एक रेडियो स्टेशन समलैंगिकों के लिए

समलैंगिक, भारत
    • Author, वैभव दीवान
    • पदनाम, बीबीसी संवाददाता, मुंबई

भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में समलैंगिकों को अपनी पहचान और अधिकारों के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी रही है.

वैसे भारत में पिछले कुछ समय में समलैंगिकता को लेकर विचारों और मानसिकता में बदलाव नज़र आ रहा है.

<link type="page"><caption> समलैंगिकता</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2010/02/100202_homosexual_usarmy_sm.shtml" platform="highweb"/></link> जैसे विषयों पर फ़िल्में बनने लगी हैं. उनके अपने फ़िल्म फेस्टिवल होने लगे हैं, वे रियालिटी शो में भाग लेने लगे हैं. और अब इनके लिए रेडियो स्टेशन भी आ गया है.

'क्यू-रेडियो' भारत का पहला ऐसा रेडियो स्टेशन जो समलैंगिकों के मन की सुनेगा और उनकी सोच और <link type="page"><caption> संघर्ष को आवाज़</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2009/10/091011_obama_gay_ak.shtml" platform="highweb"/></link> देगा.

बंगलौर स्थित कंपनी 'रेडियोवाला' इंटरनेट पर भिन्न-भिन्न शैलियों में रेडियो स्टेशन चलाती है. 'क्यू-रेडियो' भी उनमें से एक है.

'रेडियोवाला' के संस्थापक अनिल श्रीवत्स और प्रोजेक्ट मैनेजर वैशाली ने बीबीसी को अपने इस ख़ास रेडियो के बारे में बताया .

अनोखी पहल

समलैंगिकों के लिए रेडियो स्टेशन अपने आप में एक अनोखी पहल है. अनिल श्रीवत्स बताते हैं कि उनके पास आज से पहले ऐसा कोई माध्यम नहीं था जहां समलैंगिक दिल खोल कर अपनी बात कह सकें, अपने जैसे लोगों से संवाद कर सकें.

वो कहते हैं, "हम ख़ुश हैं कि हमने इसकी पहल की. स्टेशन शुरू करने से पहले हमने समलैंगिकों के बारे में कोई शोध नहीं किया. सच कहूं तो मुझे रिसर्च से सख़्त नफरत है. मैं हमेशा अपने मन की आवाज़ सुनता हूं."

'क्यू-रेडियो' पर दिन भर में चार शो प्रसारित होते हैं जिनमें कार्यक्रमों में बातचीत के साथ संगीत भी शामिल है. शो में स्टूडियो में गेस्ट बुलाए जाते हैं, कुछ में लाइव कॉल भी ली जाती हैं. सुनने वालों को अपने विचार रिकॉर्ड करके भेजने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है.

समलैंगिक रेडियो में प्रोग्राम प्रस्तुत करने वालों के बारे में अनिल कहते हैं, "हमारे कुछ रेडियो जॉकी समलैंगिक समुदाय का हिस्सा हैं. लेकिन कुछ आम लोग भी हैं. मैं ज़रूरी नहीं समझता कि सभी प्रस्तुतकर्ता समलैंगिक ही हों.''

वो कहते हैं कि उनका मकसद है कि 'क्यू रेडियो' पर दोनों ही तरह के लोग आए ताकि वो एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील बनें.

फेसबुक पर भी चर्चा

'क्यू-रेडियो' को लोग पसंद कर रहे हैं. इसे कई संस्थाओं की ओर से प्रोत्साहन भी मिलना शुरू हो गया है.

समलैंगिक
इमेज कैप्शन, हरीश अय्यर भारत के जाने-माने समलैंगिक कार्यकर्ता हैं.

फेसबुक पर 'क्यू-रेडियो' से एक हफ्ते में दो हज़ार से भी ज़्यादा लोग जुड़ चुके हैं. अनिल बताते हैं, "हमारे 'क्यू-रेडियो' पर अच्छी प्रतिक्रिया मिलने लगी है, कई गैर सरकारी संस्थाएं हमारे साथ जुड़ना चाहती हैं."

वैसे तो भारत से बाहर ऐसे कई रेडियो स्टेशन हैं जो समलैंगिकों के लिए हैं. अनिल बताते हैं कि 'क्यू-रेडियो' को इंग्लैंड और यूरोप से भी कई ई-मेल मिले हैं कि वे इस स्टेशन के साथ जुड़ना चाहते हैं.

अनिल ने बताया कि कई समलैंगिक संगीतकार हैं और रेडियो उन सबके संगीत को प्रमोट करेगा.

सोच सोलहवीं शताब्दी की

हरीश अय्यर भारत के जाने-माने समलैंगिक कार्यकर्ता हैं. इन्होंने समलैंगिकों के हित के लिए कई अभियानों में हिस्सा लिया है.

हरीश कहते हैं, "जब मैं अपनी सेक्शुएलिटी को लेकर उलझा हुआ था तब मेरे पास कोई दरवाज़ा नहीं था. समाज में आज भी ऐसे लोग हैं जो हममें और दूसरों में फ़र्क समझते हैं. प्यार हम भी करते हैं, आप भी करते हैं. प्यार प्यार होता है. लिंग अलग होने से प्यार तो नहीं बदलता. 'क्यू-रेडियो' एक अच्छा माध्यम साबित होगा हम सबकी आवाज़ों के लिए."

वे कहते हैं, "जिन बातों को समलैंगिक परिवार या समाज में नहीं कह पाते, रेडियो पर वे खुल कर कह जाते हैं. क्योंकि ये टीवी नहीं है."

वहीँ फिल्मकार और गे एक्टिविस्ट श्रीधर रंगायन का कहना है, "भारत एक ही वक़्त में इक्कीसवीं सदी और सोलहवीं सदी दोनों में जी रहा है. ग्रामीण इलाकों में समलैंगिकों को सम्मान की नज़रों से नहीं देखा जाता. मैं चाहता हूं कि 'क्यू-रेडियो' के ज़रिए हमारे बारे में ज़्यादा से ज़्यादा लोग जानें. वे जानें कि हम भी इस समाज का उतना ही महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जितना वो ख़ुद हैं."

इंटरनेट पर चलने वाला 'क्यू-रेडियो' की योजना है कि उसे जल्दी ही भारत में बोले जाने वाली अलग-अलग भाषाओं में भी शो शुरू करेगा.

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