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तनख़्वाह से ज़्यादा टेलीफ़ोन का बिल | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
जोर्डन के एक आदमी ने अपनी पत्नी को तलाक़ दे दिया. वजह यह थी कि पत्नी अपना सारा वक़्त टेलीफ़ोन पर बातें करने में बिताती थी. अबू सामी का कहना है कि उनके टेलीफ़ोन के जो बिल आते थे वे उनकी तनख़्वाह से तीन गुना ज़्यादा होते थे. इससे पहले इसी बात को लेकर इस दम्पत्ति में इतना मनमुटाव बढ़ा कि उन्हें दो बार संबंध तोड़ने पड़े. लेकिन घरवालों के समझाने-बुझाने से मामला सुलझ गया. अबू सामी का कहना है, "मेरी बीवी टेलीफ़ोन पर घंटों अपनी बहिनों और सहेलियों से गप्पें मारती रहती है". "कभी नए-नए व्यंजनों पर बातचीत हो रही है तो कभी बदलते फ़ैशन पर. मैं चुपचाप बिल का भुगतान कर दिया करता था". उनका कहना है कि फिर उनकी पत्नी ने अरब सैटेलाइट चैनेल की एक प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए अंतरराष्ट्रीय कॉल करना शुरू कर दीं. और तब उन्हें लगा कि पानी सिर से ऊँचा हो गया है. इस्लामी क़ानून के मुताबिक वे दोनों तब तक दोबारा पति-पत्नी नहीं बन सकते जब तक उस महिला की किसी और से शादी न हो. इसलिए अब घरवालों के समझाने-बुझाने का भी कोई असर नहीं होगा. |
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