वो गैंग रेप का शिकार हुई, लेकिन हारी नहीं..

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- Author, अमिताभ भट्टासाली
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता, पश्चिम बंगाल
दो साल पहले कोलकाता में एक चलती कार में गैंग रेप का शिकार हुई सुज़ैट जॉर्डन ने आमिर ख़ान के शो 'सत्यमेव जयते' में अपनी आपबीती साझा की.
सुज़ैट इन दिनों स्कूली बच्चों को यौन शोषण से लड़ने की प्रेरणा दे रही है.
इसी सिलसिले में वह गुजरात के अतुल विद्यालय पहुंचीं. वहां उन्होंने विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों को बताया कि तमाम मुश्किलों के बावजूद उनका संघर्ष किस तरह जारी है.
वह प्री प्राइमरी और प्राइमरी विद्यार्थियों के वार्षिकोत्सव में मुख्य अतिथि थीं.
सुज़ैट ने बीबीसी से कहा, "महिलाओं और बच्चों के ख़िलाफ़ यौन हिंसा पूरी दुनिया में बढ़ रही है. मूल विचार यह था कि 'कभी हार न मानने' वाली विचारधारा से अवगत करवाया जाए, जिसका मैं जीवंत उदाहरण हूं. यह बच्चों के लिए प्रेरणादायक रहेगा."
सवाल-जवाब
वलसाड में स्थित इस स्कूल के प्रमुख सेना के एक रिटायर्ड कर्नल- शेखर हैं.
वह कहते हैं, "हमें दृढ़तापूर्वक यकीन है कि सुज़ैट जॉर्डन जैसी महिला, जिन्होंने अदम्य साहस और चरित्र बल दिखाया है, को हमारे विद्यार्थियों से बात करनी चाहिए. ताकि वे समझ सकें कि एक पितृसत्तात्मक समाज, ख़ासतौर पर भारतीय संदर्भ में एक महिला को क्या कुछ झेलना पड़ता है और यह भी कि तमाम विरोधों के बावजूद उन्होंने संघर्ष कैसे किया."

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पूरा दिन विद्यार्थी और शिक्षक उनसे बात करते रहे.
लेकिन उन्होंने पूछा क्या?
सुज़ैट बताती हैं, "उन्होंने मुझसे कुछ इस तरह के सवाल पूछे- मुझे शक्ति कहां से मिलती है, मैंने अकेले होकर भी यह जंग कैसे लड़ी और मुझे कैसा लगा जब मंत्रियों ने मेरे बारे में अपमानजनक टिप्पणियां कीं."
ज़्यादातर भारतीय अभिभावक और स्कूल जहां 'बलात्कार' या 'यौन शोषण' जैसे शब्द भी बच्चों के सामने बोलने से झिझकते हैं सुज़ैट यह देखकर आश्चर्यचकित थीं कि इस स्कूल में न सिर्फ़ प्राइमरी और प्री प्राइमरी विद्यार्थियों को 'गुड टच' और 'बैड टच' के बारे में सिखाया जा रहा है बल्कि नौवीं कक्षा की दो लड़कियों को उन पर एक फ़िल्म "सुज़ैट जॉर्डन- एक गैंप रेप पीड़ित", बनाने को प्रोत्साहित किया गया.

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स्कूल के प्रिंसिपल कहते हैं, "यहां जब मैं आपसे बात कर रहा हूं हम पहली कक्षा के बच्चों को 'गुड टच' और 'बैड टच' के बारे में सिखा रहे हैं."
सुज़ैट कहती हैं कि स्कूलों में भाषणों और बहसों जैसे क्रियाकलाप तो होते हैं लेकिन बच्चों को उस माहौल के बारे में जानने की ज़रूरत होती है जिसमें वे रहे हैं और किसी छोटी लड़की या लड़के को किस तरह की हिंसा का सामना करना पड़ सकता है.
वह कहती हैं, "यह बहुत दुख की बात है, लेकिन हमें अपने बच्चों से बात करनी होगी कि क्या चल रहा है. यही अकेला वह तरीक़ा है जिससे हम उन्हें सुरक्षित कर सकते हैं. मैं जब इन बच्चों से बात कर रही थी तो मेरी बेटियां वहां थीं."
सहना नहीं- संघर्ष करना है

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कर्नल शेखर के भी यही विचार हैं.
वह कहते हैं, "जब सुज़ैट जैसे लोग हमारे स्कूल में आते हैं और अपने अनुभव साझा करते हैं तो विद्यार्थी, शिक्षक और अभिभावक बेहतर ढंग से समझते हैं- कि आज की दुनिया में क्या हो रहा है. हम रातोंरात दुनिया को तो नहीं बदल सकते लेकिन हम इस दुनिया में अपने बच्चों को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं."
मिमि मैथ्यू स्कूल की उन दो छात्राओं की मां हैं जिन्होंने सुज़ैट के साथ वार्तालाप में हिस्सा लिया.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "हमारे लिए यह आंखें खोलने वाला अनुभव था. चुप रहने का कोई मतलब नहीं है- हमें अपने बच्चों को लड़ना सिखाना होगा- सुज़ैट की तरह. हमारे बच्चे एक तरह के कवच में रहते हैं- हम उन्हें हर चीज़ से बचाते हैं. लेकिन सुज़ैट वाले मामले के बाद मेरे बच्चे कड़वी सच्चाई से रूबरू हो गए हैं."
मैथ्यू ने कहा, "इससे पहले उन्हें यकीन ही नहीं होता था कि ऐसा ख़ौफनाक वाकया हो भी सकता है. लेकिन अब वे जान गए हैं. दोनों अब सुज़ैट की हिम्मत के बारे में बात करती रहती हैं."
मिमि मैथ्यू ने अपनी दोनों बच्चियों को कराटे सिखाना शुरू कर दिया है.

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अतुल विद्यालय से प्रेरणा लेते हुए सुज़ैट अब दूसरे स्कूलों में भी जाने की योजना बना रही हैं- ताकि बच्चों को बताया जा सके कि सहना नहीं- संघर्ष करना है.
कलकत्ता में फ़रवरी 2012 को एक नाइटक्लब से बाहर आते वक्त सुज़ैट का अपहरण कर कुछ आदमियों ने चलती कार में उनसे बलात्कार किया था और फिर सुबह-सुबह उन्हें सड़क किनारे फेंक दिया गया था.
इसके क़रीब डेढ़ साल बाद सुज़ैट ने सार्वजनिक रूप से इसे स्वीकारा और बीबीसी से कहा, "मेरा नाम सुज़ैट जॉर्डन है और मैं अबसे कलकत्ता की पार्क स्ट्रीट बलात्कार पीड़ित के रूप में नहीं पहचाना जाना चाहती."
भारत में ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी बलात्कार पीड़ित ने अपनी पहचान उजागर की थी.
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