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'मैं विधानसभा में बहुमत साबित कर दूँगा' | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनने की दहलीज़ पर खड़े भुवन चंद खंडूरी ने विश्वास जताया है कि वो राज्यपाल से सरकार बनाने का निमंत्रण मिलने के बाद विधानसभा में बहुमत साबित कर देंगे. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड प्रदेश भले ही छोटा है लेकिन मुख्यमंत्री पद की ज़िम्मेदारी बहुत बड़ी होती है. जिन हालात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उन्हें विधायक दल का नेता चुना है, उससे उनके चेहरे पर तनाव और क्षोभ देखा जा सकता है. भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद देहरादून में उनसे बात की शालिनी जोशी ने. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश.. आप एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे, अब उत्तराखंड जैसे छोटे प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने वाले हैं, कैसा महसूस कर रहे हैं? मैं अपने ऊपर काफी ज़िम्मेदारी महसूस कर रहा हूँ. प्रदेश छोटा है लेकिन समस्याएँ बड़ी हैं. वैसे भी पूरे देश के एक महक़मे की ज़िम्मेदारी होना एक बात है और एक प्रदेश में सभी चीजों के लिये ज़िम्मेदार होना दूसरी बात है. मैं समझता हूँ कि ये ज़्यादा चुनौती भरा पद है, मुश्किल काम है.पिछले पाँच साल के कांग्रेस के शासन में जिस स्थिति में उत्तराखंड आ गया है उससे ये काम और मुश्किल हो गया है. प्रदेश को हम जैसा बनाना चाहते हैं उसके लिये काफी कठिन परिश्रम और सभी लोगों का सहयोग हमें चाहिए होगा. बहुमत कैसे साबित करेंगे आप? हमारे पास अभी एक ही की कमी है और जो लोग उत्तराखंड के हित में सोचते हैं उनका समर्थन हमें मिल जाएगा. उत्तराखंड क्रांति दल ने कुछ शर्तें रख दी हैं और निर्दलियों की स्थिति स्पष्ट नहीं है? उत्तराखंड क्रंति दल की शर्तें ज़रूर है लेकिन जब बातचीत के लिए बैठेंगे तो मुझे आशा है कि बहुत सारी साझा बातें होंगी और मुझे नहीं लगता कि उन्हें सुलझाने में कोई अड़चन आएगी. आपको मुख्यमंत्री बनाए जाने पर जिस तरह का असंतोष देखने को मिला ऐसा लगता है कि आपके लिये सरकार चलाना आसान नहीं होगा? असंतोष कैसा है और किस प्रकार हुआ, इसपर मैं नहीं जाना चाहता लेकिन हमारी पार्टी एक अनुशासित पार्टी है और निर्णय होने के बाद सभी इसको अपनी शक्ति देंगे और आगे अब कोई अनुशासनहीनता नहीं होगी और हम सबको साथ लेकर चलेंगे. एक तरह का संदेश ऐसा जा रहा है कि आप हाईकमान की पसंद हैं और भगत सिंह कोश्यारी विधायकों की पसंद हैं. क्या कहेंगे आप? ये किसी एक की पसंद होना न होना नहीं है. निर्णय बहुत सोचसमझ कर लिए जाते हैं. पार्टी के द्वारा विधायकों के द्वारा. आपकी छवि एक कठोर प्रशासक की रही है और ये माना जाता है कि आप काफी सख़्ती से काम लेते हैं. इसे लेकर यहाँ अधिकारियें के मन में एक डर भी है. मैं साफ कहना चाहता हूँ कि किसी प्रकार के डर की आवश्यकता नहीं है. मेरी सिर्फ़ ये कोशिश रहती है कि जिसको जो काम दिया जाता है वो अपनी पूरी योगय्ता उसमें लगाए और जनहित में पूरी ईमानदारी से काम करे. मेरे साथ बहुत से अधिकारियों ने काम किया है और किसी को भी मेरे साथ समस्या नहीं हुई क्योंकि अधिकारी भी काफी योग्य हैं और अच्छा काम करते हैं. बस उन्हें आप सही दिशा में ले जाएं. मेरी किसी भी अधिकारी के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है. कोई भी अधिकारी जो अच्छा काम कर रहा है, मैं उसे शाबाशी दूंगा ,जो नहीं काम कर रहा है, उसे समझाऊंगा और उसके बाद भी अगर कोई काम नहीं करता है, तब तो चाहे सख्त प्रवृत्ति का आदमी हो या मुलायम प्रवृत्ति का फिर तो क़ाएदे क़ानून अपना काम करते ही हैं. आपका पहला काम क्या होगा? पहला काम जो मैं समझता हूँ कि अभी जो सरकार का प्रशासन था उसका ढाँचा चरमारा गया है और जनता को इस ढाँचे में अविश्वास की भावना पैदा हो रही है. तो सबसे पहला काम मेरा होगा कि हमारा ऐसा प्रशासन हो कि जनता का उसमें विश्वास जागे और उसे ये लगे कि सरकार उसकी भलाई के लिए है. अपने स्वार्थ के लिए और पार्टी के हित के लिए नहीं है. आपलोगों ने तिवारी सरकार पर कई घोटालों के आरोप लगाए थे. क्या आप उनकी जाँच कराएँगे? ये हमारे घोषणापत्र में भी है. जितने घोटाले हुए हैं, जहाँ पर भी हमें लगेगा कि फाइलों में कुछ गड़बड़ है,हम छह महीने के अंदर उनकी जाँच कराएँगे. |
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