ब्राज़ील सरकार के साथ कोवैक्सीन का सौदा खटाई में क्यों पड़ा ?

ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो

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    • Author, राघवेंद्र राव
    • पदनाम, बीबीसी संवाददाता

इस साल जनवरी में ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने हनुमान की एक तस्वीर ट्वीट करते हुए 20 लाख कोरोना वैक्सीन डोज़ ब्राज़ील भेजने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया था.

इस तस्वीर में हनुमान कोविड-19 वैक्सीन को उसी तरह भारत से ब्राज़ील लेकर जा रहे थे जैसे वो रामायण में लक्ष्मण के प्राण बचने के लिए संजीवनी बूटी का पूरा पहाड़ ही उठा लाए थे.

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ब्राज़ील ने जिन देशों के साथ कोरोना वैक्सीन आयात के लिए करार किए थे उनमें भारत अहम था.

कहा जाए तो भारत में कोरोना टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद सबसे पहले ब्राज़ील को ही भारत से वैक्सीन मिली थी. ब्राज़ील सरकार ने एक समझौते के तहत 'स्पेशल दर' पर भारत से 20 लाख कोविशील्ड वैक्सीन की डोज़ खरीदी थी.

इसके बाद टीके की ज़रूरत को पूरा करने के लिए ब्राज़ील ने भारत बायोटेक के साथ कोवैक्सीन के लिए करार किया. ये करार वैक्सीन की दो करोड़ डोज़ के लिए था. हालांकि कहा गया था कि इस वैक्सीन को पहले ब्राज़ील के नियामक से हरी झंडी मिलने का इंतज़ार करना होगा.

लेकिन ब्राज़ील और भारत के बीच वैक्सीन को लेकर हो रहा सौदा अब खटाई में पड़ गया है. भारत में बनी कोवैक्सीन की ख़रीद में अनियमितता के आरोपों के चलते ब्राज़ील ने कोवैक्सीन के निर्माता भारत बायोटेक के साथ किया गया सौदा निलंबित करने का फ़ैसला किया है.

इस अनुबंध के तहत ब्राज़ील भारत से दो करोड़ कोवैक्सीन के डोज़ 324 मिलियन डॉलर के लागत पर खरीदने वाला था. लेकिन बोलसोनारो सरकार पर इस सौदे में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के साथ ही वैक्सीन के आयात की प्रक्रिया मुश्किल में आ गई है.

ब्राज़ील की जाँच संस्था कम्पट्रोलर जनरल ऑफ़ द यूनियन (सीजीयू) ने कहा है कि 24 जून को कोवैक्सीन के अनुबंध में संभावित अनियमितताओं की जांच के लिए एक प्रारंभिक जाँच शुरू की है.

जब तक जाँच पूरी नहीं हो जाती ये अनुबंध निलंबित रहेगा. सीजीयू ने कहा है कि ऐसा करने का उद्देश्य पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करना है. निलंबन केवल तब तक चलेगा जब तक तथ्यों का पता लगाने के लिए ऐसा करना आवश्यक हो.

हाल में ब्राज़ील के स्थानीय मीडिया में आई ख़बरों में कोविशील्ड वैक्सीन के खरीद के सौदे को लेकर भी सरकार पर अनियमिताओं के आरोप लगाए गए हैं.

ग़ौरतलब है कि ब्राज़ील कोविड महामारी से दूसरा सबसे ज़्यादा प्रभावित देश रहा है. ब्राज़ील में अब तक कोरोना संक्रमण के 1.85 करोड़ मामले रिपोर्ट किए गए हैं और क़रीब 5.15 लाख लोगों की महामारी की वजह से मौत हुई है.

ब्राज़ील में कोरोना के कारण पांच लाख से अधिक मौतें

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इस पूरे घटनाक्रम पर भारत बायोटेक ने अपने बयान में कहा है, "ब्राज़ील के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कोवैक्सीन ख़रीदना, एक विशिष्ट मामला था जिसमें नवंबर 2020 में पहली बैठक हुई और बैठकें 29 जून तक चली. एक-एक क़दम आगे बढ़ाते हुए समझौता हुआ और आठ महीने की लंबी प्रक्रिया के बाद उन्हें अनुमति मिली."

