कोरोना वायरस: वो शहर जहां कई देशों के मुक़ाबले ज़्यादा मौतें हो रही हैं

इमेज स्रोत, Getty Images
- Author, मातियास जिबेल
- पदनाम, बीबीसी मुंडो
लातिन अमरीकी देश इक्वाडोर के सबसे बड़ी आबादी वाले शहर ग्वायाक्विल में कोरोना वायरस से संक्रमित लोग अस्पतालों में नहीं सड़कों पर मर रहे हैं.
अगर लोगों की मौत घरों पर हो रही है, तो कई-कई दिनों तक उनके शव ले जाने के लिए इंतज़ार करना पड़ रहा है.
इक्वाडोर के ग्वायस प्रांत में एक अप्रैल तक 60 लोगों की मौत हो चुकी थी और 1937 कोरोना से संक्रमण के मामले सामने आ चुके थे. इक्वाडोर में 2 अप्रैल तक 98 लोगों के मारे जाने और 2758 लोगों के संक्रमित होने की रिपोर्ट है. संक्रमितों का यह आँकड़ा किसी भी लातिन अमरीकी देश में ज़्यादा है.
ग्वायाक्विल, ग्वायस प्रांत की राजधानी है. इक्वाडोर में कोरोना संक्रमण के कुल मामलों का 70 फ़ीसदी यहीं से है. प्रति व्यक्ति औसत के हिसाब से भी यह दुनिया के सबसे अधिक प्रभावित शहरों में से एक है.
इन आँकड़ों में वे मामले शामिल नहीं हैं जिनमें कोरोना की वजह से तो मौतें हुई हैं लेकिन चूंकि टेस्ट नहीं हुआ, इसलिए पता नहीं चला.

इमेज स्रोत, Getty Images
लातिन अमरीका में ब्राज़ील और चिली के बाद इक्वाडोर तीसरा ऐसा देश है, जहां कोरोना के सबसे ज्यादा मामले हैं. लेकिन यहां मरने वालों की दर ब्राजील और चिली से भी ज्यादा है.
ग्वायाक्विल में अंतिम संस्कार करने वाले घर हालात का सामना नहीं कर पा रहे हैं. स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि राष्ट्रपति लेनिन मोरेनो ने घरों से शवों को लाकर उनका अंतिम संस्कार करने के लिए स्पेशल टास्ट फोर्स का गठन किया है.
राजधानी से दक्षिण में 600 किलोमीटर दूर क्वेटो शहर की रहने वाली जेसिका कैस्टानेडा कहती हैं, "28 मार्च को मेरे अंकल स्गुंडो की मौत हो गई लेकिन अब तक कोई हमारी मदद को नहीं आया."
वो बताती हैं, "अस्पतालों के पास बेड नहीं है. उनकी घर में ही मौत हुई. हमने इमरजेंसी सर्विस को कॉल किया तो उन्होंने हमें सब्र रखने को कहा. उनका शरीर अभी भी उसी बेड पर पड़ा है, जिसपर उनकी मौत हुई. हमने उनके शरीर को छुआ तक नहीं है."

इमेज स्रोत, Reuters
ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ कोरोना संक्रमण से मरने वालों को ही इमरजेंसी सर्विस नहीं मिल पा रही है बल्कि दूसरी वजहों से होने वाली मौतों पर भी कोई मदद नहीं पहुँच रही है.
ग्वायाक्विल के उत्तरी हिस्से में रहने वाली वेंडी नोबोआ बताती हैं, "मेरा पड़ोसी गिर पड़ा तब मैंने इमरजेंसी नंबर पर मदद के लिए कॉल किया लेकिन मुझे कोई मदद नहीं मिली."
उनके पड़ोसी गोर्की पाजमिनों की 29 मार्च को मौत हो गई.
वो बताती हैं, "उनका शरीर सारा दिन फ़र्श पर गिरा पड़ा रहा जब तक उनके परिवार वाले नहीं आ गए. लेकिन वो उनका अंतिम संस्कार नहीं कर पाए क्योंकि उनके डेथ सर्टिफिकेट पर साइन करने के लिए कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था."

