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चीन-अमरीका तनाव: ट्रंप और शी जिनपिंग का वो भाषण, जिस पर हो रहा है हंगामा
- Author, टीम बीबीसी हिन्दी
- पदनाम, दिल्ली
इस साल संयुक्त राष्ट्र महासभा का 75वाँ सत्र कई मायने में ऐतिहासिक रहा. कोरोना काल की पाबंदियों के मद्देनज़र ये बैठक वर्चुअल हुई और नेताओं ने पहले से रिकॉर्ड किए गए भाषण को भेजा.
पहली बार खुलकर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने शीत युद्ध का ज़िक्र करते हुए कहा कि हमें इससे बचना चाहिए, तो फ़्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रों ने कहा कि दुनिया का भविष्य चीन और अमरीका के बीच प्रतिद्वंद्विता के आधार पर नहीं सिमट जाना चाहिए.
इन सबके बीच सबसे ज़्यादा चर्चा है अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भाषणों की.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के सालाना सत्र के दौरान अमरीका और चीन के बीच का तनाव खुलकर सामने आ गया. अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस के संक्रमण के लिए चीन को ज़िम्मेदार ठहराया. उन्होंने माँग की कि चीन को इस महामारी के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.
दूसरी ओर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने भाषण में कहा कि उनकी मंशा किसी भी देश के साथ शीत युद्ध की नहीं है.
पिछले कुछ महीनों से चीन और अमरीका कई मुद्दों को लेकर आमने सामने हैं. कोरोना संक्रमण के अलावा हॉन्गकॉन्ग, ताईवान, व्यापार युद्ध पर भी दोनों देशों में टकराव बढ़ा है.
अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर हमला करने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ा. साथ ही उन्होंने अपनी उपलब्धियाँ गिनाईं और आने वाले राष्ट्रपति चुनाव को देखते हुए अपने विरोधियों को भी नहीं छोड़ा.
क्या कहा ट्रंप ने
ट्रंप ने अपने भाषण में कोरोना वायरस के संक्रमण के लिए चीन को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के 75 साल बाद, हम एक बार फिर एक बड़े वैश्विक संघर्ष में फँसे हुए हैं.
अमरीकी राष्ट्रपति ने कहा, "हमने एक अदृश्य दुश्मन- चाइना वायरस- के ख़िलाफ़ एक बड़ी लड़ाई छेड़ रखी है, जिसने 188 देशों में अनगिनत लोगों की ज़िंदगी छीन ली है. हमें उस देश को जवाबदेह ठहराना चाहिए, जिसने इस प्लेग को दुनियाभर में फैलाया- और वो है चीन."
उन्होंने अपने भाषण में आरोप लगाया कि चीन ने तो लॉकडाउन और अन्य प्रतिबंधों की घोषणा करके अपने आप को सुरक्षित कर लिया, लेकिन अन्य देशों में संक्रमण फैला दिया.
ट्रंप ने कहा, "वायरस के शुरुआती दिनों में चीन ने घरेलू स्तर पर आने-जाने पर रोक लगा दी, लेकिन उसने विमानों को चीन से बाहर जाने दिया और दुनिया को संक्रमित किया. जब मैंने चीन पर यात्रा पाबंदी लगाई, तो चीन ने इसकी आलोचना की, जबकि ख़ुद चीन ने घरेलू उड़ानों को रद्द किया और अपने नागरिकों को उनके घरों में बंद रखा. चीन की सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने (जिस पर वास्तव में चीन का नियंत्रण है) ये झूठी घोषणा की कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण फैलने का कोई सबूत नहीं है. बाद में उन्होंने फिर लोगों से झूठ बोला कि बिना लक्षण वाला व्यक्ति बीमारी को नहीं फैलाएगा.
अमरीकी राष्ट्रपति ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को चीन को उसके क़दमों के लिए जवाबदेह ठहराना चाहिए.
ट्रंप ने अपने भाषण में कोरोना वायरस को ख़त्म करने की दिशा में उठाए जा रहे क़दमों की जानकारी दी और कहा कि वैक्सीन का काम तेज़ी से चल रहा है और वे उम्मीद कर रहे हैं कि वैक्सीन आने पर तुरंत इसका वितरण किया जा सके.
ट्रंप ने कहा, "हम वैक्सीन का वितरण करेंगे, हम वायरस को हराएँगे, हम महामारी का ख़ात्मा करेंगे और हम अभूतपूर्व समृद्धि, सहयोग और शांति के एक नए युग में प्रवेश करेंगे."