"4 जून को यहां वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंज़ूरी दी गई. लेकिन 29 जून तक भारत बायोटेक को ब्राज़ील के स्वास्थ्य मंत्रालय से ना ही एडवांस पेमेंट मिली और न ही कोई वैक्सीन अब तक उन्हें सप्लाई की गई है."

भारत बायोटेक ने यह भी कहा है कि बीते कुछ हफ़्तों से आ रही रिपोर्टें ब्राज़ील और दूसरे देशों में हुए समझौतों को ग़लत तरीक़े से पेश कर रही हैं.

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बिना वैक्सीन सप्लाई के पेमेंट क्यों?

लेकिन आख़िर वो कौन-सी वजहें हैं जिनके चलते ब्राज़ील ने इस सौदे को निलंबित किया है?

ब्राज़ील की जाँच संस्था सीजीयू ने कहा है कि ब्राज़ील के स्वास्थ्य मंत्रालय और भारत बायोटेक लिमिटेड इंटरनेशनल के बीच किए गए करार के मुताबिक़, कंपनी को पेमेंट वैक्सीन सप्लाई के 30 दिन के अंदर किया जाना चाहिए था. करार में एडवांस पेमेंट का जिक्र नहीं है.

लेकिन भारत बायोटेक की तरफ़ से इसका पालन नहीं हुआ.

सीजीयू के अनुसार इस शर्त के बावजूद भारत बायोटेक ने 19 मार्च को ही ब्राज़ील सरकार के सामने एडवांस पेमेंट का इनवॉयस (चालान) पेश कर दिया था, जो करार के मुताबिक़ ये ग़लत था.

हालांकि सीजीयू ने ये भी कहा है कि रिकॉर्ड में इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ब्राज़ील सरकार ने भारत बायोटेक के एडवांस पेमेंट की है.

इसके उल्ट ब्राज़ील के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत बायोटेक की प्रतिनिधि कंपनी प्रेसिज़ा मेडिकामेंटोस को यह बताया की इस तरह के भुगतान का सौदे में कोई प्रावधान नहीं है और इस तरह की मांग अनियमित थी.

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करार में शामिल कंपनी पर सवाल

एक और अनियमितता के बारे में सीजीयू ने खुलासा किया है. सीजीयू के मुताबिक़ इस सौदे के कॉन्ट्रैक्ट पर ब्राज़ील के स्वास्थ्य मंत्रालय और भारत बायोटेक लिमिटेड इंटरनेशनल द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे.

भारत बायोटेक का प्रतिनिधित्व ब्राज़ील में प्रेसिज़ा मेडिकामेंटोस ने किया था.

सीजीयू का कहना है कि अब यह पता चला है कि भारत बायोटेक ने मैडिसन बायोटेक पीटीई लिमिटेड नामक कंपनी के पक्ष में इनवॉयस (चालान) भेजा जबकि यह कंपनी न ही कॉन्ट्रैक्ट का हिस्सा थी और न ही कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार भुगतान की आवश्यकताओं को पूरा करती थी.

सीजीयू इसकी भी जाँच चाहता है.

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समयसीमा का पालन नहीं

तीसरी अनियमितता समयसीमा के पालन से जुड़ी है.

ब्राज़ील ने भारत बायोटेक के साथ जो कॉन्ट्रैक्ट किया था उसके मुताबिक़ कॉन्ट्रैक्ट लागू होने के बाद 20 से 70 दिनों के बीच वैक्सीन की पहली और आख़िरी खेप की डिलीवरी होनी थी. शर्तों के अनुसार टीके की 40 लाख डोज़ 5 हिस्सों में ब्राज़ील को दी जानी थी.

सीजीयू का कहना है कि कॉन्ट्रैक्ट 25 फरवरी को साइन हुआ, इसलिए पहली डिलीवरी 17 मार्च को होनी चाहिए थी. लेकिन अभी तक कोवैक्सीन की कोई भी खेप ब्राज़ील नहीं पहुंची है.

