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मुख्तार माई मामले में प्रधानमंत्री का हस्तक्षेप | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शौकत अज़ीज़ के आदेश पर मुख्तार माई के बलात्कार मामले में रिहा किए गए चार लोगों को फिर गिरफ़्तार कर लिया गया है. उन्होंने आदेश दिया है कि चारों लोगों को तब तक गिरफ़्तार रखा जाए जब तक पाकिस्तान का सुप्रीम कोर्ट उन्हें बरी किए जाने के अदालती फ़ैसले के ख़िलाफ़ की गई अपील का निपटारा नहीं कर देता. मुख्तार माई का मामला सन 2002 का है जब एक ग्रामीण पंचायत के कथित आदेश पर उनका बलात्कार हुआ. इससे पहले एक इस्लामी अदालत ने हाई कोर्ट के उस फैसले को निलंबित कर दिया था जिसमें पांच अभियुक्तों को बाइज्ज़त बरी कर दिया गया था. इससे पहले आतंकवाद विरोधी अदालत ने इन लोगों को मौत की सज़ा सुनाई थी. पाकिस्तान में महिला सगठनों ने इस पर पूरे देश में आंदोलन चलाया और मुख्तार माई को न्याय मिलने की माँग की. मुख्तार माई ने प्रधानमंत्री अज़ीज़ से मुलाकात की और अपनी सुरक्षा के बारे में चिंता व्यक्त की. प्रधानमंत्री अज़ीज़ ने उन्हें आश्वासन दिया था उनकी सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए जाएँगे और दोषियों को सज़ा दिलाई जाएगी. |
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