इमेज स्रोत, Reuters
सड़कों पर मरते लोग
स्थानीय लोग सोशल मीडिया पर सड़कों पर मरने वाले लोगों के बारे में जानकारी दे रहे हैं.
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो शेयर हो रहे हैं, जिनमें दिखाया गया है कि अस्पताल के बाहर एक आदमी गिर कर मर गया या फिर घर से शव उठाने वाला कोई नहीं आ रहा, इसे लेकर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं (हालांकि बीबीसी ने इस वीडियो फुटेज की जांच कर पुष्टि नहीं की है.)
ग्वायाक्विल के दैनिक अखबार अल तेलगराफो की पत्रकार जेसिका जैम्ब्रानो बताती हैं, "मेरा पार्टनर किराने की दुकान में सामान लाने गया था तब उसने एक आदमी का शव सड़क की मोड़ पर पड़ा देखा. हमें पता चला कि उसके कुछ ही मीटर की दूरी पर एक दूसरा शव भी पड़ा हुआ था.''

इमेज स्रोत, AFP
घरों में जिनकी मौत हो रही है, उनकी संख्या ज्यादा है. इन्हें संभालने के लिए सरकार के पास पर्याप्त सुविधाएँ नहीं हैं. अस्पतालों में पहले से ही भारी भीड़ है. वो और ज्यादा मरीज़ों को नहीं रख पा रहे हैं.
यहाँ के एक अख़बार एक्सप्रेसो के पत्रकार बलैंका मोनकाडो कहते हैं, "ग्वायाक्विल में लोग हताश हो रहे हैं. एक शव को घर से ले जाने के लिए 72 घंटे तक सरकारी मदद का इंतज़ार करना पड़ रहा है."
समाचार एजेंसी ईएफई के मुताबिक़ मार्च के आख़िरी हफ्ते में अलग-अलग वजहों से 300 लोगों की मौत यहां उनके घर पर हुई. इनमें से कई के शव पुलिस ने अंतिम संस्कार के लिए पहुंचाए लेकिन अभी भी लिस्ट में 115 लोग बचे हुए हैं और उनके शव उनके घरों पर पड़े हुए हैं.

इमेज स्रोत, Getty Images
हर रोज़ 15 घंटों तक लगने वाले कर्फ्यू की वजह से इस काम में और परेशानी हो रही है.
आर्मी कमांडर डार्विन जैरिन कुछ दिन पहले ही ग्वायस प्रांत के आर्मी और पुलिस को-ऑर्डिनेटर बनाए गए हैं. उन्होंने बीबीसी से कहा कि सभी मृतकों को इस हफ्ते के आख़िर तक दफना दिया जाएगा.
उन्होंने कहा, "अंतिम संस्कार की ज़िम्मेदारी फ़ौज की है."
मौत के बढ़ते हुए मामले सरकार के सामने एक चुनौती है. स्थानीय मीडिया का कहना है कि इसने राजनीतिक विवाद को भी जन्म दे दिया है.
ग्वायाक्विल की मेयर सिंटिआ विटेरी ने पब्लिक हेल्थ सिस्टम की नाकामी के लिए केंद्र की सरकार को दोषी ठहराया है. उन्होंने ख़ुद को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद सेल्फ़ आइसोलेशन में रखा हुआ है.

इमेज स्रोत, EPA
सामूहिक अंतिम संस्कार को लेकर विवाद
लातिन अमरीका में पहला कोरोना पॉजिटिव मामला इक्वाडोर से ही फ़रवरी के आख़िर में आया था. सरकार को इसकी गंभीरता समझते हुए अप्रत्याशित क़दम उठाने थे.
जुआन कार्लोस जेवालोस ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "जो हो रहा है उससे हम इनकार नहीं कर सकते. गंभीर स्थिति हैं. लेकिन हम यह बताना चाहेंगे कि पूरे महादेश में हम पहले थे जिसने सख्त क़दम उठाए."
उनका कहना है कि सरकार को लेकर की जा रही कुछ आलोचनाओं से वो सहमत नहीं है.