सीजीयू ने कहा है कि ब्राज़ील के स्वास्थ्य मंत्रालय और भारत बायोटेक के बीच हुए पत्राचार से ये पता चलता है कि वैक्सीन आयात में देरी, इस्तेमाल की अनुमति ना मिलने की वजह से हुई. इस इज़ाज़त को हासिल करने की ज़िम्मेदारी भारत बायोटेक की थी.

इन सभी बातों के मद्देनज़र सीजीयू इन कहा है कि उसे लगता है कि इस सौदे को पुनः विश्लेषण के बिना जारी रखना जोखिम भरा है.

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क़ीमत पर सवाल

एक पेंच वैक्सीन की क़ीमत को लेकर भी था.

सीजीयू का कहना है कि कॉन्ट्रैक्ट को लेकर जब क़ानूनी परामर्श लिया गया तो इस बात का संकेत मिला कि इस सौदे में वैक्सीन की क़ीमत के बारे में कोई रिसर्च नहीं की गई थी.

सीजीयू का कहना है कि क़ानूनी राय जारी करने के बाद इस सौदे की प्रक्रिया 24 घंटे के भीतर तकनीकी जांच के लिए आगे बढ़ी. लेकिन क़ीमत के बारे में उठाये गए सवालों का कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया. आनन-फानन में 25 फरवरी सौदे पर हस्ताक्षर कर लिए गए.

सीजीयू के मुताबिक़ ब्राज़ील के स्वास्थ्य निगरानी सचिवालय (एसवीएस) ने भी इस बारे में आगाह किया था कि ब्राज़ील सरकार और भारत बायोटेक के बीच हुए करार में कुछ अनियमितताएं हैं. साथ ही सिफ़ारिश की थी कि इस करार को निलंबित किया जाना चाहिए.

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ब्राज़ील के राष्ट्रपति की सफ़ाई

पूरे मामले में ब्राज़ील के राष्ट्रपति ने भी अपना पक्ष रखा है. उन्होंने कहा, "हमने कोवैक्सीन पर न तो एक पैसा ख़र्च किया है और न ही हमें कोवैक्सीन की एक भी डोज़ मिली है. इसमें भ्रष्टाचार कहाँ से आ गया?"

बोलसोनारो ने कहा कि उनकी सरकार में कोई भी भ्रष्टाचार की बात सामने आएगी तो वे कार्रवाई करेंगे. ब्राज़ील के राष्ट्रपति ने कहा कि भारत बायोटेक वैक्सीन की क़ीमत दूसरे देशों की तरह ही ब्राज़ील में है.

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भारत बायोटेक का पक्ष

कोवैक्सीन के निर्माता भारत बायोटेक ने कहा है कि ब्राज़ील को कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए जून में मंजूरी मिली. आठ महीने तक बैठकों का दौर चला और सारी प्रक्रियाओं का पूर्ण रूप से पालन किया.

उन्होंने ये भी साफ़ किया है कि उन्हें ब्राज़ील सरकार की तरफ़ से कोई एडवांस पेमेंट नहीं किया गया है.

वैक्सीन के दाम को लेकर कंपनी का कहना है कि विदेश में कोवैक्सीन की क़ीमत 15 से 20 डॉलर प्रति डोज़ निर्धारित की गई है. ब्राज़ील सरकार के साथ कोवैक्सीन की तय क़ीमत 15 डॉलर प्रति डोज़ थी. भारत बायोटेक का कहना है कि उसे कई अन्य देशों से इन क़ीमतों पर एडवांस पेमेंट प्राप्त हुआ है.

कंपनी ने साफ़ किया है कि प्रेसिज़ा मेडिकामेंटोस ब्राज़ील में भारत बायोटेक का भागीदार है. उसके साथ मिल कर भारत बायोटेक ब्राज़ील में 5,000 लोगों पर फेज 3 का क्लीनिकल ट्रायल कर रहे हैं जिसकी अनुमति हाल ही में ब्राज़ील की राष्ट्रीय स्वास्थ्य निगरानी एजेंसी से मिली है.

इस्तेमाल के लिए ज़रूरी इज़ाज़त में देरी को लेकर कंपनी ने कहा है कि किसी देश के साथ वैक्सीन का करार होने पर ही कंपनी संबंधित देश में आपातकालीन उपयोग की अनुमति के लिए आवेदन करती है.

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