यहूदियों का फ़लस्तीनी बस्ती पर हमला: 'ये बहुत भयावह था, सेना ने भी नहीं की मदद'

जली हुई गाड़ियों के पास से गुज़रता एक फ़लस्तीनी बच्चा

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इमेज कैप्शन, जली हुई गाड़ियों के पास से गुज़रता एक फ़लस्तीनी बच्चा
    • Author, टॉम बेटमैन
    • पदनाम, बीबीसी संवाददाता, हवारा से

हवारा गांव में जले हुए घरों की दीवारें काली हो गई हैं, झुलसी हुई गाड़ियों पर राख की परत है और लोग सदमे और ख़ौफ में हैं. हवा में कड़वाहट घुली है और उस रात की बात करते हुए लोगों के चेहरे पर ख़ौफ़ साफ़ नज़र आता है.

यहां रहने वाले लोगों ने बीबीसी को बताया कि हाथों में सरिये और हथियार लिए आई हमलावर भीड़ ने घरों, दुकानों और गाड़ियों में आग लगाने से पहले कई घंटे तक तांडव मचाया था.

रविवार को इस फ़लस्तीनी क़स्बे पर हाल के सालों का इसराइली लोगों का सबसे बड़ा हमला हुआ. एक फ़लस्तीनी बंदूकधारी के दो यहूदी युवाओं की हत्या करने के कुछ घंटे बाद ही ये हिंसा हुई थी.

अपने घर के बाहर बीबीसी से बात करते हुए अब्दुल नासिर अल जुनैदी ने कहा, "यहूदियों ने हमारे घर पर हमला किया. उन्होंने खिड़कियां तोड़ दीं और मेरे भतीजे की कार और ट्रक में आग लगा दी. उन्होंने मेरे गाड़ियों के शोरूम में घुसकर उसे भी आग लगाने की कोशिश की."

वो बताते हैं कि अपने बच्चों की जान बचाने के लिए वो आनन-फ़ानन में उन्हें लेकर छत की तरफ़ दौड़े.

जुनैदी कहते हैं, "सेना ने हमें बचाने के लिए कुछ नहीं किया. सेना यहूदियों का समर्थन कर रही थी और उनकी रक्षा कर रही थी. सिर्फ़ हमलावर ही नहीं बल्कि सैनिक भी गोली चला रहे थे. हम बहुत डरे हुए थे. जो हुआ है वो एक बहुत बर्बर और हिंसक हमला था."

इसराइल के क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक में उत्तर से दक्षिण की तरफ़ जाने वाले रूट 60 पर ये क़स्बा बसा है. जब आप इस क़स्बे में पैदल चलते हैं तो आपको दिखने लगता है कि किस बड़े पैमाने पर हिंसा हुई है.

हिंसक भीड़ ने घरों, गाड़ियों, दुकानों और पेड़ों को आग लगा दी

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कितना भयानक था हमला

एक के बाद एक बर्बाद घर दिखते हैं, दर्जनों दुकानें और सैकड़ों जली हुई गाड़ियां दिखाई देती हैं. एक पुरानी कारों के बिक्री केंद्र को भी आग लगा दी गई.

फ़लस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़ जतारा क़स्बे में गोली लगने से 37 वर्षीय फ़लस्तीनी समाह अक़ताश की मौत हो गई. यहां दर्जनों अन्य लोग घायल हुए हैं.

हमलावरों ने एक घर के बाहर जलते हुए टायर डाल दिए जिसकी वजह से परिवार घर के भीतर ही फंस गया. आपात सेवाओं को इस परिवार को बाहर निकालना पड़ा.

मुख्य हाइवे से कई सौ मीटर दूर एक परिवार जान बचाने की कोशिशें कर रहा था क्योंकि उनके घर पर भी हमला हुआ था.

अपने जले हुए घर के कमरे में बात करते हुए ओदे अल दोमादी बीबीसी से कहते हैं, "मेरी पत्नी, मेरे भाई की पत्नी और हमारे छोटे-छोटे बच्चे घर में मौजूद थे, वो चिल्ला रहे थे, बच्चे रो रहे थे. हमलावर वहीं थे और हम उन तक नहीं पहुंच पा रहे थे."

