कोरोना: अमेरिका में रहने वाले भारतीयों को सता रही है परिवार की चिंता

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    • Author, सलीम रिज़वी
    • पदनाम, न्यू यॉर्क, अमेरिका से बीबीसी हिंदी के लिए

भारत में कोविड संक्रमण के कारण मचे हाहाकार से अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोग भी परेशान हैं. शायद ही कोई ऐसा है जिनका कोई जानने वाला, दोस्त या परिवार का सदस्य संक्रमण का शिकार न हुआ हो.

ज़्यादातर लोग रोज़ाना फ़ोन या वीडियो चैट के ज़रिए भारत में अपने परिवार वालों और और दोस्तों से हालचाल ले रहे हैं. आए दिन लोगों के कोरोना पॉज़िटिव होने या मौत की ख़बरें मिल रही हैं.

बहुत से ऐसे लोग हैं, जिनके परिवार वाले भारत में कोरोना से संक्रमित हैं, लेकिन वो उनसे मिलने नहीं जा पा रहे. जिन अमेरिकी नागरिकों के पास भारत का ओआईसी कार्ड नहीं है, वो भारत जाने के लिए इमरजेंसी वीज़ा लेने की कोशिश कर रहे हैं. कई लोग ज़रूरत से समय वहाँ नहीं पहुँच पा रहे हैं.

मूल रूप से चेन्नई के रहने वाले वेंकटेश क्रिश अमेरिका के वॉशिंगटन प्रांत में रहते हैं. उनके माता-पिता की तबीयत ख़राब हो गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा. वेंकटेश अपने माता पिता के लिए अमेरिका से अस्पताल खोजने ही कोशिश कर रहे थे.

वेंकटेश बताते हैं, "वहाँ संक्रमण के डर से लोग मदद को नहीं पहुँच पा रहे, मरीज़ टैक्सी भी इसीलिए नहीं ले पा रहे. अस्पतालों का तो बहुत ही बुरा हाल है. मेरे पिता जी ने सरकारी अस्पताल में ही भर्ती होना चाहा, जहाँ घंटों से सिर्फ़ टोकन लेने के लिए लंबी लाइन लगी हुई थी."

"मुझे फ़ोन पर लोगों के कहराने की आवाज़ें भी सुनाई दे रही थीं. अब माँ की तो हालत बेहतर हो गई है, लेकिन पिताजी अस्पताल में ही हैं. मैं बहुत दिनों से सो नहीं पाया हूँ. लगातार बस अपने परिवार वालों और चाहने वालों की सेहत के लिए परेशान रहता हूँ."

वेंकटेश एक ग़ैर सरकारी संस्था के साथ भी वालंटियर की तरह काम करते हैं और उनकी और उनके साथियों की कोशिश है कि किसी तरह जल्द से जल्द भारत में कोरोना से पीड़ित लोगों की मदद की जा सके.

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मदद की कोशिश कर रहे हैं कई लोग

अमेरिका में भारतीय मूल के लोग बढ़-चढ़ कर भारत में कोविड से पीड़ित लोगों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं.

कई भारतीय मूल की संस्थाएँ लाखों डॉलर जमा करके भारत भेज रही हैं. इसके साथ साथ कई संस्थाएँ इंटरनेट पर भी पैसे जमा करके भारत में कोविड पीड़ितों की मदद के लिए ऑक्सीजन, ज़रूरी उपकरण, मास्क आदि का प्रबंध कर रही हैं.

अमेरिका में भारतीय मूल के डॉक्टरों की संस्था एसोसिएशन ऑफ़ अमेरिकन फ़िज़िशियन्स ऑफ़ इंडियन ओरिजन (आपी) ने भारत के लिए अब तक 10 लाख डॉलर से अधिक धन इकट्ठा किया है.

आपी के अध्यक्ष डॉ सुधाकर जनलागाडा बताते हैं, "भारत में अभी ऑक्सीजन के अभाव में लोग मर रहे हैं, उन्हें फ़ौरन ऑक्सीजन चाहिए. इसलिए अभी हम लोगों ने ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर सबसे पहले भेजने का फ़ैसला किया है. इसके अलावा जल्द ही वेंटिलेटर, सी पैप, और अन्य उपकरण भी भेजने की योजना है."

