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क़र्ज़ माफ़ी योजना को मिली मंज़ूरी | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
विश्व बैंक ने ग़रीब देशों के क़रीब 55 अरब डॉलर के क़र्ज़ को माफ़ करने की धनी देशों की योजना पर अपनी सहमति दे दी है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पहले ही योजना को अपनी मंज़ूरी दे चुका है. विश्व बैंक की वाशिंग्टन में चल रही सालाना बैठक के बाद अमरीकी वित्त मंत्री जॉन स्नो ने बताया कि बैंक की विकास समिति क़र्ज़ माफ़ी की योजना का पूर्ण समर्थन करती है. उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के कार्यकारी बोर्ड क़र्ज़ माफ़ी के प्रस्ताव को जल्दी ही औपचारिक मंज़ूरी दे देंगे." धनी देशों के संगठन जी-8 के नेताओं ने जुलाई में स्कॉटलैंड के ग्लेनईगल में आयोजित शिखर सम्मेलन में क़र्ज़ माफ़ी का प्रस्ताव किया था. इसमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अलावा विश्व बैंक और अफ़्रीकी विकास बैंक के क़र्ज़ भी शामिल किए गए थे. बेल्जियम और नीदरलैंड्स जैसे कुछ देशों ने अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थानों को अतिरिक्त सहायता दिए बिना उनसे क़र्ज़ माफ़ी पर सहमत होने के दबाव को ग़लत बताया था. बाद में जी-8 देशों के इस आश्वासन के बाद क़र्ज़ माफ़ी का रास्ता साफ़ हुआ कि धनी देश विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के संसाधनों में कमी नहीं होने देंगे. अफ़्रीकी देशों को फ़ायदा विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की सहमति के बाद क़र्ज़ माफ़ी के प्रस्ताव का फ़ायदा सबसे पहले 18 निर्धनतम देशों को मिलेगा, जिनमें से अधिकतर अफ़्रीका में हैं. इन 18 निर्धनतम देशों के कुल 40 अरब डॉलर के क़र्ज़ माफ़ किए जाने का प्रस्ताव है. इस राशि में से क़रीब 70 प्रतिशत का क़र्ज़ विश्व बैंक ने दिया था, जबकि शेष अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और अफ़्रीकी विकास बैंक ने. आगे चल कर अन्य कई देश भी क़र्ज़ माफ़ी योजना में शामिल हो सकेंगे. क़र्ज़ माफ़ी की मुद्रा कोष की योजना इस साल के अंत तक लागू हो जाने की संभावना है. |
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