पूर्वी चीन सागर में चीन ने बनाया 'हवाई सुरक्षा क्षेत्र'

चीन ने चीन सागर के पूर्वी इलाके को 'हवाई-रक्षा पहचान क्षेत्र' घोषित कर दिया है. इस क्षेत्र में वे द्वीप भी शामिल हैं जिन पर जापान भी दावा करता है.
चीन के रक्षा मंत्री ने कहा है कि इस <link type="page"><caption> खास क्षेत्र</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2012/11/121125_china_warship_jet_fma.shtml" platform="highweb"/></link> में जो भी विमान प्रवेश करेगा उसे इसके नियमों का पालन करना होगा, अन्यथा वे "आपातकालीन सुरक्षा उपायों" का सामना करने के लिए तैयार रहें.
यह क्षेत्र शनिवार को स्थानीय समय के मुताबिक 10.00 बजे (02.00 जीएमटी) से प्रभावी हो गया है.
यह द्वीप जापान में सेनकाकू और चीन में डिओयू के नाम से जाना जाता है. इस द्वीप के कारण दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है.
रक्षा मंत्री ने अपने एक बयान में कहा है कि यह ज़रूरी है कि विमान "दोतरफा रेडियो संवाद" कायम रखते हुए अपनी उड़ान संबंधी योजना की रिपोर्ट करें, और पहचान से जुड़ी पूछताछ का "समय पर और उचित तरीके" से जवाब दें.
उन्होंने बयान में आगे कहा, "जो <link type="page"><caption> विमान</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/china/2012/09/120925_international_others_china_ss.shtml" platform="highweb"/></link> पहचान से जुड़े सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं देते या जरूरी निर्देशों का पालन नहीं करते हैं उनके खिलाफ चीनी का सशस्त्र बल सुरक्षा से जुड़े आपातकालीन कदम उठाएगा.
जापान से तनाव
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने ट्विटर पर एक नक्शा लगाया है जिसमें पूर्वी चीन सागर का विस्तृत इलाक़े को घेरा गया है. इसमें वे क्षेत्र भी शामिल हैं जो दक्षिणी कोरिया और जापान के बेहद करीब हैं.
<link type="page"><caption> सरकारी वेबसाइट</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/china/2011/12/111215_china_submarine_va.shtml" platform="highweb"/></link> पर दिखाए गए इस क्षेत्र से संबंधित सवालों का जवाब देते हुए रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता, यांग युजन कहते हैं कि चीन ने "देश की संप्रभुता, क्षेत्रीय भूमि और हवाई सुरक्षा की रक्षा करने और उड़ान व्यवस्था को बनाए रखने" के उद्देश्य से ऐसा किया है.
उन्होंने कहा, "यह कदम किसी ख़ास देश या लक्ष्य को साधने के लिए नहीं किया उठाया गया है. चीन ने अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक संपन्न होने वाली उड़ानों का हमेशा सम्मान किया है."
उन्होंने कहा, "वैसे इससे पूर्वी चीन सागर हवाई सुरक्षा पहचान क्षेत्र में अंतराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों के अनुसार उड़ान भरने वाले सामान्य विमानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. "
जापान ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
विवाद की वजह

यह द्वीप दशकों से चीन और जापान के बीच तनाव का कारण रहा है.
साल 2012 में जापान सरकार ने तीन द्वीप खरीदे जिनके मालिक जापानी थे. इसका चीन के शहरों में बड़े पैमाने पर विरोध हुआ था.
तब से, चीनी जहाज बार-बार उन इलाकों से गुजरते रहे हैं जिनके बारे में जापान का दावा है कि ये जापानी जल क्षेत्र हैं.
इस साल सितंबर में जब एक मानवरहित चीनी ड्रोन विवादित द्वीप के बेहद नजदीक देखा गया था तब जापान ने चीन को धमकी देते हुए कहा था कि वह जापानी हवाई इलाके में घुसने वाले मानवरहित विमानों को मार गिराएगा.
जवाब ने चीन ने कहा था कि यदि जापान ने चीनी विमान को मार गिराने की कोई भी कोशिश की तो जंग छिड़ जाएगी.
पिछले महीने जापान के रक्षा मंत्री सुनोरी ओनोडरा ने एक बयान में कहा था कि विवादित पूर्वी चीन सागर द्वीप में चीन का रवैया शांति भंग करने वाला है.
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