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हिंसा के साथ समझौता नहीं: मनमोहन | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है. उनका कहना था कि उनकी सरकार किसी भी समूह से बात करने को तैयार है लेकिन वह सांप्रदायिकता, चरमपंथ और अलगाववाद से सख़्ती से निपटेगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के पास ऐसे समूहों और उनकी घृणा की राजनीति से निपटने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. ऐसी विचारधारा का लोकतांत्रिक समाज में कोई स्थान नहीं है. मनमोहन सिंह ने कहा कि ऐसे राजनीतिक समूह जो समाज के विभिन्न तबकों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करते हैं, उनको चुनाव में हिस्सा लेकर अपनी लोकप्रियता प्रमाणित करनी चाहिए. उल्लेखनीय है कि सरकार जल्द ही जम्मू कश्मीर के अलगाववादी समूहों से बातचीत करने जा रही है. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने ये बातें जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर के अलगाववादियों और आंध्र के नक्सलवादी गुटों को ध्यान में रख कर कहीं हैं. राष्ट्रीय एकता परिषद की 13 साल के बाद बैठक हो रही है. इस बैठक का एजेंडा है-सरकार के कद़मों, शिक्षा और मीडिया के जरिए सांप्रदायिक सदभाव को बढ़ावा. गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बैठक में हिस्सा ले रहे हैं. लेकिन गुजरात की सांप्रदायिक हिंसा को लेकर उनके ऊपर उंगलियाँ उठती रही हैं. प्रेक्षक इस बैठक के लिए वितरित किए गए एजेंडे में गुजरात के सांप्रदायिक दंगों पर कुछ ही लाइनें देने के लिए सरकार को आड़े हाथों ले रहे हैं. इस परिषद के अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं और इसमें केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री और विभिन्न दलों के नेता हिस्सा ले रहे हैं. बैठक में हिस्सा लेनेवालों में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी, वीपी सिंह, इंदरकुमार गुजराल, सीपीआई के महासचिव एबी बर्धन और सीपीएम महासचिव प्रकाश कारत शामिल हैं. |
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