अमित शाह और मनोज सिन्हा की मुलाक़ात के बाद क्या थम जाएंगी कश्मीर में हो रही घटनाएं

कश्मीरी पंडित

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    • Author, माजिद जहांगीर
    • पदनाम, कश्मीर से, बीबीसी हिंदी के लिए

जम्मू और कश्मीर की सुरक्षा स्थिति पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को एक उच्चस्तरीय बैठक की.

ये बैठक हाल के दिनों में लोगों को निशाना बनाकर की गई हत्याओं के बाद केंद्र शासित प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के लिए बुलाई गई थी.

शुक्रवार को ये बैठक तकरीबन तीन बजे शुरू हुई जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल, भारतीय सेना के प्रमुख मनोज पांडे, गृह सचिव अजय कुमार भल्ला के अलावा जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी शामिल हुए.

अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ़ के महानिदेशक कुलदीप सिंह और बीएसएफ़ के प्रमुख पंकज सिंह और जम्मू और कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह भी इस मीटिंग में शामिल थे.

मई में जम्मू और कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों की हत्या कर दी गई थी. मरने वालों में कश्मीरी हिंदू भी शामिल थे.

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बैंक कर्मचारी और मज़दूर की हत्या

चरमपंथियों के हाथों में हुई इन हत्याओं के ख़िलाफ़ कश्मीरी पंडित श्रीनगर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

गुरुवार, 2 जून को कश्मीर के दो अलग-अलग ज़िलों में दो ग़ैर-कश्मीरी लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

पहली हत्या दक्षिण कश्मीर के कुलगाम ज़िला में हुई. विजय कुमार नाम के बैंक कर्मचारी पर चरमपंथियों ने फ़ायरिंग कर दी और बाद में अस्पताल में उनकी मौत हो गई.

वहीं, गुरुवार देर रात को ही ज़िला बड़गाम में एक मज़दूर दिलकुश की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई.

विजय कुमार राजस्थान के रहने वाले थे जबकि ईंट के भट्टे में काम करने वाले मज़ूदर दिलकुश बिहार के रहने वाले थे.

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चरमपंथी ज़िम्मेदार

कश्मीर पुलिस ने इन सभी हत्याओं के लिए चरमपंथियों को ज़िम्मेदार ठहराया है.

बैंक मैनेजर और मज़दूर की हत्या से दो दिन पहले ज़िला कुलगाम के गोपालपुरा में जम्मू की रहने वाली एक हिन्दू शिक्षिका रजनी की उनके स्कूल में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

रजनी की हत्या से कुछ दिनों पहले ज़िला बुड़गाम में एक मुसलमान यूट्यूबर और आर्टिस्ट अमरीना भट्ट की भी उनके घर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

उससे पहले बुड़गाम के ही एक कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की उनके दफ़्तर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. पुलिस के अनुसार, केवल मई महीने में सात-आठ लोगों की चरमपंथियों ने हत्या की है.

पुलिस ने राहुल भट्ट और अमरीना भट्ट के हत्यारों को मुठभेड़ में मारने का दावा भी किया है.

राहुल भट्ट

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कश्मीरी पंडितों का प्रदर्शन

राहुल भट्ट की हत्या के बाद कश्मीर में पीएम पैकेज के तहत काम करने वाले कश्मीरी पंडित सड़कों पर उतर आए थे और सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन शुरू कर दिया था.

पंडितों का ये प्रदर्शन अभी तक जारी है. कश्मीरी पंडितों की मांग है कि उन्हें कश्मीर से निकाला जाए क्योंकि वो कश्मीर में अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं.

सरकार कहती रही है कि पंडितों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त क़दम उठाए जा रहे हैं.

सरकार का कहना है कि वो दूर-दराज़ इलाक़ों में काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों का ट्रांसफ़र ज़िला मुख्यालय में कर देगी, जहां उनको सुरक्षा मुहैया कराना ज़्यादा आसान होगा.

लेकिन सरकार के इन आश्वासन से कश्मीरी पंडित संतुष्ट नहीं हैं और वो अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं.

वीडियो कैप्शन, दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में ये कश्मीरी पंडित धरने पर बैठे हैं. क्या हैं उनकी मांग?

टार्गेटेड किलिंग्स

बीबीसी ने बीते गुरुवार को कुलगाम के वेसु ट्रांज़िट कैंप का दौरा किया और वहां हालात का जायज़ा लिया.

वेसु के इस ट्रांज़िट कैंप में पंडित धरने पर बैठे थे. शाम ढलते-ढलते कैंप में रहने वाले पंडितों ने कैंडल मार्च किया और फिर अपनी मांग को दोहराया कि उनको कश्मीर से निकला जाए.

कैंप में रहने वाले एक दूसरे पंडित ने जम्मू से फ़ोन पर बताया कि उनके घरवालों ने उन्हें मजबूर किया कि वो जम्मू आ जाएं.

उन्होंने अपने बेटे का जम्मू में स्कूल में दाख़िला करवा दिया है और अब वो कुछ दिनों के लिए जम्मू में ही रहेंगे.

कैंप में पंडितों के अध्यक्ष समीर रैना ने बीबीसी को बताया कि हर दिन जिस तरह टार्गेटेड किलिंग्स हो रही हैं उनकी वजह से पंडितों का मनोबल गिर रहा है.

उनका ये भी कहना था कि कुछ समय के लिए उन लोगों को जम्मू शिफ़्ट किया जाए और अगर हालात ठीक हो जाएं तो उन्हें दोबारा कश्मीर घाटी में लाया जा सकता है.

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अमरनाथ यात्रा

कैंप में रहने वाले एक और पंडित अनिल का कहना था कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वो क्या करें.

उनका कहना था कि उन्होंने अपनी बेटी के एडमिशन के लिए एक लाख की फ़ीस जमा की है, और अब वो स्कूल भी नहीं जा पा रही है.

उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकारी कर्मचारियों को चरमपंथी निशाना बना रहे हैं, उन हालात में ड्यूटी पर जाना भी ख़तरनाक हो गया है.

कई पंडितों का कहना था कि उनको कैंप से बाहर जाने नहीं दिया जा रहा है और सरकारी अधिकारी कह रहे हैं कि हर चीज़ कैंप के अंदर ही मुहैया करवाई जाएगी.

इन टार्गेट किलिंग्स के बीच इसी महीने के आख़िरी हफ़्ते में अमरनाथ यात्रा भी शुरू हो रही है.

अमरनाथ यात्रा दो वर्ष के बाद आयोजित की जा रही है. घाटी में हो रही इन घटनाओं ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है.

वीडियो कैप्शन, फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने मुसलमानों से कहा कि अपनी मदद खुद करो.

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