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बोफ़ोर्स मामले में हिंदुजा बंधु बरी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
दिल्ली हाईकोर्ट ने बोफ़ोर्स तोप सौदे में दलाली के मामले में तीनों हिंदुआ बंधुओं को बरी कर दिया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोग पक्ष अपने आरोपों को साबित करने में दस्तावेज़ों की मूल प्रति पेश नहीं कर सका. भारतीय मूल के श्रीचंद हिंदुजा और गोपीचंद ब्रिटिश नागरिक हैं जबकि प्रकाश हिंदुजा के पास स्विटज़रलैंड की नागरिकता है. दुनिया के सबसे अमीर भारतवंशियों में शामिल इन तीनों भाइयों पर आरोप लगा था कि उन्होंने बोफ़ोर्स तोपों का सौदा पक्का करवाने के लिए घूसखोरी और आपराधिक साज़िश का सहारा लिया था. जस्टिस आरएस सोढ़ी ने अपने 38 पेज के फ़ैसले में कहा,'' मूल दस्तावेज़ों के अभाव में हिंदुजा भाइयों अथवा बोफ़ोर्स के ख़िलाफ़ कोई मामला नहीं चलाया जा सकता.'' जस्टिस सोढ़ी ने फ़ैसले में इस बात पर अप्रसन्नता व्यक्त की कि यह मामला 14 साल तक चला और इस पर 250 करोड़ रुपए ख़र्च हुए. उन्होंने सीबीआई पर भी टिप्पणी की और कहा कि वह भविष्य में और अधिक ज़िम्मेदारी से काम करेगी. मामला सत्रह साल पहले यह बात सामने आई थी कि स्वीडन की हथियार कंपनी बोफ़ोर्स ने भारतीय सेना को तोपें सप्लाई करने का सौदा हथियाने के लिए अस्सी लाख़ डॉलर की दलाली चुकाई थी. इस ख़बर का खुलना था कि भारतीय राजनीति में मानो भूचाल आ गया था. उस समय केंद्र में काँग्रेस की सरकार थी जिसके प्रधानमंत्री राजीव गाँधी थे . आरोप था कि राजीव गाँधी परिवार के नज़दीकी बताए जाने वाले इतालवी व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोकी ने इस मामले में बिचौलिए की भूमिका निभाई. बोफ़ोर्स तोप सौदा राजीव गाँधी की हार का कारण भी बना. काफ़ी समय तक राजीव गाँधी का नाम भी इस मामले के अभियुक्त्तों की सूची में शामिल रहा लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनका नाम इस मामले की फ़ाइल से हटा दिया गया. |
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