भारत-चीन के बीच क्या कोई नई केमेस्ट्री बन सकती है?

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- Author, ज़ुबैर अहमद
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता, दिल्ली
चीन में भारतीय राजदूत विक्रम मिसरी ने बुधवार को चीन की सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के एक वरिष्ठ अधिकारी लियू जियानचाओ के साथ मुलाक़ात की और पूर्वी लद्दाख में सीमा पर स्थिति और समग्र द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की. इसकी जानकारी बीजिंग में भारतीय दूतावास ने बुधवार की शाम एक ट्वीट में दी.
इससे दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए औपचारिक रूप से सियासी स्तर पर बातचीत की संभावना बढ़ी है. लियू जियानचाओ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के विदेशी मामलों में एक अहम शख़्सियत माने जाते हैं.
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वो कुछ देशों में चीनी राजदूत रहने के अलावा चीनी विदेश मंत्रालय के प्रमुख प्रवक्ता भी रह चुके हैं. उन्होंने प्रसिद्ध ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की हैं. भारत-चीन संबंधों के जानकार कहते हैं कि ये मुलाक़ात कई मायने में अहम है.

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मुलाक़ात के मायने
कई जानकार मानते हैं कि 14-15 जून को गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद ये मुलाक़ात भारत की ओर से तनाव कम करने की तरफ़ एक औपचारिक कोशिश है. इस बात की तस्दीक ट्विटर पर आई प्रतिक्रिया से भी की जा सकती है. ट्विटर पर लोग लिख रहे हैं "भारत की तरफ़ से पहले (15 जून के बाद) राजनयिक क़दम की तरह से देखा जा रहा है."
कुछ एक्सपर्ट की राय में दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर की बैठकों में कोई ख़ास प्रगति न होने के बाद ये पहली राजनयिक बैठक है, जो रिश्तों में प्रगति लाने की तरफ़ एक सकारात्मक क़दम है.
भारत का अब तक का पक्ष ये रहा है कि चीन अब भी सीमा से पीछे नहीं हटा है और उसकी इंफ्रास्ट्रक्चर गतिविधयाँ अब भी जारी हैं. चीन इस आरोप को ग़लत बताता है.
इस मुलाक़ात का तीसरा अहम मतलब ये निकाला जा रहा है कि शायद उच्च स्तरीय वार्ता मुमकिन हो सके.
ये बैठक रविवार को भारत-चीन के मेजर जनरल स्तर की बीच बातचीत के बाद हुई है. चीन की सरकार के बयानों और इसकी मीडिया में आए विश्लेषण से ये अंदाज़ा होता है कि चीन, भारत को अब भी दोस्त मानता है और इसके साथ शांति बनाए रखना चाहता है.
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मुलाक़ात पर चीन में प्रतिक्रया
कई चीनी बुद्धिजीवियों से बीबीसी की हाल में कई बार बात हुई, जिससे अंदाज़ा होता है कि वो इशारों में अमरीका का नाम लेते हुए कहते हैं कि "भारत सरकार विदेशी ताक़तों के बहकावे" में आ गई है.
भारत में चीन के राजदूत सुन वेइदोंग के हाल के बयान भी भारत से दोस्ती का हवाला देते हैं.
पिछले हफ़्ते उन्होंने भारतीय बुद्धिजीवियों की एक वर्चुअल सभा को संबोधित करते हुए कहा कि चीन और भारत को "प्रतिद्वंद्वियों के बजाय साझेदार होना चाहिए".
उन्होंने गलवान घाटी में हुई झड़प का हवाला देते हुए कहा कि चीन अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करेगा. लेकिन साथ ही उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति पर ज़ोर दिया.
ऐसा लगता है कि भारत में सोशल मीडिया पर "#ThrowChinaOut" जैसे चीन-विरोधी भावनाओं से चीनी हैरान हैं.

