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गुरूवार को पूरा होगा नीतिश का सपना | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
बिहार में मतदाताओं ने निर्णायक जनादेश देते हुए लालू प्रसाद यादव के डेढ़ दशक के शासन काल पर विराम लगा दिया है और राज्य की बागडोर नीतिश कुमार को सौंप दी है. एनडीए ने 243 सीटों की विधानसभा में 142 सीटें जीतकर राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व वाले सेक्युलर डेमोक्रेटिक फ़्रंट को सिर्फ़ 65 सीटों पर समेट कर रख दिया. सरकार बनाने के लिए स्पष्ट बहुमत और राज्य में सुशासन के वादे के साथ नीतिश कुमार गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. आठ महीने पहले जिस बिहार राज्य के मतदाताओं ऐसी त्रिशंकु विधानसभा का गठन किया था कि सरकार ही नहीं बन सकी थी, उन्हीं मतदाताओं ने मानों अपनी ग़लती सुधारी और एनडीए को ऐसा बहुमत दे दिया जिसकी उम्मीद एनडीए के नेता ख़ुद भी उम्मीद नहीं कर रहे थे. जीत के बाद नीतिश कुमार ने कहा है कि उनकी जीत जनता की जीत है और कुशासन के ख़िलाफ़ दिए गए वोट की वजह से ये परिणाम आए हैं. लेकिन इन नतीजों से नाख़ुश लालू प्रसाद यादव ने कहा कि "जनता झाँसे में आ गई." अलग सा चुनाव पिछले विधानसभा के बाद सरकार न बन पाने के बाद पहले तो विधानसभा स्थगित कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया लेकिन बाद में राज्यपाल बूटा सिंह की रिपोर्ट में विधायकों की कथित ख़रीद फ़रोख़्त का ब्यौरा देने के बाद केंद्र सरकार ने विधानसभा को भंग ही कर दिया.
राज्यपाल की रिपोर्ट और केंद्र सरकार के फ़ैसले को ग़लत ठहराते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने विधानसभा भंग करने को असंवैधानिक क़रार दिया. बड़े राजनीतिक विवाद हुए लेकिन चुनाव नहीं रुके और एक महीने में चार चरणों में मतदान हुए. चुनावी हिंसा के लिए कुख्यात बिहार में पहली बार न चुनावी हिंसा हुई न मतदान बूथ लूटे गए. और मंगलवार को जब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में डाले गए वोटों की गिनती हुई तो पता चला कि बिहार में जनता एक नया इतिहास लिख चुकी थी. कैसी बँटी सीटें अब जब सभी 243 सीटों के परिणाम आ चुके हैं तब साफ़ दिखाई देता है कि मत इस बार वैसे नहीं बँटे जैसा आकलन विश्लेषक करते आए थे. जनता दल युनाइटेड ने कुल 87 सीटें जीतीं जो पिछले चुनाव की तुलना में 32 अधिक है और भारतीय जनता पार्टी ने 55 सीटें जीतकर पिछली बार की तुलना में 17 अधिक स्थानों पर कब्जा जमाया. दूसरी ओर, लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी को 20 स्थानों का नुक़सान हुआ और वो 54 स्थानों पर ही सिमट गई. उनके गठबंधन के साथियों में कांग्रेस ने एक स्थान खोया तो एनसीपी ने पिछले चुनावों की तुलना में दो स्थान खो दिए. कांग्रेस को इस बार 9 सीटें मिलीं तो एनसीपी को एक सीट ही मिल सकी. पिछली बार 30 सीटें लेकर रामविलास पासवान एक तरह से किंगमेकर बने हुए थे. कभी उन्होंने जेडीयू को भरमाया तो कभी मुसलमान को मुख्यमंत्री बनाने की बात की. लेकिन इस बार वे एक तरह से हाशिए पर आ गए और अपने गठबंधन के साथी सीपीआई के साथ सिर्फ़ 14 सीटों पर सिमट गए. इसी तरह निर्दलियों की संख्या पिछली बार की तुलना में सात कम हो गई तो सीपीआई एमएल को दो सीटों का नुक़सान हो गया. कुल मिलाकर जेडीयू और बीजेपी की झोली में जितनी सीटें मिलीं उतने की उम्मीद तो वे ख़ुद भी नहीं कर रहे थे. शपथ बहरहाल बागडोर अब नीतीश के हाथों में है और जैसा कि दिल्ली में शरद यादव के घर पर हुई बैठक में तय हुआ बुधवार की शाम एनडीए के नेता राज्यपाल से मिलेंगे और सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे. नीतीश कुमार गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे और तय हुआ है कि उनके साथ 12 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी. अभी यह चर्चा चल ही रही है कि क्या बीजेपी का कोई उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा, लेकिन इसका फ़ैसला भी संभव है बुधवार को ही हो. तब तक दिल्ली से लेकर पटना तक जश्न जारी है और लालू प्रसाद यादव के खेमे में डेढ़ दशक बाद सन्नाटा पसरा हुआ है. |
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