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जापान और चीन के शीर्ष नेता मिले | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
चीन और जापान के बीच के विवाद के निपटारे के प्रयासों के तहत जापान के प्रधानमंत्री जुनिचिरो कोइज़ुमी ने चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ से मुलाक़ात की है. कोइज़ुमी ने कहा कि 55 मिनट चली बैठक बहुत अच्छी रही लेकिन उन्होंने तुरंत और कोई टिप्पणी नहीं की. चीनी राष्ट्रपति ने जापान से कहा कि वह युद्ध के समय के अपने इतिहास पर नज़र डाले और उनका कहना था कि यह विवाद बातचीत से सुलझ जाना चाहिए इन दोनों नेताओं की मुलाक़ात जकार्ता में एफ़्रो-एशियाई सम्मेलन के दौरान हुई. इस सम्मेलन पर लगातार इस विवाद की छाया मंडराती रही है. दोनों देशों के बीच विवाद का केंद्र जापान में हाल ही में पाठ्यक्रम में शामिल की गई नई किताबें हैं जिनमें चीन के अनुसार युद्ध के समय जापान के अत्याचारों की लीपापोती की गई है. जापानी प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को सम्मेलन में एक बार फिर कहा कि जापान को दूसरे विश्वयुद्ध पर बेहद अफ़सोस है. उन्होंने सम्मेलन में कहा,"जापान ने अतीत में अपने औपनिवेशिक शासन और दूसरे देशों पर कब्ज़े करने के प्रयास में कई देशों के लोगों को भारी क्षति पहुँचाई जिनमें एशियाई देश प्रमुख हैं". कोइजुमी ने कहा,"जापान बिना लाग-लपेटे के विनम्र भाव से इन ऐतिहासिक तथ्यों का सामना करता है". जापान की क्षमायाचना में जो कुछ कहा गया है वह बिल्कुल उसके पिछले बयानों के अनुरूप है. मगर विश्लेषकों की राय में अंतरराष्ट्रीय बैठक के कारण उसके ताज़ा बयान का वज़न बढ़ गया लगता है. जकार्ता में मौजूद बीबीसी के संवाददाता टिम जॉन्स्टर का कहना है कि जापान की ये क्षमायाचना से चीन की नाराज़गी थोड़ी कम कर सकती है. |
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