पाठक समिति की रिपोर्ट के मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है.
विपक्षी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने सरकार और लोक सभा के अध्यक्ष के रवैए से नाराज़ होकर मंगलवार को लोक सभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया.
विपक्षी नेताओं ने लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के व्यवहार पर कड़ी आपत्ति जताई है.
भाजपा नेता विजय कुमार मल्होत्रा ने बीबीसी से कहा कि जब विपक्ष नारे लगा रहा था तब अध्यक्ष ने कई संसदीय मामलों को निपटा दिया.
उनका कहना था कि सुरक्षा विधेयक पर कई संशोधन आने थे और ये बिना बहस पास हो गए. साथ ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में बहस बाक़ी थी जबकि शीतल पेयों के मामले में मंत्री का वक्तव्य आना था.
एनडीए सदस्य लोक सभा अध्यक्ष के साथ नेताओं की होने वाली बैठक का बहिष्कार किया और वे महात्मा गाँधी की मूर्ति के सामने काली पट्टी बाँधकर बैठे और सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया.
इधर लोक सभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने विपक्ष से अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है.
नटवर ने अनुमति माँगी
राज्यसभा में नटवर सिंह के मामले को लेकर हंगामा हुआ और कार्यवाही थोड़ी देर के लिए स्थगित करनी पड़ी.
इस मामले पर नटवर सिंह ने राज्य सभा में बयान देने के लिए अनुमति माँगी है.
नटवर सिंह का कहना था कि व्यक्तिगत तौर पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से उनकी कोई नाराज़गी नहीं है और उनका विशेषाधिकार प्रस्ताव का नोटिस भारतीय प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ है.
लेकिन उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में साफ़ कर दिया कि 'वो आत्मसमर्पण नहीं करेंगे.'
नटवर सिंह के राज्य सभा में बयान देने के अनुरोध का समर्थन करते हुए विजय कुमार मल्होत्रा का कहना था कि उन्हें बोलने का मौका दिया जाना चाहिए.
इधर सीपीएम ने भी अपना रुख़ स्पष्ट करते हुए कहा है कि पाठक समिति की रिपोर्ट के लीक होने पर विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है.
सीपीएम नेता सीताराम येचुरी का कहना था कि यह विशेषाधिकार हनन का मामला है लेकिन दोनों सदनों के अध्यक्ष इस पर फ़ैसला करेंगे.
उनका कहना था कि जब तक इस पर व्यवस्था नहीं आ जाती, कुछ और नहीं किया जा सकता.
उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी, तेलुगू देशम और अन्नाद्रमुक ने कांग्रेस को घेरने के प्रयासों के तहत पहले ही नटवर सिंह को समर्थन देने की घोषणा कर दी है.