चीन में शी जिनपिंग की आँखों में क्यों खटक रही है ये तिकड़ी

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग

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    • Author, सिद्धार्थ राय
    • पदनाम, बीबीसी मॉनिटरिंग

कोरोनावायरस वायरस से निपटने को लेकर दुनियाभर से आलोचना के बीच चीन देश के उन शिक्षाविदों और विद्वानों पर सख़्ती बरत रहा है, जो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और सरकारी अधिकारियों के ख़िलाफ़ बोल रहे हैं.

चिंगख्वा यूनिवर्सिटी में लॉ प्रोफेसर शू ज़ांगरून को सरकार की आलोचना में लेख लिखने के चलते 15 जुलाई को बर्ख़ास्त कर दिया गया.

इससे पहले मई में लॉ प्रोफेसर रहे जैंग जुएजॉन्ग को सरकार के ख़िलाफ़ एक खुला पत्र लिखने के कारण गिरफ़्तार कर लिया गया था.

वहीं, जून में चीनी साहित्य के प्रोफेसर लिएंग येनपिंग के पढ़ाने पर इसलिए प्रतिबंध लगा दिया गया था, क्योंकि उन्होंने हॉन्ग-कॉन्ग के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन का समर्थन किया था.

ये तीन नाम सिर्फ़ चीन तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि अमरीका और यूरोपीय संघ भी इनके ज़रिए चीन में अभिव्यक्ति की आज़ादी पर रोक का मुद्दा उठा चुके हैं.

सैकड़ों वकीलों और कार्यकर्ताओं पर किए गए '709 क्रैकडाउन' की 50वीं सालगिरह के मौक़े पर अमरीकी विदेश मंत्रालय और यूरोपीय संघ ने चीन में अभिव्यक्ति की आज़ादी के दमन को लेकर चिंता जताई थी और प्रोफेसर शू ज़ांगरून की रिहाई की मांग की थी.

ऐसे में जानते हैं ये तीन लोग कौन हैं, जो चीन के राष्ट्रपित शी जिनपिंग को चुनौती दे रहे हैं.

शू ज़ांगरून
इमेज कैप्शन, शू ज़ांगरून क़ानून के जानेमाने जानकार हैं.

शू ज़ांगरून

शू ज़ांगरून क़ानून के जानकार हैं. उन्हें 6 जुलाई को बीजिंग में उनके घर से गिरफ़्तार कर लिया गया. उन पर सेक्स वर्कर को बुलाने का आरोप है, लेकिन उनके परिवार और दोस्तों का कहना है कि ये आरोप उनकी छवि ख़राब करने के लिए लगाया गया है.

उन्हें पुलिस हिरासत से 12 जुलाई को रिहा किया गया, लेकिन रिहाई के तुरंत बाद उन्हें चिंगख्वा यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया.

चीनी प्रशासन के मुखर आलोचक शू ज़ांगरून का ज़न्म 1962 में चीन के पूर्वी प्रांत अनख्वे में हुआ था.

उन्होंने साउथवेस्ट यूनिवर्सिटी ऑफ पॉलिटिकल साइंस एंड लॉ से 1983 में ग्रेजुएशन की है. वे चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ़ पॉलिटिकल साइंस एंड लॉ से 1968 में लॉ में मास्टर डिग्री करने के बाद इसी यूनिवर्सिटी में लेक्चरर बने थे.

इसके बाद 1994 में वो लॉ में पीएचडी करने ऑस्ट्रेलिया की मेलबर्न यूनिवर्सिटी गए और साल 2000 में चीन वापस आकर चिंगख्वा यूनिवर्सिटी में पढ़ाने लगे.

साल 2003 में शू ज़ांगरून ने पहली बार चीनी संवैधानिकता की अवधारणा रची और जनवरी 2005 में चाइना लॉ सोसायटी ने उन्हें शीर्ष 10 उत्कृष्ट युवा क़ानूनी विद्वानों में चुना.

