तो इसलिए मोदी पर गरम हैं आज़म ख़ान..

- Author, वुसअतुल्लाह ख़ान
- पदनाम, पाकिस्तान से बीबीसी हिंदी के लिए
रामपुर की दो चीजें मशहूर हैं. चाकू और आज़म ख़ान.
आश्चर्यजनक बात ये है कि ऐसा नेता जिसने क़ानून की शिक्षा की हो, चार पार्टियां बदली हों, 1980 से आठवीं बार विधानसभा का सदस्य हो, पांचवीं बार मंत्री हो, एक बार विपक्ष का नेता रहा हो, उसे फिर भी इतनी रेटिंग क्यों चाहिए कि ख़बरों में रहने के लिए वह एक ब्यूरोक्रेट को भरी सभा में बकवास बंद करो, बदतमीज़ कहीं के, कह दे.
चुनाव आयोग को इस बात पर नकार दे कि मुझे मुसलमान होने की सज़ा दी जा रही है और कहे कि अल्लाह ने संजय को मुसलमानों की नसबंदी करवाने और राजीव गांधी को बाबरी मस्जिद में शिलान्यास कराने की सज़ा दी है.

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चटपटापन और सनसनी मीडिया की कमज़ोरी है और आज़म ख़ान इस कमज़ोरी से ख़ूब वाक़िफ़ हैं.
ऐसे ऐसे राज़ खोलते हैं कि मुंह खुला रह जाए. ऐसे मुंह को तो अल्लाह ताला ही ताला लगाए तो लगे. जैसे यही कि करगिल की चोटियां हिंदुओं ने नहीं, मुसलमान सिपाहियों ने फतह की थीं और नेताजी की सालगिरह की फंडिंग तालिबान और दाउद इब्राहिम ने की थी, इत्यादि, इत्यादि.
ताज़ा ख़बर आज़म ख़ान ने ये फोड़ी है कि दाउद इब्राहिम से नरेंद्र मोदी की मुलाक़ात लाहौर में नवाज़ शरीफ़ के घर पर हुई थी.
अब कम से कम बरखा दत्त को इतनी बड़ी ख़बर मिस करने पर आज़म ख़ान के चरण छू ही लेने चाहिए.

मगर आज़म ख़ान ने भी पूरी बात नहीं बताई, शायद ये सोचकर नहीं बताई कि कल को क्या बताएंगे और परसों को क्या बेचेंगे.
मैं बताता हूँ कि लाहौर में हुआ क्या? मोदी-दाउद इब्राहिम की मुलाकात की ख़बर आईएसआई ने रॉ को दी और रॉ ने ये ख़बर आज़म ख़ान को बता दी, क्योंकि प्रधानमंत्री को ये बताने का कोई फ़ायदा था नहीं कि उनकी मुलाक़ात दाउद इब्राहिम से भी हुई है.
इस मुलाकात में मोदी ने वादा किया कि अगर दाउद भाई घर वापसी योजना के तहत घर वापस आ जाएं, तो अदालत उन्हें जो भी सज़ा दे, परवाह नहीं. वे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के जरिए माफ़ करवा देंगे.

धुले धुलाए दाउद इब्राहिम अगले यूपी चुनाव में बीजेपी के टिकट पर रामपुर से आज़म ख़ान के मुक़ाबले में जितवाने के बाद, उन्हें यूपी मंत्रालय में सीनियर मंत्री बना देंगे.
अगर बीजेपी यूपी में सरकार नहीं बना पा सकी, तो दाउद इब्राहिम के लिए फिर भी यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता की जगह पक्की.
इससे ना केवल आज़म ख़ान की राजनीति को धक्का लगेगा बल्कि पाकिस्तान के साथ संबंधों पर भी अच्छा असर पड़ेगा.
ऐसी योजनाओं से कांफिडेंस बिल्डिंग बढ़ेगी और फिर दोनों देश हंसी ख़ुशी एक दूसरे पर वॉर करते रहेंगे. तो ये है सारा चक्कर, जिसकी वजह से आज़म ख़ान मोदी सरकार पर इतने गर्म चल रहे हैं.

वैसे हमारे पास भी आज़म ख़ान की टक्कर का एक राजनैतिक अभिनेता शेख रशीद के नाम से मीडिया की डार्लिंग है.
शेख साहब की चमत्कारियों का बयान फिर सही. अभी तो ग़ालिब का ये शेर सुनते जाएं- बक रहा हूं जुनूं में क्या क्या कुछ, कुछ ना समझे ख़ुदा करे कोई.












