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गज़ा से यहूदियों को हटाने की नई योजना | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
इसराइली प्रधानमंत्री अरियल शेरॉन ने गज़ा पट्टी से यहूदियों बस्तियों को हटाने के लिए एक नया टाइम टेबल सामने रखा है. सत्ताधारी दल के सांसदों की एक बैठक में उन्होंने कहा कि वे अपनी इस योजना में तेज़ी लाना चाहते हैं. इस मसले पर सोमवार को प्रधानमंत्री शेरॉन की मंत्रियों के साथ तीखी बहस हुई थी. अब शेरॉन सत्ताधारी दल लिकुद के सांसदों पर दबाव डाल रहे हैं. प्रधानमंत्री शेरॉन के क़रीबी लोगों का कहना है कि वे चाहते हैं कि गज़ा पट्टी इलाक़े से फ़रवरी में यहूदियों बस्तियों को हटाना शुरु किया जाए और इसके बाद सभी लोगों को जितनी जल्दी संभव हो सके वहाँ से हटा लिया जाए. मई में उन्होंने जो योजना रखी थी उसमें कहा गया था कि यहूदी बस्तियों को कई चरणों में गज़ा पट्टी क्षेत्र से हटाया जाएगा. विवाद इस कार्ययोजना पर काम करने के लिए इसराइली संसद में कई क़ानून पारित करवाने होंगे. जनमत-सर्वेक्षण दर्शाते हैं कि ज़्यादातर इसराइली लोग ग़ज़ा पट्टी और पश्चिमी तट के कुछ हिस्सों से इसरायल की एकतरफ़ा वापसी का समर्थन करते हैं. लेकिन शेरॉन की लिकुद पार्टी ने मई महीने के शुरू में प्रधानमंत्री की ग़ज़ा योजना के ख़िलाफ़ मतदान किया था. उनके मंत्रिमंडल में भी इस योजना को लेकर गहरे मतभेद हैं और इसी मतभेद के चलते मई में इस कार्ययोजना को लेकर बहस को टालना पड़ा था. लेकिन बीबीसी संवाददाता जॉन लाइन का कहना है कि अब अरियल शेरॉन दबाव बनाने के अपने विशिष्ट अंदाज़ में काम कर रहे हैं. |
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