हावड़ा में रामनवमी के मौक़े पर हुई हिंसा, पुलिस की तैयारियों पर सवाल - प्रेस रिव्यू

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पश्चिम बंगाल के हावड़ा इलाक़े में गुरुवार को रामनवमी की शोभायात्रा पर कथित पथराव के बाद दो गुटों के बीच हिंसा भड़की थी जो शुक्रवार को भी जारी रही.
अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस में ख़बर है कि इसी जगह पर पिछले साल भी हिंसा भड़की थी और इस बार पुलिस कार्रवाई धीमी दिखाई दी.
अख़बार लिखता है कि शुक्रवार दोपहर एक बजे बाद पीएम बस्ती इलाक़े में घंटों तक पथराव हुआ. यहां पुलिसकर्मी भी मौजूद थे. इससे एक दिन पहले यहां से दो शोभायात्रा निकली थीं- एक विश्व हिंदू परिषद की और दूसरी अंजनी पुत्र सेना की.
अख़बार के अनुसार पिछले साल भी इस इलाक़े में शोभायात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा फैली थी लेकिन इसे देखते हुए पुलिस की तैयारी कम दिखी. तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के जारी किए वीडियो में देखा जा सकता है कि इलाक़े में पुलिस की तैनाती भी पर्याप्त संख्या में नहीं थी.
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने दावा किया कि पुलिस ने दोनों संगठनों को शोभायात्रा निकालने की 'अनुमति नहीं दी थी' लेकिन, उन्होंने इसके बावजूद भी यात्रा निकाली गई.
बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने दो वीडियो दिखाए जिसमें छतों से शोभायात्रा पर पत्थर फेंके जा रहे हैं. बाद में ये वीडियो पुलिस को सौंप दिए गए.
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अख़बार ने पुलिस सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इस शोभायात्रा में हथियार ले जाने, मोटरसाइकिल और डीजे का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी गई थी लेकिन इसका पालन नहीं किया गया.
इन निर्देशों का पालन कराने के लिए पुलिस के पुख़्ता इंतज़ाम नहीं दिखे. अख़बार के अनुसार एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "शोभायात्रा के दौरान 100 से ज़्यादा पुलिसकर्मी थे जिनमें पांच आईपीएस अधिकारी थे."
इस इलाक़े गुरुवार से तनाव था लेकिन कई पुलिसकर्मी इस दौरान यहां बिना हथियार के दिखे. कई तो दूध रखने वाले प्लास्टिक के क्रेट से खुद को बचाते हुए दिखे.
अधिकारियों ने पुलिस की तैयारियों पर और सवाल उठाए हैं. उनके मुताबिक़ शुक्रवार शाम तीन बजे तक कोई निषेधाज्ञा जारी नहीं की गई थी और इंटरनेट पर भी रोक नहीं लगाई गई थी. लोग अपनी छतों से वीडियो रिकॉर्ड करके शेयर कर रहे थे जिससे हिंसा और भड़क गई.

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मोहन भागवत का पाकिस्तान को लेकर बयान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवन ने शुक्रवार को पाकिस्तान को लेकर बयान दिया है.
दैनिक अख़बार जनसत्ता के मुताबिक़ मोहन भागवत ने कहा है कि आज़ादी के सात दशक से अधिक समय के बाद भी पाकिस्तान के लोग खुश नहीं हैं और वो मानते हैं कि विभाजन एक ग़लती थी.
मोहन भागवत क्रांतिकारी हेमू कालाणी की जयंती पर आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे. इस समारोह में देश के अलग-अलग हिस्सों से सिंधी समाज के लोग शामिल हुए थे.
इस दौरान मोहन भागवत ने कहा, "अखंड भारत सत्य है."
उन्होंने कहा, "हमें नया भारत बसाना है. भारत खंडित हो गया है. आज जिसको हम पाकिस्तान कहते हैं, उसके लोग कह रहे हैं कि ग़लती हो गई. अपनी हठधर्मिता के कारण वो भारत से अलग हो गए, भारत की संस्कृति से अलग हो गए. लेकिन क्या वे सुख में हैं?"
मोहन भागवत ने कहा कि सिंधी समुदाय सब कुछ गंवाकर भी शरणार्थी नहीं बना लेकिन उसने पुरुषार्थी बनकर दिखाया है. शहीद हेमू के नाम के साथ सिंध का नाम जुड़ा है. सिंधी समुदाय का स्वतंत्रता आंदोलन में अहम योगदान रहा है लेकिन इसका उल्लेख कम होता है.
उन्होंने कहा, "हमने तो भारत बसा लिया लेकिन वास्तव में राष्ट्र खंडित हो गया. आज भी मन से लोग सिंध के साथ जुड़े हैं. सिंधु नदी के प्रदेश सिंध से भारत का जुड़ाव रहेगा."

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कर्नाटक में दो विधायकों का इस्तीफ़ा
द इंडियन एक्सप्रेस की ही एक और ख़बर है कि कर्नाटक में एक बीजेपी और एक जनता दल सेक्यूलर के विधायक ने शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया है.
अख़बार के मुताबिक़ अगले महीने विधानसभा चुनाव से पहले इन विधायकों के कांग्रेस में जाने की संभावना है.
बेल्लारी ज़िले में कुडलीगी सीट से बीजेपी विधायक एन वाई गोपालकृष्ण पूर्व कांग्रेस विधायक रहे हैं और चित्रादुर्ग से पूर्व कांग्रेस सांसद के भाई हैं.
वो अनुसूचित जनजाति वाल्मिकी नायक समुदाय से आते हैं और उनके बीजेपी नेता बी श्रीरामुलु से नज़दीकी संबंध बताए जाते हैं.
71 साल जेडीएस विधाय ए टी रामास्वामी चार बार विधायक रह चुके हैं. उनकी छवि एक साफ़ नेता की है और पहले भी कांग्रेस विधायक रहे हैं.

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नेटो ने भारत को लेकर कहा- उसके दरवाज़े खुले हैं
अमेरिका की नेटो राजदूत जूलियाना स्मिथ ने कहा कि पश्चिमी देशों के सैन्य सहयोग संगठन नेटो ने कहा है कि भारत की अगर दिलचस्पी है तो संगठन उसके साथ और ज़्यादा जुड़ने के लिए तैयार है.
अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स लिखता है कि जूलियाना स्मिथ दक्षिण एशिया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ संबंधों को और मज़बूत करने को लेकर बात कर रही थीं.
हालांकि, उन्होंने इस पर भी ज़ोर दिया कि फिलहाल संगठन की सैन्य सहयोग को और विस्तार देने को लेकर कोई योजना नहीं है.
उन्होंने कहा, "वो हिंद-प्रशांत और एशिया-प्रशांत में किसी की सदस्यता को लेकर विचार नहीं कर रहे हैं. ये गठबंधन यूरोप-अटलांटिक ही रहेगा. इस इलाक़े के लिए इसके दरवाज़े खुले हैं. लेकिन, वैश्विक स्तर पर इसके और विस्तार की योजना नहीं है."
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