इमेज स्रोत, AFP
ग्वायस प्रांत के स्थानीय प्रशासन ने संकट से निपटने के लिए सामूहिक तौर पर अंतिम संस्कार करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उसे जल्दी ही अपने इस प्रस्ताव से पीछे हटना पड़ा.
ग्वायाक्विल के समाजशास्त्री हेक्टर सिरीबोगा बीबीसी से बातचीत में कहते हैं, "यह भयानक आइडिया है. यह एक ऐसा शहर है जहां तब तक लोगों के अंतिम संस्कार नहीं होते जब तक कि उनके घर के या फिर यूरोप में रहने वाले रिश्तेदार आ ना जाए. पिछले दो दशक में इक्वाडोर से बड़ी संख्या में लोग यूरोप गए हैं. यहां लोग शवों को अंतिम संस्कार से पहले सजाते हैं."
वो कहते हैं कि सामूहिक अंतिम संस्कार करने का आइडिया यहां के रूढ़िवादी समाज को ठेस पहुंचाने वाला होगा. ख़ासकर उन कैथोलिक के लिए जिन्हें मृत्यु के समय के रीति-रिवाज करने से मना किया जाएगा.

इमेज स्रोत, EPA
डर
कई क़ब्रिस्तान कोरोना वायरस के संक्रमण के डर से शवों को दफ़नाने से मना कर रहे हैं.
इस पर इक्वाडोर के पब्लिक हेल्थ सोसाइटी के डॉक्टर ग्रेस नैवारेटे कहते हैं, "चारों तरफ़ बदहवासी की स्थिति है. उन्हें लगता है कि ग्वायाक्विल में जिस किसी की भी मौत हुई है, वो कोरोना की वजह से ही हुई है. यहां तक कि रिश्तेदार भी डरे हुए हैं."
वो कहते हैं, "घरों में भी यही डर है. अगर कोई मर रहा है तो घर में कोई उसे डर से नहीं छू रहा. ग्वायाक्विल का तापमान चूंकि ज्यादा है, इसलिए जल्दी ही शव ख़राब होने लग रहे हैं."
सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ अर्नेस्टो टॉरेस का मानना है कि सामुदायिक स्तर पर इस महामारी से निपटना चाहिए.
वो कहते हैं, "अगर हम समाज के लोगों को विश्वास में लेकर इसमें शामिल करते हैं तो फिर अस्पताल वाली बड़ी भीड़ पर नियंत्रण कर सकते हैं."

- कोरोना महामारी, देश-दुनिया सतर्क
- कोरोना वायरस के क्या हैं लक्षण और कैसे कर सकते हैं बचाव
- कोरोना वायरस का बढ़ता ख़तरा, कैसे करें बचाव
- कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क पहनना क्यों ज़रूरी है?
- कोरोना: मास्क और सेनेटाइज़र अचानक कहां चले गए?
- अंडे, चिकन खाने से फैलेगा कोरोना वायरस?
- कोरोना वायरस: बच्चों को कोविड-19 के बारे में कैसे बताएं?
- कोरोना वायरस: संक्रमण के बाद बचने की कितनी संभावना है
- कोरोना वायरस का कहर बरपा तो संभल पाएगा भारत?
- कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का अपमान क्यों
- कोरोना: माचिस की आग से 'स्टे होम' का संदेश
- कोरोना वायरस: क्या करेंसी नोट और सिक्कों से भी फैल सकता है?
- कोरोना वायरस: तीसरे चरण के संक्रमण से बचने के लिए कितना तैयार है भारत


इमेज स्रोत, MohFW, GoI

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

















