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शुक्रवार, 22 अप्रैल, 2005 को 06:16 GMT तक के समाचार
 
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जापान ने अत्याचारों के लिए माफ़ी मांगी
 

 
 
एफ़्रो-एशियाई देशों का सम्मेलन
एफ़्रो-एशियाई देशों के सम्मेलन काफ़ी अहम माना जा रहा है
जापान के प्रधानमंत्री जुनीचिरो कोईज़ुमी ने चीन के साथ संबंधों को सुधारने की कोशिशों के तहत एक बार फिर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के व्यवहार के लिए माफ़ी मांगी है.

कोईज़ुमी ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एशिया के देशों के ख़िलाफ़ जापान की कार्रवाईयों के लिए दुख प्रकट किया और माफ़ी मांगी.

उधर चीन ने इसका स्वागत किया है. चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री जुनीचिरो कोईज़ुमी का रवैया सकारात्मक है लेकिन कथनी से ज़्यादा महत्वपूर्ण करनी है.

कोईज़ुमी इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में एशिया और अफ़्रीका महाद्वीप के 105 देशों के तीन दिवसीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि जापान ने हमेशा इतिहास के तथ्यों को मानवीय पहलू से देखने की कोशिश की है.

पिछले दिनों जापान की पाठ्यपुस्तकों में विश्व युद्ध के दौरान जापान के अत्याचारों को कम करके दिखाए जाने के विरोध में चीन में ज़बर्दस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया था.

सम्मेलन का उदघाटन

इस सम्मेलन में दोनों महाद्वीपों के 50 से अधिक राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा ले रहे हैं.

सम्मेलन के उदघाटन के मौक़े पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुसीलो बम्बांग युधोयोनो ने हिस्सा ले रहे देशों को याद दिलाया कि पहले सम्मेलन में पृथक फ़लस्तीनी राष्ट्र का वादा किया गया था लेकिन यह अब भी अधूरा है.

इस सम्मेलन के सहआयोजक दक्षिण अफ़्रीकी देशों के राष्ट्रपति थाबो एम्बेकी ने शोषण करने वाली शाक्तियों के ख़िलाफ़ एकजुट होने का आह्वान. हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया.

उन्होंने दोनों महाद्वीपों के देशों से एचआईवी-एड्स और गरीबी के ख़िलाफ़ एकसाथ अभियान चलाने पर ज़ोर दिया.

संयुक्त राष्ट्र में सुधार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफ़ी अन्नान ने हिस्सा लेने वाले देशों से सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए तैयार रहने को कहा. इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र में सुधार पर चर्चा होनी है.

कोफ़ी अन्नान ने कहा कि 1945 में गठित संयुक्त राष्ट्र 2005 में भी उसी तरह नहीं चल सकता. इस संस्था में सुधार की ज़रूरत है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि वक्त आ गया है कि सुरक्षा परिषद का विस्तार किया जाए और विकासशील देशों को इसमें स्थान दिया जाए. लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि वे अकेले कोई निर्णय नहीं ले सकते हैं.

पचास साल पहले 1955 में इंडोनेशिया के बांडुंग में हुए एक सम्मेलन के ज़रिए गुट निरपेक्ष आंदोलन का जन्म हुआ था.

अब बांडुंग सम्मेलन को पचास साल हो चुके हैं और उसी की स्वर्ण जयंती मनाने के लिए ये नेता जकार्ता में इकट्ठा हुए हैं.

 
 
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