उत्तर प्रदेश चुनाव: योगी आदित्यनाथ ने क्या दो दिन पहले इटावा की रैली का फ़ेक फ़ोटो शेयर किया था? - बीबीसी फ़ैक्ट चेक

इमेज स्रोत, Twitter/Yogi Adityanath
- Author, मेधावी अरोड़ा
- पदनाम, बीबीसी डिसइन्फ़ॉर्मेशन यूनिट
मंगलवार यानी 15 फ़रवरी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी के गढ़ इटावा में एक जनसभा को संबोधित किया.
देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में चल रहे विधानसभा चुनाव के प्रचार के लिए इस रैली का आयोजन हुआ था. विभिन्न न्यूज़ चैनलों और एजेंसियों की तस्वीरों को देखें तो इस रैली में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया.
इटावा की रैली के बाद योगी आदित्यनाथ ने अपने आधिकारिक ट्विटर और फ़ेसबुक अकाउंट पर एक तस्वीर ट्वीट की. 15 फ़रवरी की शाम 6:21 बजे ट्वीट किए गए इस फ़ोटो में वे भीड़ का हाथ हिलाकर अभिवादन करते नज़र आ रहे हैं.
उस ट्वीट में लिखा था, ''जनपद इटावा इतिहास रचने जा रहा है...'आतंकियों के रहनुमा' और 'अपराधियों के सरपरस्त' यहां पस्त होंगे. इटावा ने ठाना है, हर बूथ पर कमल का फूल खिलाना है...धन्यवाद इटावा!'
फ़ोटो पर उठा संदेह
लेकिन शेयर किए गए फ़ोटो में कुछ गड़बड़ लग रहा था.
इस पोस्ट के होते ही थोड़ी ही देर में कॉमेंट्स की झड़ी लग गई. इन कॉमेंट्स में आरोप लगाए गए कि फ़ोटो को 'फ़ोटोशॉप' किया गया है यानी फ़ोटो को छेड़छाड़ करने के बाद जारी किया गया है.
ऐसा आरोप लगाने वालों में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के नेता थे. आम आदमी पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के आधिकारिक एकाउंट ने तो सीएम योगी आदित्यनाथ पर आरोप लगा दिया कि वे राज्य में "फ़ोटोशॉप सरकार'' चला रहे हैं.
फ़ोटो की प्रामाणिकता पर सवाल उठाने वालों का तर्क था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कपड़ों के किनारे धुंधले (ब्लर्ड) थे और रैली में जुटी भीड़ भी उनकी ओर न देखकर दूसरी दिशा में देख रही थी.
यह ट्वीट तुरंत वायरल हो गया. इस ट्वीट को कुछ घंटों पहले तक 9,300 से अधिक बार रीट्वीट किया जा चुका था. वहीं इस पर 7,600 से अधिक कॉमेंट्स आए हैं और 35,000 से अधिक लाइक्स इसे मिले हैं.
वहीं उनके फ़ेसबुक पोस्ट को 1,900 से अधिक शेयर, 4,300 से अधिक कॉमेंट्स और 41,000 से अधिक लाइक्स मिल चुके हैं.

इमेज स्रोत, Twitter/Yogi Adityanath
आख़िर सच क्या है?
बीबीसी ने इस पोस्ट की हक़ीक़त पता करने का प्रयास किया. हमने जब 'फ़ैक्ट चेक' किया तो पता चला कि वो फ़ोटो वाक़ई फ़ोटोशॉप्ड थी. ओपन-सोर्स फ़ोटो वेरिफ़िकेशन टूल्स भी इसी नतीज़े पर पहुंचे.
हमने जब रिवर्स इमेज सर्च किया तो पता चला कि मूल तस्वीर मथुरा की है, इटावा की नहीं. वैसे वो फ़ोटो न्यूज़ एजेंसी पीटीआई यानी प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया ने दिसंबर 2021 में ली थी.
मज़ेदार बात ये रही कि उस मूल तस्वीर को ख़ुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ क़रीब दो महीने पहले 19 दिसंबर, 2021 को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से शेयर कर चुके हैं.
उन्होंने तब उस फ़ोटो को साझा करते हुए लिखा था, ''आज हमारी सरकार के पौने पांच वर्ष पूरे हो रहे हैं. इस दौरान प्रदेश में एक भी दंगा नहीं हुआ है. पिछली सरकारों में माफ़ियाओं व अपराधियों द्वारा व्यापारी व हिन्दू भगाए जाते थे. अब कोई व्यापारी या हिंदू प्रदेश से पलायन नहीं करता है, पलायन होता है तो पेशेवर अपराधियों व माफ़ियाओं का.''
ख़ैर एक सवाल रह ही गया, वो ये कि मुख्यमंत्री के आधिकारिक एकाउंट्स से इटावा की जनसभा का असली फ़ोटो शेयर करने की बजाय 'फ़ेक फोटो' शेयर करने की ज़रूरत आख़िरकार क्यों पड़ी.

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