विश्व व्यापार संगठनः भारत की जीत या हार?

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- Author, अंकुर जैन
- पदनाम, दिल्ली से, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
खाद्यान्न के सार्वजनिक भंडारण के मुद्दे पर भारत और अमरीका के बीच सहमति बन गई है.
इसके साथ ही विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के व्यापार सुगमता करार (टीएफए) के कार्यान्वयन को लेकर भारत का गतिरोध हाल के लिए दूर हो गया है.
लेकिन कई बड़े सवालों से सरकार अब भी बच रही है.
'सहमति'
भारत और कई विकाशील देशो ने टीएफ़ए करार में किसानों की सब्सिडी को सीमित करने पर विरोध जताया था.

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पिछले साल बाली, इंडोनेशिया में हुई डब्ल्यूटीओ बैठक में भारत ने किसानों की सब्सिडी को कृषि उत्पादन के कुल मूल्य के 10 प्रतिशत तक सीमित करने की बात पर ऐतराज़ दर्ज़ किया.
विकसित देशो ने इसकी निंदा की थी.
गुरुवार को भारत सरकार की वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा, "भारत और अमरीका में यह सहमति बन गई है कि खाद्य सुरक्षा भंडारण के मुद्दे का स्थाई समाधान होने तक 'शांति उपबंध' अनिश्चितकाल तक जारी रहेगा. शांति उपलबंध के तहत भारत के खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को उचित समाधान निकलने तक डब्ल्यूटीओ में चुनौती नहीं दी जा सकेगी."
सीतारमन ने कहा कि भारत का प्रस्ताव डब्ल्यूटीओ परिषद के पास है और जैसे ही वह उसे पारित करती है तो भारत टीएफए की तरफ़ बढ़ेगा.
हालांकि, भारत ने प्रस्ताव में क्या-क्या और चीज़ें मानी या मांगी हैं, इस पर सीतारमन ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
'सरकार और सफाई दे'

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सरकार इसे बड़ी जीत बता रही लेकिन अर्थशास्त्री और किसान अमरीका, भारत के इस समझौते से ख़ास खुश नहीं है.
कृषि मामलों के विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा कहते हैं, "अगर समझौता हो गया है तो देश के लिए जानना ज़रूरी है कि किन बातों पर सहमति हुई है. कहीं ऐसा तो नहीं कि भारत ने किसानों को नज़रअंदाज़ कर समझौता कर लिया है."
शर्मा कहते हैं, "ऐसा लगता है कि भारत की चिंताएं कुछ समय के लिए टली भर हैं. मंत्री के बयान से तो सिर्फ़ यह लगता है कि 'शांति उपबंध' जो पहले चार साल का था, उसे अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया है. लेकिन किसानों के हित को बचाने की बात वहीं खड़ी है."
'झुक गई सरकार?'

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महाराष्ट्र के वर्धा में कपास की खेती करने वाले विजय जवानधीआ 2008 में डब्ल्यूटीओ के जिनेवा सम्मेलन में बतौर किसान नेता शामिल हुए थे.
वह कहते हैं, "भारत ने अगर अमरीका के साथ कोई समझौता किया है तो वह झुक कर ही किया होगा. मोदी सरकार अगर टीएफए की तरह बढ़ेगी तो किसानों के साथ बड़ा धोखा होगा."
उनके अनुसार, "मोदी सरकार सिर्फ मुंबई को सिंगापुर और दिल्ली को शंघाई बनाने जा रही है लेकिन ऐसा हुआ तो किसान के पास आत्महत्या करने के आलावा कोई चारा नहीं रहेगा."
विजय कहते हैं, "आज अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कृषि उत्पाद के दाम बहुत काम हुए हैं. अगर सरकार ने कृषि उत्पाद पर इम्पोर्ट ड्यूटी नहीं बढ़ाई तो किसान मर जाएगा."
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