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धनी देशों की क़र्ज़ माफ़ी योजना मंज़ूर | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने ग़रीब देशों के क़रीब 55 अरब डॉलर के क़र्ज़ को माफ़ करने की धनी देशों की योजना पर अपनी सहमति दे दी है. धनी देशों के संगठन जी-8 के नेताओं ने जुलाई में स्कॉटलैंड के ग्लेनईगल में आयोजित शिखर सम्मेलन में क़र्ज़ माफ़ी का प्रस्ताव किया था. इसमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अलावा विश्व बैंक और अफ़्रीकी विकास बैंक के क़र्ज़ भी शामिल किए गए थे. उस समय सवाल उठाया गया था कि क्या क़र्ज़दाता संस्थाएँ जी-8 के प्रस्ताव को लागू करने पर सहमत हो भी पाएँगी या नहीं. लेकिन अब ये स्थिति है कि क़र्ज़ माफ़ी के प्रस्ताव पर मुद्रा कोष की सहमति मिल भी चुकी है, और विश्व बैंक रविवार को इस बारे में विचार कर रहा है. अमरीकी राजधानी वाशिंग्टन में दोनों संगठनों की सालाना बैठक चल रही है. सहमति अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मंत्रीस्तरीय शीर्ष समिति ने शनिवार को क़र्ज़ माफ़ी के प्रस्ताव पर अपनी सहमति दी. बैठक की अध्यक्षता कर रहे ब्रितानी वित्त मंत्री गॉर्डन ब्राउन ने पत्रकारों के समक्ष सहमति की घोषणा करते हुए कहा कि जल्दी ही मुद्रा कोष का कार्यकारी बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव को औपचारिक मंज़ूरी दे दी जाएगी. वाशिंग्टन से बीबीसी संवाददाता एंड्रयू वॉकर के अनुसार मुद्रा कोष की सहमति के बाद क़र्ज़ माफ़ी के प्रस्ताव का फ़ायदा सबसे पहले 18 निर्धनतम देशों को मिलेगा, जिनमें से अधिकतर अफ़्रीका में हैं. आगे चल कर अन्य कई देश भी क़र्ज़ माफ़ी योजना में शामिल हो सकेंगे. क़र्ज़ माफ़ी की मुद्रा कोष की योजना इस साल के अंत तक लागू हो जाने की संभावना है. |
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