जनलागाडा ने बताया कि अटलांटा और जॉर्जिया से उनकी संस्था ने अब तक 1000 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर दिल्ली भेजने का प्रबंध किया है. अमेरिका की मशहूर यूपीएस पार्सल कंपनी मुफ़्त में यह ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर भारत भेज रही है.

डॉ सुधाकर जनलागाडा

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जनलागाडा बताते हैं कि इलाज के बारे में जानकारी के लिए भारत से कई लोग फ़ोन करते हैं. उनकी संस्था आपी भारत में ही डॉक्टरों के ज़रिए इंटरनेट पर ज़ूम कॉल पर लोगों को सलाह दे रही है और अस्पतालों की मदद की भी कोशिश कर रही है.

आपी के बोर्ड मेंबर डॉ. भारत बराई कई वर्षों से अमेरिका में रह रहे हैं. उनका कहना है कि भारतीय मूल के लोगों के साथ मिलकर अमेरिकी सरकार पर भारत की मदद करने के लिए दबाव भी बनाया है.

डॉ बराई के मुताबिक, "हमने कुछ अमेरिकी कांग्रेस सदस्यों और सेनेटरों से संपर्क करके ज़ोर दिया कि अमेरिका को इस समय भारत की मदद करनी चाहिए और फ़ौरन ऑक्सीजन और अन्य उपकरण भेजने चाहिए."

डॉ. बराई ने बताया कि आपी ने 1000 ऑक्सीजन और भारतीय मूल की सेवा इंटरनेशनल ने 3000 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर भारत भेजे हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए भारत में रेड क्रास की भी मदद ली जा रही है.

डॉ. भारत बराई

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इमेज कैप्शन, साल 2007 में तब सिनेटर रहे जो बाइडन के साथ डॉ. भारत बराई

चंदा जुटाने को कोशिश में कई संस्थाएं

न्यूयॉर्क के कुछ इलाक़े में कई मुस्लिम संस्थाओं ने ईद के मौक़े पर आयोजित कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं. सबकी कोशिश है कि भारत में कोरोना से लड़ रहे लोगों की अधिक से अधिक मदद की जा सके.

भारतीय मूल की कई दूसरी संस्थाएँ इसी तरह चंदा इकट्ठा कर मदद करने की कोशिश कर रही हैं.

नॉर्थ अमेरिका तेलुगू सोसाइटी के अध्यक्ष श्रीधर अप्पासानी बताते हैं, "हम लोग तो इतनी दूर हैं औऱ यहाँ से बस मदद करने की कोशिश कर रहे हैं. हमारी संस्था के लोगों ने तेलंगाना औऱ आंध्र प्रदेश के इलाक़ों में कई अस्पतालों और फ़ार्मेसी के साथ सहयोग करके वहां ऑक्सीजन और अन्य मदद पहुँचाने का प्रबंध किया है. इसके अलावा हमारी अब कोशिश है कि वहाँ कुछ इलाक़ों में ऑक्सीजन के प्लांट भी लगाए जाएँ, इसके लिए हमने काम शुरू कर दिया है."

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अप्पासानी ने बताया कि उनके औऱ संस्था के कई सदस्यों के भी परिवार वाले बीमार थे और उनके लिए डॉक्टर और अन्य मदद का यहीं से प्रबंध करने की कोशिश की गई.

नॉर्थ अमेरिका तेलुगू सोसाइटी की उपाध्यक्ष अरूणा गंती कहती हैं, "अभी तो हम लोग रोटरी क्लब औऱ गौतमी आई अस्पताल के साथ मिलकर वहाँ जिन अस्पतालों में ऑक्सीजन औऱ दवाई की कमी है, उनको मदद पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं. इस समय ऑक्सीजन की सख़्त ज़रूरत है, तो कोशिश है कि ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर जल्द से जल्द पहुँचाया जाए. इसके अलावा पीपीई किट्स, और अन्य ज़रूरी चीज़ें भी पहुँचाई जाएँ."

