अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिका के निकलने से पैदा हुआ नया संकट- व्लादिमीर पुतिन

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तालिबान की अंतरिम सरकार बनने के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अफ़ग़ानिस्तान के हालात के लिए अमेरिका को ज़िम्मेदार ठहराया है.
व्लादिमीर पुतिन ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के 13वें अधिवेशन को ऑनलाइन संबोधित करते हुए गुरुवार को यह बात कही.
उन्होंने कहा, "अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सेना के अफ़ग़ानिस्तान से पूरी तरह बाहर निकल जाने के बाद वहां नया संकट पैदा हुआ. और अब तक ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इसका क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ेगा."
उन्होंने कहा कि "हाल में वैश्विक सुरक्षा को लेकर बड़ी चुनौती पैदा हुई है. इससे रणनीतिक तौर पर स्थिरता को काफी ख़तरा पैदा हुआ है."
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'रूस अफ़ग़ानिस्तान में शांति क़ायम रखना चाहता है'
रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि वो चाहते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान के नागरिक शांति से रहे और वहां लंबे समय तक स्थायित्व रहे.
पुतिन ने कहा कि सभी देश चाहते हैं कि "अफ़ग़ानिस्तान अपने पड़ोसियों के लिए ख़तरा न बने. वहां से न तो नशीली दवाओं की तस्करी हो और न ही आने वाले वक्त में वो आतंकवाद का गढ़ बने."
उन्होंने कहा, "हम अफ़ग़ानिस्तान से लोगों का पलायन भी रोकना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि वहां गणतांत्रिक संस्थाएं बने, लेकिन इसके लिए बाहरी हस्तक्षेप उचित नहीं होगा."
उन्होंने दुनिया के बाक़ी मुल्कों से कहा, "हम सभी चाहते हैं कि वहां शांति बनी रहे. हमें ये तय करना होगा कि उनके आंतरिक मामलों में दखल न दें और उनकी संप्रुता का सम्मान करें."
उन्होंने कहा, "अफ़ग़ान नागरिकों ने दशकों तक संघर्ष किया. उन्हें हक है कि वो अपने बारे में फ़ैसला लें."
व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान विकास की राह पर आगे बढ़े, इसके लिए जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय वहां जो हो चुका है, उसे सुधारने की कोशिश करे.

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'रूस ब्रिक्स के सदस्यों के साथ सहयोग बनाए रखेगा'
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि उनका देश ब्रिक्स समूह (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के सभी सहयोगियों के साथ सभी क्षेत्रों में सहयोग जारी रखने को तैयार है.
पुतिन ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि आज हमारा काम सार्थक और फलदायी होगा. मैं एक बार फिर बताना चाहूंगा कि रूस ब्रिक्स के सभी सदस्यों के साथ हर क्षेत्र में घनिष्ठ सहयोग बनाए रखने को तैयार है."
उन्होंने कहा कि ब्रिक्स के मौजूदा अध्यक्ष भारत ने इस सम्मेलन और पूरे साल के लिए जो विषय चुना वो काफी प्रासंगिक है. इस विषय का नाम है- "निरंतरता, सुदृढ़ीकरण और आम सहमति बनाने के लिए सहयोग को मजबूत करना."
रूस के राष्ट्रपति ने कहा, "वास्तव में ये वो लक्ष्य है जिसे पाने के लिए पूरा अंतरराष्ट्रीय समुदाय लगा है. ब्रिक्स के सभी सदस्य भी इसके लिए अहम और उल्लेखनीय भूमिका निभा रहे हैं."
ब्रिक्स के शिखर सम्मेलन के बाद शेरपा संजय भट्टाचार्य (भारतीय विदेश मंत्रालय के सीपीवी और ओआई डिवीजन के सचिव), सह-शेरपा पी. हरीश (भारतीय विदेश मंत्रालय के इकोनॉमिक डिवीजन के सचिव) और भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाग लिया.
इस कॉन्फ्रेन्स में संजय भट्टाचार्य ने बताया कि भविष्य में ब्रिक्स को और ज़्यादा उपयोगी बनाने के लिए भारत ने अपनी अध्यक्षता में चार प्राथमिकताएं तय की हैं.
ये प्राथमिकताएं हैं- बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार के लिए प्रयास करना, आतंकवाद विरोध के लिए सहयोग को बढ़ाना, सतत विकास लक्ष्यों को पाने के लिए डिजिटल और तकनीकी उपाय करना और लोगों के मेलजोल को बढ़ाना.
उन्होंने बताया कि आज के ब्रिक्स सम्मेलन के लिए चार प्रमुख एजेंडे भी तय किए थे. ये एजेंडे थे- कोविड-19 महामारी से निपटने में ब्रिक्स देशों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ाना, ब्रिक्स देशों के बीच नज़दीकी सहयोग बढ़ाना, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार करना और बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार लाना.
इस बीच, समाचार एजेंसी एएनआई ने लिखा है कि संजय भट्टाचार्य ने कहा है कि ब्रिक्स सम्मेलन में आतंकवाद की कड़ी निंदा की गई और कहा गया कि "अफ़ग़ानिस्तान को अपने पड़ोस में समस्या का कारण नहीं बनना चाहिए."
उनके अनुसार, ब्रिक्स सम्मेलन में अफ़ग़ानिस्तान को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की भूमिका का भी ज़िक्र हुआ.
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'ब्रिक्स का 13वां शिखर अधिवेशन'
कोरोना महामारी के मद्देनज़र ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के 13वें अधिवेशन को वीडियो लिंक के ज़रिए आयोजित किया गया.
इस अधिवेशन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा और ब्राज़ील के राष्ट्रपति जाएर बोलसोनारो भी शामिल थे. बैठक की अध्यक्षता भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की.
इससे पहले बुधवार को रूसी सिक्योरिटी काउंसिल के सचिव जनरल निकोलाई पत्रुशेव ने नई दिल्ली में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से मुलाक़ात की थी. बैठक में भारत और रूस ने अफ़ग़ानिस्तान की दशा की विस्तार से समीक्षा की है. दोनों देशों में सहमति बनी कि संयुक्त राष्ट्र में अपने-अपने रुख़ पर आपसी समन्वय बनाए रखा जाएगा.
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