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शुक्रवार, 09 फ़रवरी, 2007 को 14:05 GMT तक के समाचार
 
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फ़तह और हमास के बीच समझौता
 
फ़लस्तीनी नेता
समझौते में यह स्पष्ट नहीं है कि इसराइल को किस तरह मान्यता मिलेगी
दो प्रमुख फ़लस्तीनी गुटों हमास और फ़तह के बीच राष्ट्रीय एकता की सरकार बनाने पर सऊदी अरब के शहर मक्का में सहमति बन गई है और दोनों पक्षों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.

फ़लस्तीनी प्रशासन के प्रमुख महमूद अब्बास और हमास के निर्वासित नेता खालिद मशाल ने समझौते पर हस्ताक्षर किए.

दोनों पक्षों के बीच कैबिनेट पदों और इसराइल को मान्यता देने के मामले पर मतभेद थे.

गज़ा पट्टी में हमास और फ़तह के बीच पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान हिंसक झड़पें हुई थीं जिनमें कई लोग मारे गए थे.

जनवरी 2006 में हुए चुनाव में हमास की जीत हुई थी.

दोनों गुटों के नेता समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मक्का में एक सरकारी भवन में इकठ्ठा हुए. बैठक के दौरान राष्ट्रीय एकता की सरकार में अधिकतर पदों के लिए सहमति बन गई.

गृह मंत्रालय का प्रमुख पद किसे दिया जाए, इसका फ़ैसला दोनों पक्ष आपसी विचार विमर्श के ज़रिए तय करेंगे.

दूसरी ओर बीबीसी संवाददाता जॉन लीन का कहना है कि यह साफ नहीं है कि नई सरकार इसराइल को किस रूप में मान्यता देगी.

उधर फ़लस्तीनी लोग हमास और फ़तह के बीच मक्का समझौते में राष्ट्रीय एकता की सरकार बनाने पर हुई सहमति का जश्न मना रहे हैं. लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि मक्का समझौता फ़लस्तीनियों के लिए अंतरराष्ट्रीय पाबंदियाँ हटाएगा या नहीं.

फ़लस्तीनियों में ख़ुशी

फ़लस्तीनियों के दो प्रमुख संगठनों – फ़तह और हमास के बीच समझौते से लोगों में बहुत खुशी है.

ग़ज़ा पट्टी पर एक अरब सज्जन ने कहा, "पिछले कुछ दिन हमारे लिए मुश्किलों से भरे रहे हैं लेकिन हमें खुशी है कि सऊदी अरब की मदद से ये समझौता हो सका है.”

ग़ज़ा के एक दूसरे अरब का कहना था कि इससे एक बड़ा फ़ायदा ये है कि फ़लस्तीनी एक दूसरे का ख़ून नहीं बहाएँगे, "बहुत हुआ. अब हम जीना चाहते हैं. या ख़ुदा बहुत हो चुका है. हमें और ख़ून ख़राबा नहीं चाहिए."

फ़लस्तीनी
हमास और फ़तह के बीच समझौत पर लोगों में ख़ुशी थी

बीबीसी के अरब मामलों के जानकार मग्दी अब्दुलहादी कहते हैं कि फ़तह इसराइल के साथ सभी मसले बातचीत से हल करना चाहता है और वह हमास की कई बातें मान चुका है. एक तरह से फ़तह अब राष्ट्रीय एकता की सरकार में हमास का छोटा भागीदार हो गया है. लेकिन आम फ़लस्तीनी के लिए बड़ा सवाल ये है कि इस समझौते के बाद अंतरराष्ट्रीय सहायता मिलती है या नहीं.

बीबीसी संवाददाता निक चाइल्ड्स कहते हैं कि ये निर्भर करेगा इसराइल और चार मध्यस्थ देशों के गुट पर. अभी तक इन चार मध्यस्थों में से संयुक्त राष्ट्र और रूस ने मक्का समझौते पर ख़ुशी ज़ाहिर की है, यूरोपीय संघ ने सतर्कतापूर्ण स्वागत किया है तो अमरीका की प्रतिक्रिया कुछ शक से भरी लगती है.

यूरोपीय संघ की विदेश मामलों की प्रवक्ता क्रिस्टीना गैलेट का कहना है कि वो मक्का समझौते के बारे में और जानना चाहेंगी, "हमारी पहली प्रतिक्रिया सकारात्मक है लेकिन कुछ सावधानी के साथ. यूरोपीय संघ हमेशा से ये कहता रहा है कि राष्ट्रीय एकता की सरकार फ़लस्तीनियों को एक परिवार की तरह साथ रख सकती है. लेकिन इसके अलावा अन्य मसलों को अभी हम देख रहे हैं.”

अमरीका और इसराइल का कहना है कि मक्का समझौता अंतरराष्ट्रीय माँगों की सभी शर्तों को पूरा नहीं करता लेकिन आने वाले दिनों में इस मसले पर रूस और कुछ यूरोपीय देश इस प्रगति को देखते हुए क़दम उठाने के लिए दबाव बढ़ा सकते हैं.

 
 
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