अरूणा बताती हैं कि उनके भी कई परिवार वाले और दोस्त कोविड का शिकार हुए, कुछ अभी भी पीड़ित हैं. उनका कहना है कि अमेरिका में रहने वाले बहुत से लोग अपने परिवार वालों से इतनी दूर बहुत असहाय महसूस कर रहे हैं.

भारत में विकास कार्यों में मदद करने वाली एसोसिएशन फ़ॉर इंडियास डेवेलपमेंट या एड नामक ग़ैर सरकारी संस्था भी भारत में कोविड पीड़ितों की मदद करने की कोशिश कर रही है.

इस संस्था के निर्वीक भट्टाचर्जी बताते हैं, "हमारी कोशिश है कि भारत के उन इलाक़ों में अस्पतालों में मदद पहुँचाई जाए, जहाँ संसाधनों की अधिक कमी है. दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में हम अपनी सहयोगी संस्थाओं के साथ मिलकर वेंटिलेटर, ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर आदि पहुँचा रहे हैं."

वीडियो कैप्शन, कोरोना से लड़ते भारत को विदेशों से मिल रही मदद

भारत से मदद के लिए आ रहे हैं फ़ोन

निर्वीक भट्टाचर्जी कहते हैं कि भारत से पीड़ित लोगों के फ़ोन भी बराबर आते रहते हैं और वह मदद की गुहार लगाते हैं.

"किसी को ऑक्सीजन चाहिए, किसी को अस्पताल में भर्ती होने में मदद चाहिए तो किसी को दवाइयों के लिए डॉक्टरों की सलाह चाहिए."

न्यूयॉर्क के इलाक़े में भारतीय मूल के व्यापारी शाश्वत बुटाला की बुटाला इंपोरियम नाम से कई दुकाने हैं. वह अपनी ग़ैर सरकारी संस्था गांधियन सोसाइटी के माध्यम से भारत में कोविड पीड़ितों की मदद के लिए धन इकठ्ठा कर रहे हैं. वह बताते हैं कि वह 100 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर के लिए पैसा भारत भेज रहे हैं.

बुटाला कहते हैं, "हम लोगों ने अभी तक 60 हज़ार अमेरिकी डॉलर भारत भेजने के लिए जमा किए हैं जिससे वहाँ हमारे सहयोगी 100 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर की व्यवस्था करेंगे."

शाश्वत बुटाला

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शाश्वत बुटाला बताते हैं कि कोविड से परेशान कई लोग मदद के लिए फ़ोन भी कर रहे हैं. वह कहते हैं, "वहाँ लोग बहुत डर रहे हैं, बहुत से लोगों को अस्पताल में जगह मिलने में भी मुश्किल है, ऑक्सीजन मिलना मुश्किल हो रहा है. दवाइयां भी हम यहाँ से भेज नहीं सकते, बस यहाँ से पैसे ही भेज सकते हैं."

अमेरिका में कई लोग इंटरनेट पर गो फ़ंड मी और अन्य वेबसाइट पर भी लाखों डॉलर का चंदा जमा करके और भारत में सक्रिय विभिन्न ग़ैर सरकारी संस्थाओं को भी चंदा देकर कोविड पीड़ितों को मदद पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.

मिसाल के तौर पर एक वेबसाइट ऑक्सीजन फ़ॉर इंडिया ने भारत में कोविड पीड़ितों को ऑक्सीजन संबंधित उपकरण मुहैया कराने के लिए डोनेशन के ज़रिए 15 लाख डॉलर जमा करने का लक्ष्य रखा है और रविवार तक 5 लाख डॉलर से अधिक जमा हो चुके थे.

अमेरिका में भारतीय मूल के कांग्रेस सदस्य भी भारत की मदद के लिए कोशिशें कर रहे हैं.

कई अमेरिकी और भारतीय मूल की कंपनियाँ भी अमेरिकी चेंबर ऑफ़ कॉमर्स के साथ मिलकर धन इकट्ठा करके और ज़रूरी उपकरणों को भारत भेजने की कोशिश कर रही हैं.

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