तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान सरकार को दोहा में शांति समझौते के लिए दी नसीहत- उर्दू प्रेस रिव्यू

अफ़गानिस्तान

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    • Author, इक़बाल अहमद
    • पदनाम, बीबीसी संवाददाता

अख़बार एक्सप्रेस के अनुसार क़तर की राजधानी दोहा में अफ़ग़ानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच बातचीत हुई जिसमें युद्ध रोकने, तालिबान क़ैदियों की रिहाई और अंतरिम सरकार बनाने पर दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी बात रखी.

अख़बार के अनुसार किसी भी मामले में कोई सहमति नहीं बन पाई है. इस अवसर पर अफ़ग़ानिस्तान सरकार के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह ने कहा कि "हम सब की प्राथमिकता युद्ध की पूरी तरह समाप्ति और सर्वसम्मति से सियासी हल की तलाश होनी चाहिए. हम सब की निगाह संयुक्त भविष्य पर होनी चाहिए जिसके अफ़ग़ान नागरिक हक़दार हैं."

इस अवसर पर तालिबान प्रतिनिधि मंडल के नेता अब्दुल ग़नी बिरादर ने कहा कि किसी भी राजनीतिक समझौते तक पहुँचने के लिए सबसे ज़रूरी है कि एक दूसरे पर अविश्वास को ख़त्म किया जाए. उन्होंने कहा, "हमें अपने निजी स्वार्थ को नज़रअंदाज़ कर अफ़ग़ानिस्तान की अवाम की एकता के लिए कोशिश करनी चाहिए."

अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई भी इस बातचीत में शामिल होने वाले थे लेकिन डॉन न्यूज़ के अनुसार वो काबुल में ही रुक गए और बातचीत में शामिल नहीं हो सके. अफ़ग़ानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष दूत ज़िल्मे ख़लीलज़ाद दोहा बातचीत के दौरान मौजूद थे.

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'कोशिश करते रहेंगे'

डॉन न्यूज़ के अनुसार तालिबान नेता ने बातचीत में ज़्यादा प्रगति नहीं होने पर अफ़सोस जताया है. अब्दुल ग़नी बिरादर ने कहा, "लेकिन फिर भी उम्मीद पैदा होनी चाहिए और तालिबान बातचीत के सकारात्मक नतीजे के लिए कोशिश करेंगे."

अफ़ग़ानिस्तान सरकार के प्रतिनिधिमंडल की प्रवक्ता नाजिय अनवरी ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि बातचीत तेज़ी से पूरी हों और जल्द ही दोनों पक्ष किसी नतीजे पर पहुँच जाएंगे और अफ़ग़ानिस्तान में स्थायी शांति का दौर देखें."

दोनों पक्षों ने बातचीत को जारी रखने और ज़्यादा से ज़्यादा संपर्क बनाए रखने पर सहमति जताई लेकिन अभी यह तय नहीं है कि बातचीत कब तक चलेगी और ना ही कोई साझा बयान जारी किया गया.

पिछले साल 29 फ़रवरी को अमेरिका और तालिबान के बीच समझौता होने के बाद अफ़ग़ानिस्तान के विभिन्न गुटों के बीच बातचीत की शुरुआत हुई थी लेकिन 10 महीनों तक चली बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला था और बातचीत बंद कर दी गई थी. लेकिन अब दोनों पक्षों के बीच दोबारा बातचीत शुरू हुई है. लेकिन यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब तालिबान हर दिन अफ़ग़ानिस्तान के एक नए इलाक़े पर अपनी पकड़ मज़बूत करते जा रहे हैं.

डासू

डासू बांध परियोजना: कंपनी से निकाले गए पाकिस्तानी कर्मचारी दोबारा बहाल

जंग अख़बार के अनुसार वाटर एंड पावर डेवेलपमेंट अथॉरिटी (वापडा) के प्रवक्ता का कहना है कि डासू बांध परियोजना पर काम करने वाली चीनी कंपनी ने पाकिस्तानी कर्मचारियों को निकालने का नोटिस वापस ले लिया है. प्रवक्ता के अनुसार डासू की घटना के बाद सिविल प्रशासन, वापडा और चीनी कंपनी ने आपस में विचार विमर्श करने के बाद यह फ़ैसला किया गया है. प्रवक्ता के अनुसार चीनी कंपनी इस परियोजना पर दोबारा काम शुरू कर देगी. प्रवक्ता का कहना है कि परियोजना पर काम रोकने का मक़सद सुरक्षा इंतज़ामों की नए सिरे से जाँच करनी है.

पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत में 15 जुलाई को हुए एक 'बस हादसे' में कम से कम 13 लोग मारे गए थे जिनमें नौ चीनी नागरिक थे. ये डासू बांध परियोजना पर काम कर रहे थे. ये धमाका अपर कोहिस्तान ज़िले में हुआ था. इस हादसे में मारे गए नौ चीनी इंजीनियरों के अलावा, पाकिस्तान की फ्रंटियर कोर के दो जवान और दो आम नागरिक भी शामिल थे.

इस 'बम धमाके' में 27 लोग घायल भी हुए थे, जिनमें से अधिकतर चीनी नागरिक थे.

चीन ने इस हादसे को बम धमाका बताया था जबकि पाकिस्तान ने पहले तो इसे गैस लीकेज की वजह से हुआ धमाका कहा, लेकिन बाद में पाकिस्तान ने भी इस बात की आशंका जताई कि यह धमाका एक चरमपंथी कार्रवाई हो सकती है. चीनी कंपनी ने काम रोकने का फ़ैसला किया था और इसमें काम करने वाले पाकिस्तानी कर्मचारियों को निकालने का नोटिस जारी कर दिया था.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अपने चीनी समकक्ष से फ़ोन पर बात की थी और उन्हें विश्वास दिलाया था कि इस मामले की पूरी जाँच होगी. इमरान ख़ान ने कहा था, ''किसी भी शत्रु ताक़त को पाकिस्तान और चीन के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को नुक़सान पहुँचाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.''

क्षेत्रीय संपर्क

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साझेदारी का नया मंच

अख़बार नवा-ए-वक़्त के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ़ से जारी बयान मे कहा गया है कि अफ़ग़ानिस्तान शांति प्रक्रिया और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक नया राजनयिक प्लेटफ़ॉर्म बनाया गया है जिसमें अमेरिका, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और उज़्बेकिस्तान शामिल होंगे.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अनुसार चार देशों के इस राजनयिक प्लेटफ़ॉर्म का संयुक्त अधिवेशन जल्द ही होगा.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार इस नए राजनयिक गठबंधन में शामिल चारों देश अफ़ग़ानिस्तान में स्थाई शांति को क्षेत्रीय सहयोग के लिए अहम समझते हैं. प्रवक्ता ने कहा कि चारों देश अंतरराष्ट्रीय व्यापार के रास्ते खोलने के ऐतिहासिक अवसर को स्वीकार करते हैं, और व्यापार बढ़ाने और व्यवसायी संबंधों को और मज़बूत करने के लिए एक दूसरे के साथ सहयोग करने का इरादा रखते हैं.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चारों देशों ने सर्वसम्मति से इस बात को स्वीकार किया है कि अगले महीने इसकी बैठक की जाएगी.

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