इराक़ चुनाव में शिया नेता मुक्तदा अल-सद्र की जीत

इमेज स्रोत, Reuters
इराक़ के संसदीय चुनाव में पूर्व शिया मिलिशिया प्रमुख मुक्तदा अल-सद्र के नेतृत्व वाले गठबंधन को जीत मिली है.
इराक़ के चुनाव आयोग ने अंतिम नतीजों की घोषण कर दी है. मुक्तदा अल-सद्र के गठबंधन को 54 सीटें मिली हैं और मौजूदा प्रधानमंत्री हैदर अल-अबादी 42 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर हैं.
लंबे समय तक अमरीका के विरोधी रहे सद्र ख़ुद प्रधानमंत्री नहीं बन सकते हैं, क्योंकि वो प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में खड़े नहीं हुए थे.
हालांकि इराक़ में नई सरकार के गठन में उनकी अहम भूमिका होगी.

इमेज स्रोत, Getty Images
अमरीकी सेना को चुनौती
साल 2003 में इराक़ में अमरीकी हमलों के दौरान सद्र की पहचान एक निजी सेना के प्रमुख के तौर पर अमरीकी सेना को चुनौती देने वाले के रूप में थी.
इसके बाद सद्र ने इराक़ में ख़ुद को भ्रष्टाचार विरोधी नेता के तौर पर स्थापित किया. वहीं सद्र ईरान के भी मुखर आलोचक रहे हैं.
दिसंबर में कथित चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट पर जीत की घोषणा के बाद इराक़ में यह पहला चुनाव था.
इराक़ में अब भी पांच हज़ार अमरीकी सैनिक हैं और वो स्थानीय सुरक्षा बलों को इस्लामिक स्टेट के ख़िलाफ़ लड़ाई करने में मदद कर रहे हैं.
मुक्तदा अल-सद्र के इस गठबंधन में उनकी ख़ुद की पार्टी इस्तिक़ामा समेत 6 अन्य धर्मनिरपेक्ष समूह शामिल हैं. इस गठबंधन में इराक़ी कम्युनिस्ट पार्टी भी है.

इमेज स्रोत, AFP
भ्रष्टाचार ख़त्म करने का दावा
इस चुनाव में ईरान समर्थित गठबंधन फतेह 47 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रहा है.
फतेह एक राजनीतिक धड़ा है जिसकी कमान पूर्व परिवहन मंत्री हदी अल-अमीरी के पास है. अल-अबादी की हार के लिए भ्रष्टाचार को एक बड़ा कारण बताया जा रहा है.
मुक्तदा अल-सद्र के गठबंधन ने चुनावी अभियान के दौरान भ्रष्टाचार ख़त्म करने और जन कल्याण के काम कराने का वादा किया था.
नई सरकार के गठन की प्रक्रिया 90 दिनों के भीतर पूरी हो जानी चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद हैदर अल-अबादी फिर से प्रधानमंत्री बन सकते हैं.
इराक़ में जो भी नई सरकार बनेगी उसकी बड़ी ज़िम्मेदारी इस्लामिक स्टेट से लड़ाई में हुई बेइंतहा बर्बादी के बाद मुल्क़ को पटरी पर लाना रहेगी.

इमेज स्रोत, AFP/Getty Images
100 अरब डॉलर की ज़रूरत
साल 2014 से इराक़ का एक बड़ा हिस्सा इस्लामिक स्टेट के नियंत्रण में था.
फ़रवरी में हुए एक सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय दानकर्ताओं ने 30 अरब डॉलर इराक़ को देने का वादा किया था, लेकिन इराक़ के अधिकारियों का अनुमान है कि उन्हें 100 अरब डॉलर से ज़्यादा की आर्थिक मदद की ज़रूरत है.

इमेज स्रोत, Getty Images
इराक़ का कहना है कि केवल मूसल शहर में ही 20 हज़ार घर और व्यापारिक प्रतिष्ठान बर्बाद हुए हैं और 20 लाख से ज़्यादा इराक़ी देश के अलग-अलग हिस्सों में अब भी विस्थापित जीवन जी रहे हैं.
इसके साथ ही इस्लामिक स्टेट के हमले अब भी थमे नहीं हैं.
12 मई को हुए चुनाव में 44.5 फ़ीसदी लोगों ने मतदान किया था जो कि पहले के चुनावों हुए तुलना में काफ़ी कम है.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)















