|
बोफ़ोर्स मामले पर राजनीति तेज़ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
बोफ़ोर्स को लेकर भाजपा और काँग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप तेज़ हो गए हैं. भाजपा ने काँग्रेस और सीबीआई पर निशाना साधा और कहा कि वे बोफ़ोर्स दलाली मामले को 'दफ़नाने' का प्रयास कर रहे हैं. भाजपा के महासचिव अरुण जेटली ने आरोप लगाया कि यही वजह है कि सरकार ने हाईकोर्ट के फ़ैसले को चुनौती न देने का फ़ैसला किया है. दूसरी ओर, काँग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधा और कहा है कि राजीव गाँधी और सोनिया गाँधी के ख़िलाफ़ बोफ़ोर्स को लेकर ग़लत अभियान चलाने के लिए भाजपा को माफ़ी माँगनी चाहिए. दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को बोफ़ोर्स तोप सौदे में दलाली के मामले में तीनों हिंदुआ बंधुओं को बरी कर दिया था. भारतीय मूल के श्रीचंद और गोपीचंद हिंदुजा ब्रिटिश नागरिक हैं जबकि प्रकाश हिंदुजा के पास स्विटज़रलैंड की नागरिकता है. इन तीनों भाइयों पर आरोप लगा था कि उन्होंने बोफ़ोर्स तोपों का सौदा पक्का करवाने के लिए घूसखोरी और आपराधिक साज़िश का सहारा लिया था. मामला सत्रह साल पहले यह बात सामने आई थी कि स्वीडन की हथियार कंपनी बोफ़ोर्स ने भारतीय सेना को तोपें सप्लाई करने का सौदा हथियाने के लिए अस्सी लाख़ डॉलर की दलाली चुकाई थी. उस समय केंद्र में काँग्रेस की सरकार थी जिसके प्रधानमंत्री राजीव गाँधी थे. आरोप था कि राजीव गाँधी परिवार के नज़दीकी बताए जाने वाले इतालवी व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोकी ने इस मामले में बिचौलिए की भूमिका निभाई. बोफ़ोर्स तोप सौदा राजीव गाँधी की हार का कारण भी बना. काफ़ी समय तक राजीव गाँधी का नाम भी इस मामले के अभियुक्त्तों की सूची में शामिल रहा लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनका नाम इस मामले की फ़ाइल से हटा दिया गया था. |
| ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||