हांगकांग: नहीं हटेंगे हज़ारों प्रदर्शनकारी

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हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक दसियों हज़ार प्रदर्शनकारी घर लौट जाने की पुलिस की अपील के बावजूद सड़कों पर डटे हैं.
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि हांगकांग में 2017 में होने वाले चुनाव पूरी तरह लोकतांत्रिक तरीके से कराए जाए, जबकि चीन सरकार ने इसमें कुछ पाबंदियाँ लगा दी हैं.
प्रदर्शनकारियों को तितर बितर करने के लिए पुलिस लाठी चार्ज और आंसू गैस इस्तेमाल कर चुकी है, जबकि दर्जनों लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया है.
अमरीका और ब्रिटेन ने जहां इन प्रदर्शनों का समर्थन किया है, वहीं चीन का कहना है कि अन्य देश उसके अंदरूनी मामलों में दख़ल न दें.
अमरीका ने कहा है कि वो हांगकांग के हालात पर नज़र रख रहा है. उसने वहां अधिकारियों से संयम बरतने को भी कहा है.
कौन ज़िम्मेदार
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जोश एर्नेस्ट ने कहा, "दुनिया भर में, हांगकांग में भी और अन्य जगहों पर भी, अमरीका शांतिपूर्ण तरीके से जमा होने और अभिव्यक्ति की स्वंत्रता जैसी बुनियादी आज़ादियों का समर्थन करता है."

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ब्रिटेन ने भी क़ानून की सीमा में रह कर प्रदर्शन करने के अधिकारों की पैरवी की है.
लेकिन चीन सरकार इन प्रदर्शनों ग़ैरकानूनी बता रही है और उसने अन्य देशों को चेतावनी दी है कि वो इनका समर्थन न करें.
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, "हांगकांग पूरी तरह हमारा आंतरिक मामला है. हम क़तई नहीं चाहते कि कोई भी देश किसी भी तरह हमारे आंतरिक मामलों में दखल दे और ऑकुपाई सेंट्रल जैसी गैर कानूनी गतिविधियों का समर्थन करे."
उधर चीन के मीडिया ने हांगकांग में तनाव के लिए 'कट्टरपंथी विपक्षी बलों' को ज़िम्मेदार बताया है.
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