खुले में शौच... पूरा गांव सुनेगा कमेंट्री

इमेज स्रोत, AFP
- Author, अकील अहमद
- पदनाम, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए
मध्यप्रदेश के बैतूल के एक गाँव, चौथिया, में इन दिनों खुले में शौच जाने वालों की लाइव कामेंट्री की जा रही है.
गांव में शत प्रतिशत शौचालय बनने के बावजूद कई लोगों ने शौच के लिए बाहर जाना नहीं छोड़ा तो पंचायत ने यह अनूठा उपाय ढूंढा.
खुले में शौच करने के आदी लोग घर से लोटा या अपना डिब्बा लेकर निकले नहीं कि उनकी लाइव कामेंट्री पूरे गाँव में सुनाई पड़ने लगती है. इस सामाजिक 'बेइज्जती' ने कई को सुधार दिया है.
मंचित राव कहते हैं, "मैं भी एक बार निगरानी समिति के हाथों पकड़ा गया गया था. पंचायत से मेरा नाम सार्वजानिक हुआ तो बड़ी बेइज़्ज़ती हुई. गांव से निकलो तो बहुत शर्मिंदगी होती थी."
मुश्किलें

इमेज स्रोत, Aqeel Ahmed
हर सुबह पांच से छह बजे निगरानी समिति की 10-20 महिला, युवा गांव के अलग-अलग हिस्से में खड़े रहते हैं और अपने मोबाइल से पंचायत में बैठे सरपंच कचरू बारंगे को मिस्ड काल करते हैं.
इसके बाद सरपंच फ़ोन कर जानकारी लेते हैं कि कौन सा व्यक्ति किस तरफ शौच के लिए जा रहा है, कौन कहां गंदगी फैला रहा है.
और फिर पंचायत भवन में लगे लाउड स्पीकर से संबंधित व्यक्ति की हरकत का प्रसारण शुरू हो जाता है.
निगरानी दल की सदस्य राधिका बाई कहती हैं, "हमारी समिति सुबह चार बजे से काम पर लग जाती है. जैसे ही कोई शौच के लिए निकला उसका नाम पंचायत को बताया जाता है. इससे फ़ायदा यह हुआ है कि इन 15 दिनों में कोई इक्का-दुक्का व्यक्ति ही बाहर जा रहा है."
मुहिम का विरोध

इमेज स्रोत, Aqeel Ahmed
मुहिम की शुरुआत में निगरानी दल को विरोध का सामना भी करना पड़ा.
ग्रामीण स्व सहायता समूह की अध्यक्ष छाया बारस्कर बताती हैं, "समझाने के दौरान कई बार हमें गांववालों की खरी-खोटी भी सुनने पड़ी लेकिन हमने हार नहीं मानी. गांव वालों को एक ही बात समझाई कि आपकी भी मां-बहन, बहू-बेटी है. वह बाहर शौच को जाती हैं- कोई उसे कुछ बोलेगा तो कैसा लगेगा. इस बात का भी असर गांव में दिख रहा है."
गायत्री बाई ने अपने ससुर से ही शुरुआत की. गायत्री के ससुर को खुले में शौच की आदत थी. जब तक वो बाहर नहीं जाते उन्हें चिड़चिड़ापन रहता था.
गायत्री ने उन्हें बहुत समझाया लेकिन वह नहीं माने. एक दिन वह बीमार पड़े तो गायत्री ने इसका फ़ायदा उठाते हुए उन्हें बताया कि खुले में शौच करने से बीमारी होती है. आखिर वह मान गए.
सरपंच की पहल

इमेज स्रोत, AFP
इस अभियान की शुरुआत का श्रेय वर्तमान सरपंच कचरू बारंगे को जाता है. 14 साल सरपंच रहे कचरू को सड़क किनारे महिलाओं का शौच करते नज़र आना बेहद कचोटता था.
सिर्फ पांचवीं कक्षा तक पढ़े बारंगे ने सरकारी योजना के तहत शुष्क शौचालय स्वीकृत कराए और 800 की आबादी के गांव में खुद खड़े रहकर ढाई सौ से ज्यादा शौचालय बनवाए.
इसके बाद भी शौच के लिए बाहर जाने वालों को सुधारने के लिए यह तरकीब शुरू की.
इसका असर देख दूसरे गांवों में लागू करने पर भी विचार किया जा रहा है.
<bold>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए <link type="page"><caption> यहां क्लिक करें</caption><url href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi" platform="highweb"/></link>. आप हमें <link type="page"><caption> फ़ेसबुक</caption><url href="https://www.facebook.com/bbchindi" platform="highweb"/></link> और <link type="page"><caption> ट्विटर</caption><url href="https://twitter.com/BBCHindi" platform="highweb"/></link> पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)</bold>












