गुजरात चुनाव: रिकॉर्ड जीत पर बोली बीजेपी, 'मोदी के विकास मॉडल की जीत'

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"गुजरात ने हमेशा इतिहास रचने का काम किया है."

भारतीय जनता पार्टी की गुरुवार को गुजरात में ऐतिहासिक जीत के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की चुनाव नतीजों पर ये पहली प्रतिक्रिया रही.

उन्होंने जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास मॉडल को दिया.

गुजरात में आखिरी चरण के मतदान के बाद एक्ज़िट पोल ने राज्य में भारतीय जनता पार्टी को बड़ी जीत हासिल होने का दावा किया था. चुनाव नतीजों ने इस पर मुहर लगा दी.

बीजेपी के हाथ से हिमाचल का किला निकल गया है लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों की राय में 'गुजरात में बड़ी जीत ने पार्टी नेतृत्व और बीजेपी को बड़ी राहत दी है.'

गुजरात की कुल 182 सीटों के लिए दो चरणों में एक और पांच दिसंबर को वोट डाले गए.

भारत निर्वाचन आयोग के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी 52 प्रतिशत से ज़्यादा वोटों के साथ 156 सीटों पर आगे है. इनमें से 103 सीटों पर उसकी जीत पक्की हो चुकी है.

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पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर देने वाली कांग्रेस 20 से कम सीटों पर सिमटती दिख रही है.

कांग्रेस को 27 प्रतिशत के करीब वोट हासिल हुए हैं. वहीं, पहली बार राज्य के चुनाव मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी के खाते में 12 प्रतिशत से कुछ ज़्यादा वोट आए हैं.

चुनाव प्रचार के दौरान गुजरात में सरकार बनाने के दावे करने वाली ये पार्टी अपनी सीटों की संख्या दो अंकों में भी नहीं ले जा सकी. आम आदमी पार्टी ने एक सीट पर जीत हासिल की है और चार पर उसके उम्मीदवार आगे चल रहे हैं.

आम आदमी पार्टी ने ईसुदान गढ़वी को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर पेश किया था. वो और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया को हार झेलनी पड़ी. वहीं, कांग्रेस के भी अधिकतर प्रमुख उम्मीदवारों को हार झेलनी पड़ी है.

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने बीबीसी संवाददाता फैसल मोहम्मद अली से कहा कि पार्टी गुजरात में हार की समीक्षा करेगी.

ये कांग्रेस का गुजरात में अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है.

नतीजों की सूरत साफ़ होने पर अमित शाह ने कहा, "पिछले दो दशक में मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा ने गुजरात में विकास के सभी रिकॉर्ड तोड़े और आज गुजरात की जनता ने भाजपा को आशीर्वाद देकर जीत के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए."

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12 को शपथ लेंगे भूपेंद्र

अमित शाह ने जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया.

उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "यह नरेंद्र मोदी जी विकास मॉडल में जनता के अटूट विश्वास की जीत है."

इसके पहले मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और सीआर पाटील दोपहर 12 बजे के करीब राज्य बीजेपी के मुख्यालय पहुंचे. तब तक बीजेपी राज्य में बड़ी जीत की ओर बढ़ रही थी.

बीजेपी नेता और कार्यकर्ता 'मोदी-मोदी' के नारे लगा रहे थे. गुजरात बीजेपी के प्रमुख सीआर पाटील ने एलान किया कि भूपेंद्र पटेल दोबारा मुख्यमंत्री बनेंगे. वो 12 दिसंबर को शपथ लेंगे.

भूपेंद्र पटेल ने कहा, "गुजरात चुनाव के नतीजे स्पष्ट हैं. लोगों ने ये साफ़ कर दिया कि वे गुजरात में विकास की यात्रा के साथ बने रहेंगे."

उन्होंने कहा, "हम जनादेश को विनम्रता के साथ स्वीकार करते हैं. बीजेपी का हरेक कार्यकर्ता जनता की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है."

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सबसे बड़ी जीत

तथ्य ये भी है कि भारतीय जनता पार्टी ने इस बार जितनी सीटें हासिल की हैं, पार्टी को उतनी सीटें नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए भी नहीं मिली थीं.

मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए भारतीय जनता पार्टी ने साल 2002 के चुनाव में 127 सीटें हासिल की थीं. तब चुनाव गुजरात दंगों की साए में हुए थे.

