समलैंगिकों की क्वीयर परेड, उठे कई सवाल

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- Author, प्रीति मान
- पदनाम, फ़ोटो पत्रकार, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
दिल्ली में हाल ही में आयोजित क्वीयर प्राइड परेड में शामिल कई लोगों से बीबीसी हिन्दी ने बात की और उनके विचार जानने की कोशिश की.
मानव कई साल से क्वीयर प्राइड परेड की मुहिम में सक्रिय रहे हैं.
मानव कहते हैं, "समाज में समलैंगिकों के प्रति भेदभाव के चलते कई लोग डर की वजह से अपनी पहचान छुपाते हैं कि उनके साथ परिवार में मारपीट न हो या उन्हें घर से न निकाल दिया जाए."

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बेबो जान किन्नर हैं और वो पिछले पांच साल से इस परेड में हिस्सा ले रही रही हैं.
वो यहाँ अपने जैसे और लोगों के समर्थन के लिए हर साल इस परेड में शामिल होती हैं. उन्हें शिकायत है कि समाज उन्हें सामान्य इंसान की तरह क्यों नहीं अपना सकता?
बेबो जान का कहना है कि ट्रांसजेंडर्स को भी वे सभी अधिकार मिलने चाहिए जो समाज और सरकारी महकमों में सामान्य व्यक्ति को मिलते हैं. उन्हें मोदी सरकार से काफ़ी उम्मीदें हैं.

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समीक्षा कॉलेज छात्रा है और अपनी एक समलैंगिक दोस्त को समर्थन देने के लिए इस परेड का हिस्सा बनी थीं. परेड में शामिल लोगों की संख्या देखकर वो अचंभित थीं.
वो कहती हैं, "समलैंगिक इसी समाज का हिस्सा हैं और उनका जन्म भी किसी सामान्य बच्चे की तरह ही होता है. सिर्फ इसलिए कि वे अपने तरह के लोगों को पसंद करते हैं या उनसे प्यार करते हैं उनसे उनके सामान्य अधिकार नहीं छीने जा सकते."

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एरिन अमरीकी दूतावास में काम करती हैं और वे अपने कुत्ते डोरा के साथ इस परेड में पहुंची थीं.
एरिन कहती हैं, "जब हम एक जानवर को सम्मान और प्यार देते हैं तो ट्रांसेक्सुअल या बायसेक्सुअल के साथ हीनव्यवहार क्यों किया जाता है."

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अबीना अहेर जेंडर अधिकारों के लिए कार्य करती हैं.
अबीना का कहना है भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 377 को फिर से स्थापित करने वाले दिसंबर, 2013 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले और समलैंगिकों के प्रति हिंसा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना ज़रूरी है.

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इप्शिता फैशन इंडस्ट्री में काम करती हैं उनके साथ काम करने वाले कई सहयोगी या तो गे हैं या लेस्बियन. उनके अनुसार वे सभी बहुत अच्छे इंसान हैं और उन्हें समझ में नहीं आता कि समाज में उनके साथ भिन्न व्यवहार क्यों किया जाता है.
43 वर्षीय सोनिया अमरीका में रहती हैं और 23 की उम्र में उन्हें अहसास हुआ की वे लेस्बियन हैं. वे अमरीका में इस तरह की कई परेड में शामिल हो चुकी हैं.

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सोनिया का मानना है कि उनकी तरह के लोग भी प्रेरणा, शिक्षा, प्रोत्साहन और प्रेम पाने का अधिकार रखते हैं. वो कहती हैं,"समाज को अब ये स्वीकार कर लेना चाहिए कि हम इसी समाज का हिस्सा हैं और हमें भी गर्व से जीने का अधिकार है."
शेफ रितु डालमिया भी इस परेड में अपने दोस्तो के साथ शामिल हुईं, रितु मानती हैं की एलजीबीटी समुदाय को भी अन्य भारतीयों की तरह गरिमापूर्ण, भय मुक्त और समान स्तर पर जीवन जीने का अधिकार है.
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