शी जिनपिंग सऊदी अरब दौरे में छाए, क्राउन प्रिंस क्यों नहीं आए थे भारत?

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सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन-सलमान नवंबर के पहले हफ़्ते में भारत आने वाले थे.
15-16 नवंबर को इंडोनेशिया के बाली में जी-20 समिट था.
मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात कही जा रही थी कि सऊदी क्राउन प्रिंस बाली जाने से पहले भारत और पाकिस्तान के दौरे पर आने वाले थे.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने तो इसकी पुष्टि भी कर दी थी. हालाँकि भारत की ओर इस मामले में कुछ भी कहने को लेकर सावधानी बरती जा रही थी.
अचानक 12 नवंबर को ख़बर आई कि सऊदी क्राउन प्रिंस भारत नहीं आएँगे. कहा गया कि क्राउन प्रिंस का यह दौरा अब बाद में होगा.
लेकिन सऊदी क्राउन प्रिंस बाली में जी-20 समिट में शामिल होने के बाद दक्षिण कोरिया के दौरे पर गए थे. दक्षिण कोरिया में उन्होंने कई समझौते भी किए थे.
बाली में जी-20 समिट में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गए थे, लेकिन क्राउन प्रिंस के साथ इस समिट से अलग कोई आधिकारिक द्विपक्षीय बैठक नहीं हुई थी.
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भारत और सऊदी में सब ठीक है?
इसी बीच ख़बर आई कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सऊदी अरब के तीन दिवसीय दौरे पर पहुँच रहे हैं. क्या भारत और सऊदी अरब के बीच सब कुछ ठीक चल रहा है?
इसी साल जून महीने में बीजेपी की प्रवक्ता रहीं नूपुर शर्मा ने पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर एक विवादित टिप्पणी की थी तो सऊदी ने आधिकारिक रूप से कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी.
इसे लेकर दुनिया भर के इस्लामिक देशों ने विरोध जताया था. बीजेपी ने नूपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया था.
भारत के जाने-माने तेल विशेषज्ञ और सत्ताधारी बीजेपी से जुड़े नरेंद्र तनेजा ऐसा नहीं मानते हैं कि सऊदी और भारत के बीच किसी किस्म का तनाव है.
वह कहते हैं, ''क्राउन प्रिंस का नवंबर में भारत दौरा टलना सामान्य-सी बात थी. चीन के राष्ट्रपति के सऊदी अरब दौरे को अमेरिका के आईने में देखना चाहिए न कि भारत के आईने में. चीन को हथियार बेचना है और सऊदी को इसकी ज़रूरत भी है. सऊदी अरब को अमेरिका हथियार आसानी से दे नहीं रहा है. ऐसे में दोनों एक-दूसरे की ज़रूरत हैं.''
तनेजा कहते हैं, ''सऊदी अरब अमेरिका को संदेश देना चाहता है कि वह उसे बँधा हुआ ना समझे. दो महीने पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन भी सऊदी अरब के दौरे पर गए थे. बाइडन सऊदी को मनाने गए थे कि वह तेल का उत्पादन बढ़ाए, लेकिन क्राउन प्रिंस ने इसे भी स्वीकार नहीं किया था.''
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अमेरिका के लिए संदेश
''सऊदी अरब और चीन का गहराता संबंध अमेरिका के लिए बुरी ख़बर है न कि भारत के लिए. जी-7 ने रूस के तेल पर प्राइस कैप लगाया है. ऐसे में रूस से जिस मात्रा में तेल भारत ख़रीद रहा था, वह प्रभावित होगा. यह सऊदी अरब के फ़ायदे वाला साबित होगा क्योंकि भारत रूस वाली कटौती की पूर्ति सऊदी से ही करेगा.''
भारत और सऊदी अरब के बीच संबंध को कई विश्लेषक तेल से आगे देखते हैं.
खाड़ी के देशों में कुल 90 लाख भारतीय काम करते हैं और ये कमाकर हर साल 50 अरब डॉलर से ज़्यादा भारत भेजते हैं.
सऊदी और भारत के राजयिक संबंध 1947 में कायम हुए थे और दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय दौरे भी हुए थे.
1955 में सऊदी के तत्कालीन किंग सऊद बिन अब्दुल अज़ीज़ अल सऊद भारत के 17 दिवसीय दौरे पर आए थे.
1956 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी सऊदी अरब का दौरा किया था. इसके बाद अप्रैल 1982 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी सऊदी अरब का दौरा किया था.
2006 में किंग अब्दुल्लाह के भारत दौरे को ऐतिहासिक माना जाता है. इस दौरे में दिल्ली डिक्लेरेशन पर हस्ताक्षर हुआ था.
इसे दोनों देशों के रिश्ते में सबसे अहम माना जाता है. इसके बाद मार्च 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सऊदी का दौर किया था और रियाद डिक्लेरेशन पर हस्ताक्षर हुआ था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्तूबर 2019 में सऊदी अरब का दौरा किया था. इस दौरे में स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल अग्रीमेंट पर समझौता हुआ था.
चीन खाड़ी के देशों के लिए काफ़ी अहम देश है. खाड़ी के देशों के तेल उत्पादन का चीन सबसे बड़ा ख़रीदार देश है. खाड़ी के देशों के लिए अब ट्रेड के मामले में चीन के साथ भारत, दक्षिण कोरिया और जापान अहम देश हैं.