डॉक्टर ली वेनलियांग

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इमेज कैप्शन, डॉक्टर ली वेनलियांग

कन्फ्यूशीवाद क़ानूनी विरासत, क़ानून, क़ानून और संवैधानिक सिद्धांत का पश्चिमी दर्शन उनके अनुसंधान क्षेत्र रहे हैं और उन्होंने "द कन्फ्यूशियन मिसिविंग्स-लियांग शू-मिंग्स नरेटिव अबाउट लॉ" किताब लिखी है.

जुलाई 2018 में उन्होंने "इमिनेंट फियर्स, इमिडिएट होप्स" नाम से एक लेख लिखा था, जिसमें चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की अधिनायकवादी राजनीति को लेकर चिंता ज़ाहिर की थी.

बाद में उन्होंने अपने तीन लेखों में ये बात कही कि चीन के लाल साम्राज्य की छवि ने देश की प्रगति में रुकावट पैदा कर दी है. साथ ही उन्होंने स्वतंत्रता और समानता के लोकतांत्रिक मूल्यों को लागू करने का प्रस्ताव भी दिया.

बाद में उनके लेखों को एक किताब के तौर संकलित किया गया, जिसका नाम था "सिक्स चैप्टर्स फ्रॉम द 2018 ईयर ऑफ द डॉग". ये किताब कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों की आंखों में खटकने लगी और उन्हें चिंगख्वा यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया. मार्च 2019 में उन पर जाँच बैठा दी गई.

हालाँकि, इसके बाद भी शू ज़ांगरून ने चीनी अधिकारियों की आलोचना में लेख लिखना ज़ारी रखा. कोरोना वायरस महामारी के दौरान उन्होंने दो लेख लिखे, जिनमें उन्होंने शुरुआती दौर में कोरोना वायरस महामारी और ली वेनलियांग की मौत को छिपाने की सरकार की कोशिशों की आलोचना की थी.

डॉक्टर ली वेनलियांग कोरोना वायरस के मामले में व्हिसल ब्लोअर थे, जिनकी बाद में कोरोना संक्रमण से मौत हो गई थी.

जैंग जुएजॉन्ग
इमेज कैप्शन, जैंग जुएजॉन्ग ने चीन की नेशनल पीपल्स कांग्रेस को एक खुला पत्र लिखा था.

जैंग जुएजॉन्ग

ईस्ट चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ़ पॉलिटिकल साइंस एंड लॉ में पूर्व असोसिएट प्रोफेसर जैंग जुएजॉन्ग को 11 मई को गिरफ़्तार किया गया था. इससे एक दिन पहले उन्होंने चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस को एक खुला पत्र लिखा था.

अपने 10 हज़ार शब्दों के पत्र में जैंग जुएजॉन्ग ने मौजूद संविधान को 'छद्म संविधान' कहा था और राजनीतिक क़ैदियों की रिहाई, मीडिया पर लगे प्रतिबंध हटाने और एक बहुदलीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए शांतिपूर्वक राजनीतिक परिवर्तन की मांग की थी.

ये पत्र 22 मई को होने वाले चीन के वार्षिक सत्र से पहले प्रकाशित हुआ था. इसमें कोरोना वायरस से निपटने को लेकर भी चीन की सरकार की आलोचना की गई थी. साथ ही कहा गया था कि डॉक्टर ली वेनलियांग को आवाज़ उठाने की सज़ा दी गई.

जिआंगशी प्रांत के रहने वाले जैंग जुएजॉन्ग 44 साल के हैं. वह हमेशा चीन में राजनीतिक और संवैधानिक सुधारों को लेकर मुखर रहे हैं. दिसंबर 2013 में, उन्हें ईस्ट चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ पॉलिटिकल साइंस एंड लॉ से प्रोफ़ेसर के पद से बर्ख़ास्त कर दिया गया था.

उन्होंने "द ओरिजन एंड डेंजर ऑफ एंटी-कॉनस्टीट्यूशनल काउंटर करंट इन 2013" नाम से एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने संवैधानिकता, अभिव्यक्ति की आज़ादी, लोकतंत्र और क़ानून के शासन की वक़ालत की थी.

