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बिहार के मामले में फ़ैसला सुरक्षित | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
बिहार विधानसभा भंग करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने अपना फ़ैसला सुरक्षित रखा है. फ़ैसला 17 अक्तूबर के बाद सुनाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में विधानसभा चुनाव का पहला चरण शुरु होने के पहले विधानसभा को बहाल करने का विकल्प खुला रखा है. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधानसभा भंग करने के मामले को पाँच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिया था. न्यायमूर्ति वाईके सबरवाल की अध्यक्षता वाले पीठ ने छह दिन की सुनवाई के बाद कहा है कि यदि ज़रुरत हुई तो 18 अक्तूबर के पहले एक छोटा आदेश सुनाया जाएगा. बिहार के एक पूर्व विधायक की याचिका पर ये सुनवाई हो रही है. इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्यपाल ने दुर्भावनापूर्ण रिपोर्ट भेजी जिसके आधार पर केंद्र सरकार ने वहाँ विधानसभा को भंग करने का निर्णय लिया. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या राज्यपाल की रिपोर्ट को सार्वजनिक रुप से प्रकाशित किया जा सकता है? और इस पर सरकार ने राज्यपाल बूटा सिंह की रिपोर्ट को अदालत के सामने रखते हुए कहा था कि सरकार अपवाद स्वरुप इस रिपोर्ट को सार्वजनिक कर रही है. उल्लेखनीय है कि चुनाव के बाद सरकार न बन पाने की स्थिति के चलते बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था लेकिन कथित रुप से विधायकों की ख़रीदफ़रोख़्त कि रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार ने मई के महीने में विधानसभा को भंग करने का फ़ैसला किया था. सरकार के इस फ़ैसले से बड़ा बवाल हुआ था. लेकिन अब चुनाव आयोग बिहार में नई विधानसभा के गठन के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर चुका है और अधिसूचना जारी हो चुकी है. |
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