दोमादी नबलूस में काम करते हैं. जब उन्होंने सुना कि यहूदी सेटलर बदले के लिए मार्च निकालने जा रहे हैं तो वो तुरंत अपने घर की तरफ़ दौड़े. मारे गए यहूदी भाई हिलेल और यागेल यानीव हार ब्राचा में रहते थे जो नब्लूस से सिर्फ़ 2 किलोमटर दूर है.

वो बताते हैं, "हथियारों से लैस तीस हमलावर थे जो घर पर हमला कर रहे थे. जब हम अपने घर पहुंचे तो उन्होंने हमें देख लिया, उन्होंने हम पर पत्थर फेंके और मेरे भाई का कंधा तोड़ दिया."

"मैंने सैनिकों की तरफ़ आवाज़ लगाकर कहा कि वो हमलावरों को रोकें और बच्चों की जान बचाएं, लेकिन जवाब में एक सैनिक ने मेरी तरफ़ गोली चला दी और चिल्लाकर कहा कि घर के भीतर ही रहो."

दोमादी किसी तरह अपने परिवार के बच्चों और औरतों को घर के दूसरे हिस्से में सुरक्षित ले जाने में कामयाब रहे.

दो यहूदी भाइयों के ताबूत को ले जाते इसराइली सैनिक

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इमेज कैप्शन, दो यहूदी भाइयों के अंतिम संस्कार के दौरान ताबूत को ले जाते इसराइली सैनिक

फ़लस्तीनियों पर हमलों की बड़ी वजह क्या

वो कहते हैं, "सबसे बुरा अनुभव है जो बच्चों को सहना पड़ा. जो दहशत और अफ़रा तफ़री उन्होंने देखी. हमलावरों के जाने के बाद भी वो डर से कांप रहे थे. मेरे बच्चे रो-रोकर कह रहे थे कि मैं उन्हें छोड़ कर कहीं ना जाऊं."

इसराइली सेना ने हमले के दौरान अपनी कार्रवाई का बचाव किया है, लेकिन एक सैन्य अधिकारी का कहना था, "जिन सैनिकों को तैनात किया गया था उनकी समझ पर सवाल उठाए जा सकते हैं."

मानवाधिकार समूह लंबे समय से ये कहते रहे हैं कि वेस्ट बैंक में फ़लस्तीनियों पर हमलों की एक बड़ी वजह ये है कि हमलावर यहूदी समूहों पर कार्रवाई नहीं की जाती है. वेस्ट बैंक के आसपास अधिकतर यहूदियों को बाहर से लाकर बसाया गया है. ख़ासकर वैचारिक रूप से कट्टर यहूदी हवारा और नब्लूस के आसपास ही बसे हैं.

इस समय इसराइल की गठबंधन सरकार में कट्टरवादी यहूदी पार्टी भी शामिल है जो यहूदियों की बस्तियां बसाने का समर्थन करती है.

मानवाधिकार समूहों का मानना है कि हिंसा में इजाफ़े की एक वजह इस पार्टी का सत्ता में होना भी है.

वीडियो कैप्शन, इसराइल फ़लस्तीनियों के बीच अल-अक़्सा मस्जिद को लेकर क्या विवाद है?

बढ़ती चिंता

इसराइल की पुलिस कहती रही है कि वो इस तरह के हमलों की जांच करती है, लेकिन कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये सिर्फ़ दिखावे की बात है.

फ़लस्तीनी शहरों में इसराइली सेना भी छानबीन के लिए छापेमारी करती रहती है. इसराइली सेना की बढ़ती छापे की कार्रवाई, इसराइली लोगों के ख़िलाफ़ फ़लस्तीनियों के बढ़ते हिंसक हमलों के बीच ये चिंता बढ़ रही है कि यहां हालात अनियंत्रित हिंसा तक पहुंच सकते हैं.

ये आशंका बढ़ रही है कि अब हालात विस्फोटक स्थिति में पहुंच गए हैं, ख़ासकर इन बढ़ते संकेतों के मद्देनज़र कि फ़लस्तीनी प्रशासन अमेरिका के नेतृत्व में मदद के लिए हो रहे प्रयासों के बावजूद मुख्य शहरों में अपने सीमित सुरक्षा नियंत्रण पर पकड़ मज़बूत नहीं कर पा रहा.

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