अशोक गहलोत की दावेदारी पर सस्पेंस के बीच कांग्रेस में 'प्लान बी' की चर्चा- प्रेस रिव्यू

अशोक गहलोत

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राजस्थान में जारी सियासी खींचतान खत्म होती नज़र नहीं आ रही. अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी पेश करेंगे या राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहेंगे इसे लेकर असमंजस बरकरार है. राजस्थान में विधायक दो खेमों में बंट गए हैं. अशोक गहलोत खेमे के विधायक सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने पर रज़ामंद नहीं है, वहीं चर्चा है कि कांग्रेस नेतृत्व सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद देना चाहता है.

इस पूरे राजनीतिक उलटफेर और कांग्रेस के आंतरिक कलह पर अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू ने विस्तार से रिपोर्ट किया है. पढ़ें ये रिपोर्ट

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अंग्रेज़ी अख़बार लिखता है, कांग्रेस के पार्टी अध्यक्ष पद का नामांकन भरने के लिए सिर्फ़ तीन दिन का वक्त बचा है और ऐसे में गांधी परिवार के समर्थक 'प्लान बी' की बात कर रहे हैं. अब तक केवल शशि थरूर और पार्टी के कोषाध्यक्ष पवन बंसल ने नामांकन का पर्चा लिया है.

राजस्थान में राजनीतिक संकट के बीच कांग्रेस ने मंगलवार को अशोक गहलोत के क़रीबी तीन विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इन विधायकों को 'गंभीर अनुशासनहीन' रवैये के लिए 10 दिनों में जवाब मांगा गया है. हालांकि अशोक गहलोत पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है.

इससे अशोक गहलोत के पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की संभावना बनी हुई है, भले ही अब तक उन्होंने या पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान उनकी दावेदारी को लेकर सामने नहीं आ रहा है. 30 सितंबर को कांग्रेस अध्यक्ष पद का नामांकन भरने की आखिरी तारीख है.

अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए गांधी परिवार के वफ़ादारों के बीच 'प्लान बी' को लेकर काफ़ी चर्चा है और इसके लिए दिग्विजय सिंह और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे के नाम की चर्चा पार्टी के भीतर चल रही है.

अशोक गहलोत खेमे के विधायकों को कारण बताओ नोटिस उस रिपोर्ट के आधार पर जारी किया गया है जो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी राजस्थान के महासचिव अजय माकन और पार्टी के वरिष्ठ नेता खडगे ने सौंपी है.

जिन विधायकों को ये नोटिस जारी किया गया है उनके नाम हैं- मंत्री शांति धारीवाल, मंत्री और विधानसभा में कांग्रेस के मुख्य व्हिप महेश जोशी और विधायक धर्मेंद्र राठौर हैं. इन पर राज्य में राजनीतिक संकट पैदा करने का आरोप लगाया गया है.

हालांकि, अब इस पूरे राजनीतिक संकट को कम करने की जद्दोजहद की जा रही है.

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने के लिए अपने आवास 10 जनपथ रोड पर एक बैठक के बाद सोनिया गांधी ने अंबिका सोनी और आनंद शर्मा जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के साथ राजस्थान संकट के मुद्दे पर चर्चा की.

अख़बार सूत्रों के हवाले से लिखता है कि गहलोत को अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष से भी बात करनी थी, लेकिन बातचीत हुई या नहीं इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है.

विजय रुपाणी

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एक रात पहले मुझसे इस्तीफ़ा देने को कहा गया- विजय रुपाणी

अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए इंटरव्यू में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा है कि उनसे एक रात पहले केंद्रीय नेतृत्व ने इस्तीफ़ा देने को कहा था.

11 सितंबर, 2021 को विजय रूपाणी ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दिया था. इस इस्तीफ़े के एक साल बाद अख़बार को दिए गए इंटरव्यू में रूपाणी ने बताया कि "मुझे एक रात पहले बीजेपी 'हाईकमान' ने इस्तीफ़ा देने को कहा और अगले ही दिन मैंने इस्तीफ़ा दे दिया. मैंने उनसे कोई वजह नहीं मांगी और उन्होंने मुझे इस्तीफ़ा मांगने की कोई वजह भी नहीं बताई. लेकिन मैं हमेश ही पार्टी का अनुशासित कार्यकर्ता रहा हूं और मैंने हमेशा वहीं किया जो पार्टी ने मुझसे करने को कहा.

"मुझे पार्टी ने मुख्यमंत्री बनाया तो मैं बन गया. फिर पार्टी ने जब कहा की वो सीएम बदलता चाहते हैं तो मैं उस पद से हट गया. "

अख़बार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि जब उनसे एक रात पहले इस्तीफ़ा मांगा गया तो उन्होंने बिना किसी खींचतान के इस्तीफ़ा दे दिया.

सीबीआई

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दिल्ली: आबकारी नीति मामले में सीबीआई ने किया पूर्व सीईओ को गिरफ़्तार

अंग्रेजी अख़बार टाइम्स आफ़ इंडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार, आम आदमी पार्टी से जुड़े रहे इवेंट्स कंपनी 'ओनली मच लाउडर' के पूर्व सीईओ विजय नायर को दिल्ली आबकारी नीति मामले में अनियमितताओं के केस में सीबीआई ने गिरफ्तार किया है.

सीबीआई की एफआईआर में पांच लोगों का नाम है जिसमें में से एक नाम नायर का है

मंगलवार को नायर को सीबीआई मुख्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया. उन पर आपराधिक षड्यंत्र रचने का आरोप है. जब ये एफ़आईआर दर्ज की गई तो विजय नायर विदेश में थे और कहा जा रहा था कि वह देश छोड़ कर भाग गए हैं. जिसके बाद उन्होंने बयान जारी करके इस दावे का खंडन किया था.

दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी और इस मामले पर एफआईआर दर्ज की गई. इसके बाद दिल्ली सरकार ने घोषणा की थी कि वह नीति वापस ले रही है.

सीबीआई की एफआईआर में कहा गया कि सूत्र ने बताया कि कुछ एल -1 लाइसेंस धारक खुदरा विक्रेताओं को क्रेडिट नोट जारी कर रहे हैं, जिससे सरकारी कर्मचारियों को अनुचित आर्थिक लाभ पहुंचाया जा सके. इसके अलावा वे अपने रिकॉर्ड को सही रखने के लिए अपने खातों की किताबों में झूठी एंट्री दिखा रहे हैं.

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