सऊदी अरब ने तो अपनी विदेश नीति में लुक ईस्ट पॉलिसी को रणनीति की तरह अपनाया है.
यूएई में ज़ाएद यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफ़ेसर जोनाथन फ्लुटन ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा है, ''मध्य-पूर्व के हर देश में चीन बड़ा ट्रेड पार्टनर बन कर उभरा है. इस इलाक़े में चीन की कंपनियों ने कई अनुबंध किए हैं और ये निवेश के अहम स्रोत हैं.''
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शी जिनपिंग का सऊदी दौरा
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग बुधवार को सऊदी अरब की राजधानी रियाद पहुँच गए हैं. सऊदी अरब की सरकारी समाचार एजेंसी सऊदी प्रेस एजेंसी के मुताबिक़ शी जिनपिंग सऊदी अरब के तीन दिवसीय दौरे पर हैं.
चीनी राष्ट्रपति का सऊदी दौरा कोरोना महामारी के बाद तीसरा विदेशी दौरा है. किंग ख़ालिद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर शी जिनपिंग की अगवानी में रियाद के गवर्नर प्रिंस फ़ैसल बिन बंदार और विदेश मंत्री प्रिंस फ़ैसल बिन फ़रहान खड़े थे.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 9 दिसंबर तक सऊदी अरब में रहेंगे. नौ दिसंबर को सऊदी-चाइना समिट है, जिसकी अध्यक्षता सऊदी अरब के किंग सलमान और चीनी राष्ट्रपति करेंगे.
इस समिट में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान भी रहेंगे. शी जिनपिंग दो और बैठक में शरीक होंगे. एक चाइना गल्फ़ समिट और चाइना अरब समिट प्रस्तावित है.
इन दोनों बैठकों में गल्फ़ कॉपरेशन काउंसिल (जीसीसी) देशों और अरब देशों के शामिल होने की उम्मीद है. जीसीसी के महासचिव नाएफ़ अल-हजराफ़ ने कहा है कि शुक्रवार को चाइना-गल्फ़ समिट होगा.
रियाद में एयरपोर्ट पर पहुँचने के बाद चीनी राष्ट्रपति ने कहा है कि वह अरब और खाड़ी के देशों से संबंध और मज़बूत करना चाहते हैं.
शी जिनपिंग ने कहा कि वह इस दौरे में अरब और गल्फ़ चाइना समिट में शामिल होंगे. चीनी राष्ट्रपति ने सऊदी अरब से द्विपक्षीय संबंध भी मज़बूत करने की बात कही है. 2016 के बाद चीनी राष्ट्रपति का यह पहला सऊदी अरब दौरा है.
सऊदी से क़रीबी संबंधों को लेकर शी जिनपिंग ने कहा, ''दोनों देशों के बीच व्यावहारिक संबंध पारस्परिक हितों से जुड़े हैं. क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों में दोनों देश आपसी समन्वय से काम करते हैं. 2016 में कॉम्प्रिहेन्सिव स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप के बाद दोनों देशों के बीच भरोसा बढ़ा है. दोनों देशों के आपसी संबंधों से इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता और प्रगति को बढ़ावा मिला है.''
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चीन और सऊदी की दोस्ती
शी जिनपिंग के दौरे पर सऊदी प्रेस एजेंसी ने लिखा है कि चीनी राष्ट्रपति का यह छह साल बाद दौरा हुआ है. एसपीए के अनुसार, शी जिनपिंग ने कहा कि पिछले 32 सालों से दोनों देशों के बीच दोस्ती और भरोसे का रिश्ता है.
सऊदी और चीन की कंपनियों ने बुधवार शाम 34 निवेश समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. ये समझौते सऊदी अरब के निवेश मंत्री की मौजूदगी में हुए हैं.
ये समझौते ग्रीन एनर्जी, हाइड्रोजन, सूचना प्रौद्योगिकी, क्लाउड सर्विस, ट्रांसपोर्टेशन, लॉजिस्टिक, मेडिकल इंडस्ट्रीज़ और हाउसिंग के क्षेत्र में हुई है.
दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार भी लगातार बढ़ रहा है. 2021 में दोनों देशों के बीच व्यापार 304 अरब रियाल का हुआ था और 2022 की तीसरी तिमाही में दोनों देशों के बीच व्यापार 103 अरब रियाल का हुआ है.
शी जिनपिंग के सऊदी दौरे पर सऊदी अरब के वित्त और योजना मंत्री फ़ैसल बिन फ़देल अल-इब्राहिम ने कहा है कि चीन दुनिया का सबसे बड़ा तेल आयातक देश है.
उन्होंने कहा, ''चीन हमारा रणनीतिक साझीदार है. 2022 की पहली तिमाही में सऊदी अरब ने चीन को 65.5 अरब रियाल का निर्यात किया. इसी अवधि में सऊदी से चीन में निर्यात 29.4 फ़ीसदी बढ़ा है.
वहीं इसी अवधि में चीन से सऊदी अरब का आयात 37.4 अरब रियाल का रहा. चीन से सऊदी का आयात पिछले साल इसी अवधि की तुलना में 22.9 प्रतिशत बढ़ा है.''
(कॉपी - रजनीश कुमार, बीबीसी संवाददाता)
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