'आसिया बीबी! पाकिस्तान को एक और दरिया पार करना है'

इमेज स्रोत, HANDOUT
- Author, वुसअतुल्लाह ख़ान
- पदनाम, वरिष्ठ पत्रकार, पाकिस्तान से बीबीसी हिंदी के लिए
कोई राष्ट्र हवा में नहीं बनता बल्कि एक संविधान, इस संविधान से पैदा होने वाली सरकार और इस संविधान को लागू करने वाली अदालत के एक साथ जुड़ाव का नाम ही राष्ट्र है.
अगर संविधान और उसको मानने वाले तो हों मगर लागू करने वाले न हों तो ऐसा संविधान रद्दी से भी सस्ता और ऐसा राष्ट्र पीतल के भाव है.
इस वक़्त पाकिस्तानी राष्ट्र के सामने फिर इस सवाल का सामना करना है कि क्या रियासत में इतनी ताक़त है कि अपने बल पर अपने एक-एक नागरिक की रक्षा कर सके?
हो सकता है आप लोग कहें, भला ये क्या बात हुई? ज़ाहिर है हर देश में इतनी क्षमता होती है तभी तो वो एक अलग और स्वतंत्र राष्ट्र कहलाता है.
मगर हम पाकिस्तानियों के लिए ये सवाल वाक़ई अहम है क्योंकि हमने पिछले कई वर्ष इसमें गवां दिए कि तालिबानी हमारे ही भटके भाई हैं जिन्हें प्यार और दलील से ये समझाया जा सकता है कि जिस थाली में खाते हैं उसमें छेद नहीं करते.
तालिबानी 'राक्षस'
हम इंतज़ार करते रहे कि तालिबान समझ जाएगा. इस इंतज़ार में हमने हज़ारों पाकिस्तानी चरमपंथ के राक्षस की भेंट कर दिए ताकि वो ख़ुश होकर बाकियों को बख़्श दे और कछार में वापस चला जाए.

इमेज स्रोत, Getty Images
मगर ऐसा कब होता है? चुनांचे जिस राक्षस को राष्ट्र ने अपने से भी बड़ा दिखने की इजाज़त और सहूलियत दी, आख़िर में उसी से गुत्थमगुत्था होकर बाद में ख़ून में लथपथ होने के बाद पछाड़ना पड़ा.
आग और ख़ून के दरिया से गुज़रने के बाद हमें सीख जाना चाहिए था कि अब हम ऐसे किसी संगठन को बर्दाश्त नहीं करेंगे जो हमारे बर्दाश्त के दूध पर पल-पलकर एक और राक्षस बन जाए.

इमेज स्रोत, EPA
एक क्रिश्चियन औरत आसिया बीबी को उच्च न्यायलय की तरफ़ से इस आरोप से मुक्ति मिलने के बाद कि 'आसिया ने पैगम्बर-ए-इस्लाम की निंदा नहीं की बल्कि उसे इससे जुड़े इल्ज़ाम में फंसाया गया.'
हममें से बहुतों के सिर फ़ख्र से ऊंचे हो गए कि पाकिस्तान में भी एक आम नागरिक को, भले उसका धर्म कोई भी हो, इंसाफ़ मिल सकता है.

इमेज स्रोत, Getty Images
इस फ़ैसले के विरोधियों ने जिस तरह फ़ौज और जजों को धमकियां दीं और एलान-ए-बग़ावत करके आम लोगों को तोड़-फोड़ करने के लिए उकसाया, उसके बाद प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की दो टूक चेतावनी से बहुत हौसला मिला कि राष्ट्र को चैलेंज करने वालों से सख़्ती से निबटा जाएगा.
मगर सिर्फ़ तीन दिन बाद ही सरकार ने यू-टर्न लेकर फ़ैसले के विरोधियों से उसी तरह समझौता कर लिया जैसा तालिबान से किया जाता रहा और आख़िर में उन्हें सींगों से पकड़ना पड़ा.
अब एक तरफ़ पाकिस्तान का उच्च न्यायालय अकेला खड़ा है और दूसरी ओर सरकार सिर झुकाए जाने किस सोच में है... और दरम्यान में आसिया बीबी को बरी करने के विरोधी टांगें चौड़ी करके चल रहे हैं.
लगता है इस देश की क़िस्मत में एक और लंबी, ठंडी रात लिख दी गई है.
इक और दरिया का सामना था 'मुनीर' मुझको
मैं एक दरिया के पार उतरा तो मैंने देखा
ये भी पढ़ें:-
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आपयहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)