साल 2017 में भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन सबसे खराब रहा था. तब पार्टी 49 प्रतिशत से कुछ ज़्यादा वोटों के साथ 99 सीटें हासिल कर सकी थी.

लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी ने एक नया रिकॉर्ड बना दिया. अब तक सबसे ज़्यादा सीटें जीतने का रिकॉर्ड कांग्रेस के नाम था. कांग्रेस ने 1985 में 149 सीटें हासिल की थीं. तब कांग्रेस माधवसिंह सोलंकी की अगुवाई में चुनाव मैदान में उतरी थी.

लगातार सातवीं बार विधानसभा में बहुमत हासिल कर भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है. वाम मोर्चा ने पश्चिम बंगाल में 34 साल तक सरकार चलाई.

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'रंग लाई मोदी की मेहनत'

बीजेपी के केंद्रीय और प्रदेश के नेता जीत का सेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिर सजा रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान 30 रैलियां की. उस समय कई विश्लेषकों का आकलन था कि ज़मीन पर बीजेपी की स्थिति कमज़ोर होने की वजह से प्रधानमंत्री मोदी को ज़्यादा मेहनत करनी पड़ रही है. पार्टी ने कई विधायकों के टिकट काट दिए थे और कई सीटों पर 'बगावत' का सामना भी करना पड़ रहा था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में बड़ा रोड शो किया तब भी इसे 'डैमेज कंट्रोल' की कोशिश माना गया.

हालांकि, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक दिलीप गोहिल नरेंद्र मोदी के अभियान को उनके 'चिरपरिचित राजनीतिक स्टाइल' के तौर पर देखते हैं.

उन्होंने कहा, ''जो पार्टी जीतना चाहती है, उसके लिए यह स्वाभाविक है कि वह ज़्यादा प्रचार करे. यहां मुख्यमंत्री बदल दिया गया, लेकिन चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ा गया. तो स्वाभाविक है कि वह ख़ुद ही आएंगे और प्रचार करेंगे."

गोहिल ने कहा, "दूसरी बात, टिकट बंटवारे के बाद कई जगहों पर संतोष हुआ, कहीं निर्दलीय उम्मीदवार भी खड़े हुए. इसलिए सभी बातों पर ग़ौर करें तो भाजपा को कोर समर्थकों को आकर्षित करने के लिए संगठन की बजाय नरेंद्र मोदी के नाम को आगे करना था, इसलिए नरेंद्र मोदी ने ज़्यादा प्रचार किया."

गोहिल कहते हैं कि बीजेपी के लिए उनके (नरेंद्र मोदी के) नाम पर प्रचार करना या ख़ुद प्रचार करना अनिवार्य था.

वो आगे जोड़ते हैं, "जब पहले चरण में मतदान कम हुआ तो शायद पार्टी को लगा कि बीजेपी अपने समर्थकों को बूथ तक नहीं ला सकी. इसलिए, दूसरे चरण में (विशेष रूप से अहमदाबाद में) मतदान बढ़ाने और अन्य ज़िलों में प्रभाव डालने के लिए, उन्होंने अहमदाबाद का रोड शो किया."

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विपक्ष पर भारी बीजेपी

चुनाव के ठीक पहले मोरबी में झूलता पुल गिरने की घटना को भी बीजेपी के ख़िलाफ़ माना गया लेकिन मोरबी में भी बीजेपी उम्मीदवार जीत हासिल करने में कामयाब रहे.

चुनाव के दौरान विपक्ष ने महंगाई, विकास की सुस्त रफ़्तार, बेरोजगारी और आर्थिक संकट के मुद्दे उठाए थे लेकिन बीजेपी अपना किला बचाने में कामयाब रही.

इससे साफ़ है कि बीजेपी ने विरोधियों के मुक़ाबले अपने पत्ते बेहतर तरीके से चले.

बड़ी जीत हासिल करने के बाद बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को निशाने पर लिया.

भारतीय जनता पार्टी ने इसे 'विकास के एजेंडे की जीत' और कांग्रेस की 'नकारात्मक राजनीति' की हार बताया है.

गुजरात बीजेपी के प्रवक्ता यमल व्यास ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "कांग्रेस को इस हार से सबक लेना चाहिए. उन्हें समझना चाहिए कि नेगेटिव पॉलिटिक्स के सहारे वो आगे नहीं बढ़ सकते हैं. राज्य की जनता ने कांग्रेस को साफ़ कर दिया है."

उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी सिर्फ़ 'सोशल मीडिया तक मौजूद रही.'

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