हिंदी दिवस: मोदी छाए, विद्वानों को न्योता तक नहीं

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- Author, राजेश चतुर्वेदी
- पदनाम, भोपाल से बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए
विश्व हिंदी सम्मेलन भोपाल में हो रहा है, लेकिन यहीं बसने वाले चार 'पद्मश्री' और इतने ही साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त लेखकों या रचनाकारों को न्योता तक नहीं मिला है.
वैसे वे चाहते तो 5,000 रुपये देकर हिंदी दिवस से जुड़ सकते थे लेकिन हिंदी के इन नामचीन चेहरों ने इसे अपनी गरिमा के लिए ठीक नहीं माना.
दस सितंबर से शुरू होने जा रहे तीन दिवसीय जलसे के लिए सरकार ने करीब पांच हज़ार लोगों को बुलाया है, लेकिन 'अपने ही घर में' ये मशहूर हस्ताक्षर इससे दूर रखे गए हैं.

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पूरे सम्मेलन की प्रचार सामग्री और आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छाए हुए हैं और साथ में मुख्यमंत्री शिवराज चौहान भी हैं.
'बार कोड से प्रवेश'
पद्मश्री, साहित्य अकादमी और मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाज़े गए प्रोफेसर रमेशचंद्र शाह इन दिनों निजी संस्मरण लिखने में व्यस्त हैं.
उन्हें सम्मेलन के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
वह कहते हैं, "मेरे पास तमाम जगहों से फ़ोन आ रहे हैं. लोग पूछते हैं क्या इंतज़ाम हैं, कैसे जाएंगे. मैं कहता हूं मुझे निमंत्रण ही नहीं मिला है तो क्या बताऊं कि कैसे जाना है."

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उन्होंने कहा, "वैसे भी यह कसौटी नहीं होती कि किसके जाने से सम्मेलन को क्या लाभ होगा. हिंदी के लिए काम करना महत्वपूर्ण नहीं है, इस बहाने सैर सपाटे का लुत्फ उठाना मकसद होता है."
साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने जाने माने कवि राजेश जोशी ने बीबीसी से कहा, "कलेक्टरों से अपने-अपने जिले से पचास-पचास 'हिंदी हितैषी' ढूंढकर भेजने के लिए कहा गया है. सम्मेलन में बार कोड से प्रवेश दिया जाएगा. मानो कोई जासूसी फिल्म बन रही हो."

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"सवाल है कि हिंदी क्षेत्र में सम्मेलन करके क्या हासिल करना चाहते हैं. असल में हिंदी की आड़ में कुछ और राजनीति खेली जा रही है. इससे बड़ा क्या दुर्भाग्य होगा कि कलेक्टर बताएगा हिंदी हितैषी कौन है? यह तमाशा है."
हिंदी भवन न्यास के प्रमुख कैलाशचंद्र पंत को नौंवे हिंदी विश्व सम्मेलन में सम्मानित किया गया था लेकिन इस बार अब तक उनके पास न्यौता तक नहीं आया है.

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उन्होंने कहा, "निमंत्रण मेरे नाम पर पोस्ट कर दिया गया है, शायद रास्ते में होगा."
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