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मंगलवार, 31 अगस्त, 2004 को 13:16 GMT तक के समाचार
 
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इसराइल में विस्फोट, 16 की मौत
 
इसराइल में विस्फोट
विस्फोट दो बसों में हुए
इसराइल में पुलिस ने कहा है कि दो आत्मघाती हमलों में कम से कम 16 लोगों के मारे गए हैं और 80 से ज़्यादा घायल हो गए.

इसराइली पुलिस ने बम धमाकों के पीछे फ़लस्तीनी हमलावरों का हाथ बताया है.

ऐसी ख़बरें है कि फ़लस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास ने इन हमलों की ज़िम्मेदारी ली है.

इसराइल सरकार और फ़लस्तीनी प्रशासन ने इन हमलों की निंदा की है.

इसराल के प्रधानमंत्री अरियल शेरॉन ने कहा, "आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई पूरी ताक़त के साथ लड़ी जाएगी."

एक फ़लस्तीनी मंत्री साएब एराकात ने कहा, "फ़लस्तीनी प्रशासन ऐसे हमलों की निंदा करता है जिनमें आम लोगों की जान जाए, चाहे वे इसराइली हों या फ़लस्तीनी."

साएब इराकात ने अंतरराष्ट्रीय शांति योजना के समर्थकों तुरंत दख़लअंदाज़ी की अपील की ताकि शांति जल्दी स्थापित की जा सके.

पुलिस का कहना है कि बम धमाके इसराइल के दक्षिणी शहर बीरशेवा में बसों में दो बसों में हुए और दोनों बसें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं.

विस्फोट के समय दोनों बसें 100 मीटर के फासले पर चल रही थीं.

एक बस की कुछ खिड़कियाँ टूटकर बिखर गईं और एक बस की छत में आग लग गई.

धुएँ के बादल

एक बस का चालक याकोव कोहेन इस हमले में बाल-बाल बच गया. कोहेन ने कहा, "मैं एक मोड़ पर था कि अचानक एक धमाके की आवाज़ सुनाई दी और उसके बाद तो धुएँ के बादल उमड़ पड़े."

 मैं समझ चुका था कि मेरे आगे वाली बस में विस्फोट हुआ है और मैंने अपनी बस रोक दी. मैंने यह सोचते हुए सारी दरवाज़े-खिड़कियाँ खोल दिए कि हमें भाग निकला चाहिए.
 
बस का चालक

"मैं समझ चुका था कि मेरे आगे वाली बस में विस्फोट हुआ है और मैंने अपनी बस रोक दी. मैंने यह सोचते हुए सारी दरवाज़े-खिड़कियाँ खोल दिए कि हमें भाग निकला चाहिए."

कोहेन ने कहा कि इससे पहले कि लोग भाग पाते, उनकी बस में भी ज़ोरदार धमाका हो गया.

"लेकिन दरवाज़े-खिड़कियाँ खुलने पर बहुत से लोग बाहर निकलने में कामयाब हो गए. बाहर मैंने क्या देखा, यह बताना मुश्किल है."

एक एंबुलेंस के कर्मचारी अवी ज़ोहर ने बताया कि बसों में बच्चो और अभिभावक बैठे थे जो स्कूल खुलने से पहले बच्चों के लिए शैक्षिक सामान ख़रीदने जा रहे थे.

इन विस्फोटों के तुरंत बाद इसराइली रेडियो और टेलीविज़न पर यह ख़बर प्रसारित की गई कि तीसरा विस्फोट भी हुआ लेकिन यह ख़बर बाद में झूठी निकली.

इससे पहले दस मार्च को ग़ज़ा पट्टी के पास इसी तरह के आत्मघाती हमले हुए थे जिनमें दस लोग मारे गए थे.

यरूशलम में बीबीसी संवाददाता डेविड चज़ान का कहना है कि तब से कुछ शांति बनी हुई थी हालाँकि कुछ छुटपुट हिंसक घटनाएँ हो रही थीं.

 
 
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