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सोमवार, 27 जून, 2005 को 14:40 GMT तक के समाचार
 
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श्रीलंका में सूनामी राहत पर हड़ताल
 
सूनामी से मची तबाही का एक मंज़र
सूनामी प्रभावित हज़ारों लोग अभी भी राहत का इंतज़ार कर रहे है
श्रीलंका के अल्पसंख्यक मुसलमान सूनामी राहा कार्य के लिए मिली कई अरब डॉलर की सहायता के वितरण में अधिक भूमिका की माँग को लेकर हड़ताल कर रहे हैं.

श्रीलंका के पूर्वी मुस्लिम क्षेत्र में हड़ताल के कारण जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया. स्कूल और दुकानें बंद रहीं और कई सड़कों पर गतिरोध लगाए जाने की ख़बरें मिली हैं.

श्रीलंका सरकार ने पिछले हफ़्ते तमिल विद्रोहियों के साथ सुनामी सहायता के बंटवारे के संबंध में एक समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए. लेकिन मुसलमानों का कहना है कि इस समझौते में उनके हितों को नज़रअंदाज़ कर दिया गया.

श्रीलंका की गठबंधन सरकार के फ़ैसले से नाख़ुश हो कर एक घटक दल ने सरकार से बाहर होने का फ़ैसला किया था जिसके चलते सरकार अल्पमत में आ गई है.

व्यापक विरोध

रौफ़ हकीम
मुस्लिम नेता रउफ़ हकीम समझौते में बराबरी की हिस्सेदारी चाहते हैं

श्रीलंका के पूर्वी इलाकों में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में हड़ताल का काफ़ी असर रहा. हालांकि शांति व्वस्था सामान्य रही, इन इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

मुस्लिम नैशनल युनीटी अलायंस नें संकेत दिए हैं कि अगर सरकार ने तमिल विद्रोहियों के साथ हुए समझौते को खारिज नहीं किया तो वो सत्तारुढ गठबंधन से बाहर होने पर विचार कर सकता है.

श्रीलंका की मुस्लिम काउंसिल ने विदेशी दाताओं से अपील की है कि वो सरकार पर इस बात के लिए दबाव डाले कि वो मुसलमानों को बराबरी का हिस्सेदार बनाए.

श्रीलंका में मुसलमान कुल जनसंख्या का 7.5 प्रतिशत हैं.

अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने श्रीलंका को सूनामी से प्रभावित लोगों के पुनर्वसन के लिए 3 अरब डॉलर की सहायता देने का वादा किया है. मगर अभी भी देश के हज़ारों लोगों को इस सहायता का इंतज़ार है.

दिसंबर में आए सूनामी तुफ़ान से श्रीलंका में लगभग 31 हज़ार लोग मारे गए थे और पांच लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए थे.

कई विश्लेषक मानते हैं कि सूनामी सहायता सामग्री के वितरण संबंधी समझौते का व्यापक विरोध इसलिए भी हो रहा है क्यों कि कुछ दलों को डर है कि आगे शांति प्रक्रिया मे इसका किसी मूल सिद्धांत की तरह इस्तेमाल हो सकता है.

नए सहायता समझौते के तहत राष्ट्रीय समिति में तीन सदस्य होंगे जिसमें एक सरकार, एक तमिल और एक मुसलमानों का प्रतिनिधी होगा. क्षेत्रीय समिति में पांच तमिल, तीन सरकारी और दो मुस्लिम सदस्य होंगे.

हालाँकि इस मुद्दे पर जेवीपी सरकार से बाहर होगई है, मुख्य विपक्षी दल युनाईटेड नैशनल पार्टी इस समझौते का समर्थन कर रही है.

 
 
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