|
पाकिस्तान को अमरीकी एफ़-16 विमान | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अमरीका ने 15 साल के इंतज़ार के बाद पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान देने का फ़ैसला किया है. अमरीकी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि पाकिस्तान को ये विमान अगले पाँच वर्षों में उसे दी जानेवाली तीन अरब डॉलर की सहायता के तहत दिए जाएँगे. इस क़दम को पाकिस्तान की आतंकवाद के विरूद्ध लड़ाई में अमरीका का साथ देने के इनाम के तौर पर देखा जा रहा है. अमरीकी अधिकारियों ने कहा है कि 11 सितंबर को हुए हमलों के बारे में जाँच के लिए गठित आयोग ने पाकिस्तान के साथ दीर्घकालिक सहयोग की सिफ़ारिश की थी. मगर उन्होंने कहा है कि इस फ़ैसले से दक्षिण एशिया के शक्ति संतुलन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. साथ ही उन्होंने भारत को भी एफ़ 16 विमान दिए जा सकने और परमाणु मामलों में सहयोग देने की संभावना जताई. इसके बाद देर रात भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर अमरीकी क़दम का स्वागत किया. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नवतेज सरना ने कहा,"अमरीकी प्रशासन का परमाणु ऊर्जा के मामले में सहयोग के फ़ैसले का हम स्वागत करते हैं और इससे ये पता चलता है कि उन्हें भारत की ऊर्जा की बढ़ती ज़रूरतों का अहसास है". मगर इससे पहले भारत ने पाकिस्तान को एफ़ 16 विमान दिए जाने के फ़ैसले पर निराशा जताई थी. बुश का फ़ोन
अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने शुक्रवार को भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से फ़ोन पर बात की जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा हुई. मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार संजय बारू ने बीबीसी को बताया कि अमरीकी राष्ट्रपति ने भारतीय समय के मुताबिक़ शाम क़रीब सवा सात बजे फ़ोन किया. बारू ने कहा, "बुश ने प्रधानमंत्री को बताया कि अमरीका ने पाकिस्तान को एफ़-16 लड़ाकू विमान देने का फ़ैसला किया है." संजय बारू ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री ने इस पर निराशा जताई कि अमरीका भारत की सुरक्षा चिंताओं की अनदेखी करके पाकिस्तान को लड़ाकू विमान दे रहा है. संजय बारू के अनुसार, "अमरीका के इस फ़ैसले से भारत के सुरक्षा माहौल के लिए नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं." उन्होंने बताया कि अमरीकी विदेश मंत्री कोंडोलीज़ा राइस की हाल की भारत यात्रा के दौरान भी भारत ने इस चिंता से अवगत करा दिया था. सुरक्षा चिंताएँ
संजय बारू ने यह भी कहा कि अमरीका भारत की सुरक्षा चिंताओं को भली-भाँति समझता है लेकिन यह चिंता का विषय है कि इसके बावजूद पाकिस्तान को एफ़-16 विमान दिए जा रहे हैं. ग़ौरतलब है कि राइस की भारत यात्रा के दौरान अमरीका ने भारत और ईरान के बीच गैस पाइप लाइन पर चिंता जताई थी. राइस ने संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई सदस्यता के दावे के बारे में भी कोई आश्वासन नहीं दिया था. पाकिस्तान को एफ़-16 लड़ाकू विमान देने का सौदा काफ़ी पहले हो चुका था लेकिन 1990 में पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के विरोध में यह आपूर्ति रोक दी गई थी. पाकिस्तान के सूचना मंत्री शेख़ अहमद रशीद ने इस बात की पुष्टि की कि अमरीका से एफ़-16 विमान मिल रहे हैं. उन्होंने कहा, "हम इस फ़ैसले का स्वागत करते हैं. यह हमारी सुरक्षा के लिए ज़रूरी था. इस फ़ैसले से अमरीका और पाकिस्तान के बीच अच्छे संबंधों का पता चलता है." शेख़ रशीद ने ये भी कहा कि पाकिस्तान जितने एफृ 16 विमान ख़रीदना चाहे ख़रीद सकता है. |
| ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||