा रहे हैं क्योंकि यह राजधानी है और यहाँ विदेशी सेनाओं का जमावड़ा है.'' उनका कहना था कि इराक़ में जो रणनीति अपनाई गई, वो अब उसे यहाँ अपना रहे हैं. हालाँकि उन्होंने स्वीकार किया कि नैटो ने तालेबान को क्षति पहुँचाई है और उनके कई नेता मारे गए हैं. लेकिन उनका दावा था कि आत्मघाती हमलों के लिए आगे आनेवाले लोगों की संख्या बढ़ रही है. बढ़ते हमले दूसरी ओर अफ़ग़ानिस्तान के रक्षा मंत्री जनरल अब्दुल रहीम वरदक ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि तालेबान विद्रोही काबुल को अलग-थलग करने में असफल रहे हैं. तालेबान का कहना है कि रविवार को उन्होंने पुलिस की बस पर हमला किया जिसमें कम से कम 24 लोग मारे गए. यह अब तक का सबसे गंभीर हमला माना जा रहा है. यह धमाका काबुल स्थित पुलिस मुख्यालय के बाहर उस वक्त हुआ जब सुबह बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर थे. जिस बस में यह धमाका हुआ है उसमें पुलिस अकादमी के प्रशिक्षकों और पुलिस अधिकारियों को ले जाया जा रहा था. वैसे पिछले एक साल में काबुल में पुलिसकर्मियों और सैनिकों को ले जा रहे वाहनों पर चार और हमले हो चुके हैं. कंधार में एक बम धमाके में बुधवार को नैटो नेतृत्व में काम कर रहे कनाडा के तीन सैनिक मारे गए. तालेबान ने दावा किया था कि यह धमाका उन्होंने किया. पिछले कुछ दिनों के दौरान दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान के पर्वतीय इलाक़ों में भीषण संघर्ष चला था जिसमें पिछले तीन दिनों में सौ से अधिक लोग मारे गए. अमरीकी नेतृत्ववाली सेना का आरोप है कि तालेबान विद्रोही आम नागरिकों का इस्तेमाल ढाल के रूप में कर रहे हैं. ग़ौरतलब है कि अफ़ग़ानिस्तान में इस साल 90 विदेशी सैनिक मारे जा चुके हैं. |
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