ट्रंप ने कोरोना वायरस के अलावा कार्बन उत्सर्जन, ग़लत व्यापारिक प्रैक्टिस, दूसरे की जलसीमा में कार्रवाई के मुद्दे पर भी चीन को आड़े हाथों लिया.
अमरीका में इसी साल नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं और ट्रंप ने अपने भाषण में अपनी कई उपलब्धियाँ गिनाईं और विरोधियों को भी घेरा.
ट्रंप ने कहा, "हम ये भी जानते हैं कि अमरीका की समृद्धि पूरी दुनिया में स्वतंत्रता और सुरक्षा का आधार है. तीन वर्षों के कम समय में हमने इतिहास में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था खड़ी की और हम फिर तेज़ी से इसी रास्ते पर हैं. हमारी सेना का आकार काफ़ी बढ़ा है. हमने पिछले चार वर्षों में हमारी सेना पर 2.5 ट्रिलियन डॉलर ख़र्च किए हैं. हमारे पास दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना है और कोई इसके आसपास भी नहीं है."
अमरीकी राष्ट्रपति ने ईरान पर पाबंदी, आईएसआईएस का ख़ात्मा, बग़दादी और सुलेमानी को मारने का भी ज़िक्र किया.
मध्य पूर्व शांति समझौतों का ट्रंप ने ख़ास तौर पर ज़िक्र किया और पुरानी नीति की खिल्ली भी उड़ाई.
ट्रंप ने कहा, "दशकों तक कोई भी प्रगति न होने के बाद मध्य पूर्व में दो शांति समझौते के साथ हमें एक ऐतिहासिक सफलता मिली. इसराइल, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने व्हाइट हाउस में एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते में मध्य पूर्व के कई अन्य देश भी शामिल होंगे. ये देश तेज़ी से सामने आ रहे हैं और वे ये जानते हैं कि ये उनके लिए बहुत अच्छा है और ये दुनिया के लिए भी बहुत अच्छा है. ये अभूतपूर्व समझौते नए मध्य पूर्व का उदय हैं. एक अलग दृष्टिकोण लेकर, हमने अलग-अलग नतीजे हासिल किए हैं- काफ़ी बेहतर नतीजे. हमने एक दृष्टिकोण अपनाया और ये दृष्टिकोण काम कर गया."
उन्होंने अमरीका फ़र्स्ट की बात की और लोगों से अपील भी की कि वे देश को हमेशा आगे रखें.
क्या कहा शी ने
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दुनिया से अपील की कि शांति, विकास, समानता, न्याय, लोकतंत्र और स्वतंत्रता के मूल्यों को क़ायम रखने के लिए सबको हाथ मिलाना चाहिए.
उन्होंने कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर चीन के क़दमों की सराहना की और कहा कि चीन दुनियाभर में शांति की दिशा में काम करना चाहता है.
पहले से रिकॉर्ड किए गए वीडियो संदेश में शी जिनपिंग ने कहा, "हम बातचीत के ज़रिए मतभेदों को कम करने और विवादों का हल निकालने की कोशिश करेंगे."
कोरोना के बारे में चीन के राष्ट्रपति ने कहा, "कोरोना वायरस का सामना करते हुए, हमें एकजुटता बढ़ानी चाहिए ताकि हम मिलजुलकर इससे निपट सकें. हमें विज्ञान के दिशा निर्देश का अनुसरण करना चाहिए और विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमूख भूमिका को सम्मान देना चाहिए. इस मुद्दे के राजनीतिकरण और किसी पर दोष मढ़ने की कोशिश को ख़ारिज किया जाना चाहिए."
शी जिनपिंग ने कहा कि 75 साल पहले चीन ने विश्व फासीवादी विरोधी युद्ध जीतने में ऐतिहासिक रूप से योगदान किया था और संयुक्त राष्ट्र के गठन का समर्थन किया था.
उन्होंने कहा, "आज उसी ज़िम्मेदारी की भावना से चीन कोविड-18 के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय संघर्ष में सक्रिय रूप से शामिल है. इस समय चीन की ओर से विकसित कई वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे फ़ेज़ में हैं. जब ये इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हो जाएँगी तो इसे पूरी दुनिया के लिए दिया जाएगा."