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शिन्हुआ विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर शी चाओ ग्लोबल टाइम्स के लिए लिखे अपने एक लेख में कहते हैं, "ये अभियान भारत सरकार की ओर से दर्जनों चीनी ऐप्स को प्रतिबंधित करने सहित द्विपक्षीय व्यापार की डिकप्लिंग की नीतियों को पूरा करने के साथ मेल खाता है. हालाँकि, भारत की वर्तमान विपक्षी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इसे राजनीतिक लाभ के लिए एक अवसर के रूप में ले रही है और चीन के प्रति और कठोर क़दम न उठाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी की आलोचना कर रही है."
वे आगे कहते हैं, "ऐसा लगता है कि भारत में सत्तारुढ़ दल और विपक्षी ताक़तें दोनों एक दौड़ में प्रतिस्पर्धा कर रही हैं. ये देखने के लिए कि चीन के ख़िलाफ़ कौन सा पक्ष अधिक कठोर साबित हो सकता है."
शिन्हुआ यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज़ के प्रोफ़ेसर हुआंग युंग के अनुसार 'भारत की हरकतों से चीन अपना धैर्य खो सकता है. उन्होंने ताज़ा मुलाक़ात का स्वागत करते हुए कहा, "नई दिल्ली के लिए ज़रूरी है कि चीन के ख़िलाफ़ चीनी आयात और सामानों के ख़िलाफ़ क़दम उठा कर राष्ट्रवाद को हवा न दे और चीन से बातचीत का रास्ता अपनाए."
सरहद पर हिंसक टकराव, चीनी आयात पर अंकुश लगाने और भारत सरकार की "चीन-विरोधी आत्मनिर्भरता" की नीतियों के बावजूद पिछले तीन महीनों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में बढ़ोतरी हुई है.

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भारत-चीन के बीच शिखर सम्मेलन की संभावना
भारत-चीन सीमा तनाव के कुछ समय बाद भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच फ़ोन पर बातचीत का हवाला देते हुए चीनी राजदूत ने पिछले हफ़्ते कहा कि वर्तमान सीमा स्थिति को आसान बनाने पर सकारात्मक सहमति बनी. उनके अनुसार उनकी सरकार वार्ता का रास्ता अपनाना चाहती है.
पिछले कुछ सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अनौपचारिक 'शिखर सम्मेलन' हुए हैं, जिनसे दोनों देशों के बीच रिश्ते मज़बूत हुए थे. चीन के मामलों के जानकार पत्रकार संदीप गुप्ता के अनुसार बुधवार की मुलाक़ात के बाद इस अनौपचारिक शिखर सम्मेलन की संभावना भी बढ़ी है.
उन्होंने कहा, 'मैं सकारात्मक विचार रखता हूँ. यहाँ लोग इस तरह के सम्मेलन के पक्ष में नहीं हैं और बुधवार को भारतीय राजदूत की चीनी अधिकारी से मुलाक़ात से इसकी कोई उम्मीद फ़िलहाल नहीं है. लेकिन अगर दोनों पक्ष बातचीत करने लगे और तनाव कम हो जाते हैं, तो इसका रास्ता खुल सकता है."
प्रोफसर हुआंग युंग, जो ख़ुद को "इंडिया लवर" मानते हैं, कहते हैं कि भारत और चीन के बीच के आपसी मतभेद दो पड़ोसियों के बीच हुई झड़प की तरह से देखना चाहिए.
उन्होंने कहा, "चीन और भारत दो विशाल एशियाई देश हैं और इनके बीच मतभेद कम हैं और समानताएँ अधिक. हम दोनों प्राचीन सभ्यताओं के मालिक हैं. हम एक दूसरे की मदद से अधिक प्रगति कर सकते हैं."
अगर बुधवार को हुई मुलाक़ात में भारतीय राजदूत विक्रम मिसरी को भी चीनी अधिकारी लियू जियानचाओ ने ऐसी ही बातें कही हों, तो शायद बात आगे बढ़ सकती है.
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