जुएजॉन्ग ईस्ट चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ पॉलिटिकल साइंस एंड लॉ से साल 2007 में पीएचडी कर चुके हैं. 2009 में उन्होंने अपने एक लेख को वापस ले लिया था, जिसमें चीन में मार्क्सवाद को हटाने की बात कही गई थी. ये लेख सिंगापुर के एक चीनी अख़बार में प्रकाशित हुआ था.

मर्ई 2013 में उन्होंने अपने वीबो सोशल मीडिया अकाउंट पर जानकारी दी थी कि प्रशासन ने कॉलेज और विश्वविद्यालयों में जिन सात विषयों (सेवन टैबू) से दूर रहने के लिए कहा था, उनमें शामिल थे प्रेस की स्वतंत्रता, नागरिक अधिकार, न्यायिक स्वतंत्रता और कम्युनिस्ट पार्टी की पिछली ग़लतियाँ.

इसके बाद 'सेवन टैबू' इंटरनेट पर प्रतिबंधित शब्द बन गया था और जुएजॉन्ग का वीबो अकाउंट डिलीट कर दिया गया था.

जुएजॉन्ग ने प्रोफ़ेसर के पद से हटाए जाने के बाद 2019 तक गिरफ़्तार किए गए कई एक्टिविस्ट के लिए वक़ील के तौर पर काम किया. इसके बाद शंघाई ज्यूडिशियर ब्यूरो ने उनके वक़ील का लाइसेंस रद्द कर दिया.

लिएंग येनपिंग
इमेज कैप्शन, लिएंग येनपिंग चीनी साहित्य की प्रोफेसर हैं.

लिएंग येनपिंग

लिएंग येनपिंग चीनी साहित्य की प्रोफ़ेसर हैं. उन पर फ़ांग फ़ांग नाम की एक लेखक के समर्थन में लिखने पर हुबेई यूनिवर्सिटी ने 27 अप्रैल 2020 को एक जाँच बैठाई थी.

फ़ांग फ़ांग एक लोकप्रिय चीनी लेखिका हैं, जिन्होंने "वुहान डायरी" किताब में वुहान लॉकडाउन के अपने व्यक्तिगत अनुभव को लिखा था.

20 जून को प्रशासन ने नोटिस ज़ारी किया कि यूनिवर्सिटी उन्हें हॉन्ग कॉन्ग के अलगाववाद का समर्थन करने और सोशल मीडिया पर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चीन में जापान की भूमिका को लेकर ग़लत जानकारियाँ फैलाने का दोषी मानती है. इसके बाद उन्हें पढ़ाने से प्रतिबंधित कर दिया गया.

उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर काला मास्क पहने हुए एक तस्वीर पोस्ट की थी. इसके ज़रिए उन्होंने हॉन्ग कॉन्ग में पिछले साल प्रत्यर्पण विरोधी बिल के विरोध के दौरान मारे गए एक युवा प्रदर्शनकारी के लिए दुख व्यक्त किया था.

59 साल की लिएंग शंशी प्रांत के डाटोंग शहर में पैदा हुई थीं. 1997 में हुबेई यूनिवर्सिटी से चीनी साहित्य में मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद वह यूनिवर्सिटी में लेक्चरर बन गईं.

साल 2003 में वह वुहान में सेंट्रल चाइना नॉर्मल यूनिवर्सिटी में पीएचडी करने लगीं. साल 2006 में जापान की टोक्यो यूनिवर्सिटी में एक साल तक विज़िटिंग स्कॉलर रहीं.

उनकी वापसी पर उन्हें 2010 में हुबेई यूनिवर्सिटी के लिबरल आर्ट्स स्कूल में प्रोफ़ेसर के रूप में पदोन्नत किया गया था.

अपने शैक्षणिक करियर के दौरान उन्होंने कई शोध पत्र और किताबें लिखी हैं. 2011 में उन्हें हुबेई सोशल साइंस अचीवमेंट और हुबेई लिटरेचर एंड आर्ट अवॉर्ड पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

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