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भाषण का ज़्यादातर हिस्सा कोरोना वायरस के नियंत्रण में उसकी भूमिका और उसकी ओर से उठाए जा रहे क़दमों पर केंद्रित रहा. उन्होंने अपने भाषण में ये भी ज़िक्र किया कि चीन अपनी ओर से देशों को आर्थिक सहायता भी दे रहा है.
इसके अलावा शी जिनपिंग ने कहा कि दो साल में दो अरब अमरीकी डॉलर की सहायता राशि के अपने वादे को चीन पूरा करेगा. उन्होंने कहा कि चीन कृषि, ग़रीबी कम करने, शिक्षा, महिलाओं और बच्चों के साथ साथ जलवायु परिवर्तन की दिशा में काम करने के लिए आर्थिक मदद देगा. इनमें आर्थिक और सामाजिक विकास भी शामिल है.
शी जिनपिंग ने कोरोना वायरस के संदर्भ में विकासशील देशों की चिंताओं पर ध्यान देने की बात कही और इस बारे में ख़ास तौर पर अफ़्रीकी देशों का ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को समय से और प्रभावी क़दम उठाने चाहिए.
ट्रंप के बयान पर चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से जवाब भी आया है.
किन-किन मुद्दों पर है चीन-अमरीका तनाव
अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जिस कोरोना संक्रमण को लेकर चीन की निंदा करते आए हैं, उसके कारण अमरीका में दो लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. राष्ट्रपति चुनाव में कोरोना वायरस से निपटने की नीति अहम मुद्दा भी हो सकती है.
इसके अलावा व्यापार, तकनीक, हॉन्गकॉन्ग और शिनजियांग में मुस्लिमों की कथित प्रताड़ना को लेकर ट्रंप चीन की सार्वजनिक आलोचना कर चुके हैं.
ट्रंप ने चीन के साथ साथ डब्लूएचओ को भी घेरा. उन्होंने पहले ही डब्लूएचओ की आलोचना करते हुए संगठन से अमरीका को हटा लिया था.
कुछ महीने पहले जासूसी का आरोप लगाते हुए अमरीका ने ह्यूस्टन स्थित चीनी वाणिज्य दूतावास को बंद करने का आदेश दिया. चीन ने भी जल्द ही जवाब दे दिया. उसने पश्चिमी चीनी शहर चेंगडू में अमरीका को अपना कांसुलेट बंद करने का आदेश दिया.
दोनों देशों के बीच सबसे ज़्यादा विवाद हुआ हॉन्गकॉन्ग के नए राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून को लेकर. इस मामले में ब्रिटेन और अमरीका साथ आए. अमरीका ने हॉन्ग कॉन्ग के साथ प्रत्यर्पण संधि को स्थगित कर दिया और हॉन्ग कॉन्ग के साथ विशेष व्यापारिक और राजनयिक संबंध को भी ख़त्म किया.
ट्रंप प्रशासन ने हॉन्ग कॉन्ग की मुख्य कार्यकारी कैरी लैम और हॉन्ग कॉन्ग तथा चीन के 10 वरिष्ठ अधिकारियों पर भी प्रतिबंध लगाया. ताइवान और चीन के शिनजियांग प्रांत में वीगर मुसलमानों के साथ कथित प्रताड़ना का मुद्दा भी दोनों देशों के बीच विवाद का विषय है.
अमरीकी संस्था एफ़बीआई के निदेशक ने तो यहाँ तक कहा दिया कि चीन अमरीका के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है. क्रिस्टोफ़र रे ने चीन की सरकार की जासूसी और सूचनाओं की चोरी को अमरीका के भविष्य के लिए "अब तक का सबसे बड़ा दीर्घकालीन ख़तरा" बताया.
जासूसी और डेटा चोरी के मुद्दे पर अमरीका में टिकटॉक का मामला भी विवादों में है.
दक्षिणी चीन सागर को लेकर भी अमरीका और चीन आमने-सामने हैं. अमरीका का कहना है कि दक्षिण चीन सागर में संपदा खोजने के चीन के प्रयास पूरी तरह ग़ैर-क़ानूनी हैं.
अमरीका का कहना है कि विवादित जल क्षेत्र को नियंत्रित करने का चीन का आक्रामक अभियान पूरी तरह ग़लत है. जबकि चीन दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्से पर अपना दावा पेश करता रहा है और वो यहां मानव निर्मित द्वीपों पर सैन्य अड्डे बसा रहा है.
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