पहली बार अफ़ग़ानिस्तान की संसद में हिंदू-सिख प्रतिनिधि

अफ़ग़ानिस्तान में हिंसा की घटनाओं के बीच हुए संसदीय चुनाव में क़रीब 30 लाख लोगों ने मतदान किया.

वोटरों की ये संख्या पहले लगाए गए अनुमान से अधिक है.

तकनीकी दिक्कतों की वजह से जिन मतदान केंद्रों में शनिवार को वोटिंग नहीं हुई, वहां रविवार को (आज) वोट डाले जाएंगे.

साल 2001 के बाद ये पहला मौका था कि संसदीय चुनाव कराने की कमान पूरी तरह से अफ़ग़ानिस्तान की सरकार के हाथ में थी.

चुनाव के दौरान कई जगह हिंसा की घटनाएं भी हुईं और इनमें कम से कम 28 लोगों की मौत हो गई. इनमें से 15 लोगों की मौत राजधानी काबुल में हुए आत्मघाती धमाके में हुई.

चुनाव नतीजे आने में करीब दो हफ़्ते का वक़्त लग सकता है. संयुक्त राष्ट्र ने चुनाव में बड़ी संख्या में लोगों के वोट डालने की सराहना की है.

अफ़ग़ानिस्तान में शनिवार को हुई वोटिंग के बाद बीबीसी हिंदी के संवाददाता कुलदीप मिश्र ने काबुल में मौजूद बीबीसी संवाददाता सईद अनवर से बात की. पढ़िए चुनाव को लेकर उन्होंने क्या जानकारी दी :-

अफ़ग़ानिस्तान के संसदीय चुनाव के लिए मतदान सुबह सात बजे शुरू हुआ और कुछ प्रांतों में एक या दो घंटे की देरी से चुनाव प्रक्रिया शुरू हो पाई.

संसद में अपने प्रतिनिधि चुनने के लिए अफ़ग़ानिस्तान के लोग बड़ी संख्या में मतदान केंद्रों पर पहुंचे.

ऐसे प्रांत जहां सुरक्षा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. तालिबान और दूसरे संगठनों की मौजूदगी है, वहां भी लोग बड़ी संख्या में मतदान केंद्रों तक पहुंचे.

मतदान के दौरान कई प्रांतों में हिंसा भी हुई. अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में एक आत्मघाती हमले में कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई. मरने वालों में आठ सुरक्षाकर्मी थे. हमले में 50 से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं.

नंगरहार प्रांत में तालिबान के हमले में 20 लोग मारे गए और 30 से ज़्यादा घायल हुए हैं.

ऐसे मतदान केंद्र जहां देरी से मतदान शुरू हुआ, उनमें से कुछ में रविवार को भी मतदान होगा.

निचले सदन की 250 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में 2,566 उम्मीदवार मैदान में हैं. महिलाओं के लिए 40 से ज़्यादा सीटें आरक्षित हैं. लेकिन जिन महिलाओं को पुरुषों के मुक़ाबले ज़्यादा वोट मिलेंगे वो भी संसद के लिए चुनी जाएंगी. यानी महिलाओं की संख्या 40 से ज़्यादा भी हो सकती है. इस बार अफ़ग़ानिस्तान के सिख और हिंदू समुदाय के लिए भी एक सीट रिज़र्व की गई है.

ये पहला मौका है जब अफ़ग़ानिस्तान के निचले सदन में सिख और हिंदू समुदाय का एक प्रतिनिधि मौजूद होगा.

महिलाओं की भागीदारी

दुनिया भर की मीडिया में अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं के बारे में कई रिपोर्टें आती हैं. ये कहा जाता है कि यहां उनके लिए हालात अच्छे नहीं हैं, लेकिन ज़मीनी हक़ीकत देखी जाए तो यहां महिलाओं के लिए एक लिहाज से हालात अच्छे हैं क्योंकि अगर आस-पास के देशों में देखें तो इतनी महिला सांसद न तो पाकिस्तान में हैं और न ही कज़ाकिस्तान में हैं.

अफ़गानिस्तान में कई महिला मंत्री और उपमंत्री हैं. कई राजदूत हैं और अलग-अलग विभागों में महिलाओं को काम करने की सुविधाएं मिलती हैं.

राजनीति में महिलाओं का दखल काफी ज़्यादा है. मिसाल के तौर पर बल्ख प्रांत में क़रीब दो लाख महिलाओं ने वोट डालने के लिए पंजीकरण कराया. यहां सुरक्षा चितांओं की वजह से कुछ क्षेत्रों में महिलाओं की भागेदारी कुछ कम है.

अफ़ग़ानिस्तान में शनिवार को संसदीय चुनाव संपन्न हुए हैं, लेकिन कुछ जगहों पर आज भी मतदान होंगे. वहीं दक्षिणी कंधार में चुनावों को एक सप्ताह के लिए टाल दिया गया है. बीते गुरुवार को गवर्नर परिसर में हुए एक आत्मघाती हमले में पुलिस प्रमुख समेत दो लोगों की मौत के बाद सुरक्षा परिषद की बैठक में ये फ़ैसला लिया गया.

अफ़ग़ानिस्तान में ये चुनाव इसलिए बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि तालिबान लगातार लोगों को मतदान न करने के लिए कहता रहा है, बावजूद इसके शनिवार को हुए चुनावों में लोगों ने भारी संख्या में हिस्सा लिया.

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