इसराइल के पूर्व प्रधानमंत्री नेतन्याहू को ट्रंप ने जमकर सुनाई

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एक समय बेहद क़रीबी रहे इसराइल के पूर्व प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू की अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कड़ी आलोचना की है और उन पर 'बेईमानी' का आरोप लगाते हुए अपशब्द कहे हैं.
नेतन्याहू ने जिस तरह से चुनाव में जीत के बाद जो बाइडन को बधाई दी थी उससे ट्रंप 'आगबबूला' थे और उन्होंने नेतन्याहू के लिए एक अपशब्द का भी प्रयोग किया था.
ट्रंप ने कहा था कि उन्हें लगता था कि वो इसराइल को तबाही से बचा सकते हैं.
ट्रंप ने यह बात एक किताब को लेकर दिए गए इंटरव्यू में कही है. यह किताब मध्य-पूर्व में शांति बहाली में उनकी भूमिका को लेकर है.
अमेरिकी प्रशासन में 2017 से लेकर 2021 तक रहे ट्रंप के कार्यकाल को इसराइल के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है. दोनों देशों के इतिहास में अमेरिका और इसराइल कभी भी इतना क़रीब न रहे.
ट्रंप जब अमेरिकी राष्ट्रपति थे तब नेतन्याहू इसराइल के प्रधानमंत्री थे और दोनों ख़ुद को इस तरह से पेश करते थे जैसे उन दोनों के व्यक्तिगत संबंध हों और सार्वजनिक तौर पर दोनों एक दूसरे की प्रशंसा करते थे.

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ट्रंप ने क्या कहा
ट्रंप अपनी किताब 'ट्रंप्स पीस: द अब्राहम अकॉर्ड्स एंड द रीशेपिंग ऑफ़ द मिडिल ईस्ट' पर इसराइली पत्रकार बराक राविड से बात कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने नेतन्याहू पर जो बाइडन को 2020 के अमेरिकी चुनाव में जीत पर जल्द बधाई देने का आरोप लगाया.
ट्रंप ने चुनावी परिणाम पर सवाल खड़े किए थे हालांकि उनके दावों की कभी भी पुष्टि नहीं हो पाई.
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इंटरव्यू के दौरान कहा, "पहला व्यक्ति जिसने (जो बाइडन को) बधाई दी वो बीबी (बिन्यामिन) नेतन्याहू थे. वो व्यक्ति जिसके लिए मैंने किसी ओर से ज़्यादा किया और उनके साथ काम किया. बीबी शांत रह सकते थे. उन्होंने बहुत बड़ी ग़लती की."
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ट्रंप ने कहा, "वो बहुत जल्दी में थे. हम पहले लगातार बात करते थे लेकिन तब से मैंने उनसे बात नहीं की है." इसके बाद ट्रंप ने नेतन्याहू के लिए अपशब्द का प्रयोग किया.
वास्तव में नेतन्याहू पहले कोई विदेशी नेता नहीं थे, जिन्होंने बाइडन को बधाई दी थी. उन्होंने कुछ मिनटों बाद ही ट्रंप के प्रति आभार जताते हुए ट्वीट किया था.
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ट्रंप ने आगे की टिप्पणियों में भी नेतन्याहू का ज़िक्र किया. उन्होंने कहा, "किसी ने भी बीबी के लिए उतना नहीं किया. और मुझे बीबी पसंद थे."
इसके बाद ट्रंप ने कहा कि 'मैं अब भी नेतन्याहू को पसंद करता हूँ लेकिन मुझे वफ़ादारी भी पसंद है.'
इस साल जून में चुनाव के बाद सरकार बनाने में नाकाम रहने के कारण नेतन्याहू को अपना दफ़्तर छोड़ना पड़ा था.
अप्रैल और जुलाई में इस साल दिए इंटरव्यू के दौरान ट्रंप ने कहा था कि उनको भरोसा था कि वो ही इसराइल को तबाही से बचा सकते हैं.
उन्होंने कहा था, "मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि क्या मैं साथ नहीं था. मुझे लगता है कि इसराइल तबाह होने वाला था. आप सच जानना चाहते हैं? मुझे लगता है कि इसराइल अब तक शायद तबाह हो गया होता."

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नेतन्याहू ने दी प्रतिक्रिया
ट्रंप की प्रतिक्रिया के जवाब में नेतन्याहू ने अमेरिकी न्यूज़ वेबसाइट एक्सियोस से कहा है, "राष्ट्रपति ट्रंप के इसराइल और उसकी सुरक्षा में बड़े योगदान की मैं सराहना करता हूँ. इसराइल और अमेरिका के बीच मज़बूत गठबंधन के महत्व की भी मैं सराहना करता हूँ और इसीलिए मेरे लिए आने वाले राष्ट्रपति को बधाई देना महत्वपूर्ण था."
अमेरिकी राष्ट्रपति रहते हुए ट्रंप ने नेतन्याहू के समर्थन में कई बड़े क़दम उठाए थे. इनमें यरूशलम को इसराइल की राजधानी मानने के विवादित फ़ैसले को स्वीकार करना भी शामिल था, जिसके कारण पूरे अरब जगत में रोष पैदा हो गया था.
इसराइल ने 1967 में पूर्वी यरुशलम पर क़ब्ज़ा कर लिया था. फ़लस्तीनी जिस राष्ट्र की कल्पना करते हैं, उसमें पूर्वी यरुशलम को वो अपनी राजधानी मानते हैं.
ट्रंप ने इसराइल के क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों में यहूदी बस्तियों को अवैध घोषित करने से इनकार कर दिया था और इससे अमेरिका संयुक्त राष्ट्र के क़दम से अलग हो गया था.
इसके साथ ही ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका ने सीरियाई गोलान हाइट्स पर इसराइल की संप्रभुता को मान्यता दे दी थी. 1967 से गोलान हाइट्स भी इसराइल के क़ब्ज़े में है.
नेतन्याहू ने इस जगह यहूदी बस्तियां बनाने की बात कही थी और उसको ट्रंप हाइट्स नाम देने की घोषणा की थी. एक तरह से यह ट्रंप को बदले में दिया गया तोहफ़ा था.
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